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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

लालू पर सीबीआइ का शिकंजा, बीजेपी ने पूछा- अब क्या करेंगे नीतीश कुमार ?

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पटना, सनाउल हक़ चंचल

पटना। लालू परिवार के बारह ठिकानों पर आज सुबह से सीबीआइ की छापेमारी चल रही है। लालू पर आरोप है कि उन्होंने रेलमंत्री रहते हुए रेलवे के होटल निजी कंपनियों को मुहैया कराकर उन्हें फायदा पहुंचाया था। इस मामले में लालू उनकी पत्नी राबड़ी देवी, उनके पुत्रों सहित आइआरसीटीसी के अधिकारियों पर भी केस दर्ज किया गया है।

इस मामले से आज सुबह से ही बिहार की राजनीति गरमाई हुई है। लालू के खिलाफ लगातार हमलावर बीजेपी के नेताओं ने इसे बिल्कुल सही कदम बताया है और कहा है कि जो भी भ्रष्टाचारी है और वह बच नहीं सकता। बीजेपी नेताओं ने कहा कि लालू के साथ जो रहा है वो तो होना ही था।

बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा कि सजायफ्ता लालू प्रसाद की हिम्मत ही है कि वो अपने साथ ही अपने परिवार वालों की जिन्दगी भी बर्बाद करने से कभी नहीं डरे। लालू प्रसाद में अगर हिम्मत नहीं होती तो चारा घोटाले में आरोपित हो कर जेल जाते समय अपनी पत्नी राबड़ी देवी को बिहार की छाती पर नहीं बैठे हैं।

यह लालू प्रसाद की हिम्मत ही है कि 750 करोड़ के चारा घोटाले में 5 साल के लिए सजायाफ्ता होने के बावजूद लूट मचा कर अपने परिजनों की जिन्दगी बर्बाद करने से वे कभी नहीं डरे। लालू यादव की हिम्मत थी कि रेलमंत्री बनने के साथ ही दोनों हाथों से भ्रष्टाचार जनित कालेधन के जरिए अकूत बेनामी सम्पति बटोरना शुरू कर दिया।

विधायक, सांसद और मंत्री बनाने के लिए राजनेताओं तक से जमीन लिखवा लिया। पटना में 2 बीघा बेनामी जमीन हथिया लिया जिस पर तेजस्वी यादव का 750 करोड़ की लागत से बिहार का सबसे बड़ा मॉल बन रहा है।

यह लालू यादव की हिम्मत ही है कि उन्होंने बीपीएल ललन चौधरी, रेलवे के खलासी हृदयानंद चौधरी और प्रभुनाथ यादव जैसे गरीब तक से करोड़ों की जमीन दान करवा लिया। आधे दर्जन मुखौटा कम्पनियों के जरिए करोड़ों की बेनामी सम्पति बेटों-बेटियों के नाम पर बटोर लिया।

नित्यानंद बोले: अब तो नीतीश दोनों लालू पुत्रों को बर्खास्त करें

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय ने कहा है कि महागठबंधन सरकार के सबसे बड़े घटक राजद अध्यक्ष के राजनीतिक परिवार के मुखिया हैं और इस परिवार से आने वाले उप मुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव और तेजप्रताप को उनके कई ठिकानों  पर आईटी की रेड होने के बावजूद न उन्हें अपने आर्थिक अपराध पर कोई शर्म आती है, न मुख्यमंत्री अपने दागी सहयोगी से इस्तीफा मांगते हैं।

बहुमत के अहंकार में चूर लोग लोकतंत्र से लोकलाज को धो-पोछ कर मिटा देने पर आमादा हैं। अब भी नीतीश में राजनीतिक मर्यादा बची है तो लालू के दोनो मंत्रीपुत्रों को बर्खास्त सरकार की इज्जत बचा लें।