मन की बात -100 : एक खेल प्रेमी राष्ट्र के रूप में भारत का उत्सव
आलेख: अंजू बॉबी जॉर्ज, भारतीय ओलंपियन और
भारतीय एथलेटिक्स फेडरेशन की उपाध्यक्ष
तस्वीर
भारत में खेलों के लिए यह एक रोमांचक समय है। भारत के पास हमेशा से खेल प्रतिभाओं का एक होनहार और बड़ा पूल रहा है। जरूरत इस बात की थी कि मौजूदा नीतियों में संशोधन किया जाए और नई नीतियों को लाया जाए जो उनकी जरूरतों और आकांक्षाओं से मेल खाती हों। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, सरकार जमीनी स्तर पर प्रतिभा की पहचान, खेल के बुनियादी ढांचे के निर्माण, एलीट खिलाड़ियों को समर्थन और एक ऐसा इकोसिस्टम बनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो देश के खेल परिदृश्य को बदलने के लिए मिशन मोड में है और देश के कोने-कोने से महिलाएं, दिव्यांगजन और युवा सभी के लिए समान अवसर प्रदान करता है। सफलता की गाथाओं के साथ-साथ हर आयु वर्ग के कई खिलाड़ियों के धैर्य, संघर्ष और दृढ़ संकल्प की कहानियों ने प्रधानमंत्री के ‘मन की बात’ और देश के दिलों में जगह बनाई है।
‘खेलो इंडिया’ एक गेम चेंजर रहा है। वास्तव में ‘खेलो इंडिया गेम्स’ भारत के मिनी ओलंपिक की तरह हो गए हैं। राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देकर प्रोत्साहित करने से न केवल युवा खिलाड़ियों बल्कि राज्यों को भी अपने स्वयं के मजबूत खेल इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए बढ़ावा मिला है। देश में एक समग्र खेल संस्कृति के विकास के अलावा, प्रत्येक खिलाड़ी और उनकी प्रगति को जानने में प्रधानमंत्री जो व्यक्तिगत रुचि लेते हैं, वह भी कुछ ऐसा है जो हमारे देश में पहले कभी नहीं देखा गया था। वह अंतिम रवानगी से पहले और एक अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट/खेल आयोजन के बाद भारतीय दल के साथ बातचीत करना और उन्हें उनकी सफलता या ईमानदारी से किए गए प्रयासों के लिए प्रेरित करते हैं और बधाई देते हैं।
प्रधानमंत्री अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में भी खेलों के बारे में काफी बातें करते हैं। पहले हमारे देश के खेल के क्षेत्र में उपलब्धियों के बारे में कोई भी जानकारी प्राप्त करने के लिए अखबार ही एकमात्र माध्यम था, लेकिन अब अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट के लिए जाने से पहले ही हम उनका जश्न मना रहे हैं। कॉमनवेल्थ हो या ओलंपिक जाने वाला भारतीय दल या खेलो इंडिया गेम्स में भाग लेने वाले युवा, ‘मन की बात’ एक ऐसा मंच बन गया है, जहां खेल के मोर्चे पर देश की उपलब्धियां सामने आती हैं। और आज, जब ‘मन की बात’ 30 अप्रैल, 2023 को अपना शतक पूरा करने जा रहा है, तो मुझे यकीन है कि इतने सालों में इसके सभी एपिसोड ने एथलीटों के लिए अपनी प्रतिभा को तराशने और एक बेहतर खिलाड़ी के रूप में खेलों के क्षेत्र में अपना भविष्य बनाने के लिए प्रेरणा का काम किया है।
जब मैंने विश्व चैम्पियनशिप के लिए पहला पदक जीता था, तो मेरे साथी खिलाड़ी जिसने भी पदक जीता था, उन्हें अपने देश के राष्ट्राध्यक्ष का फोन आया था, जो स्टेडियम की स्क्रीन पर दिखाया जा रहा था। और मैं सोच रही थी कि मुझे ऐसा मौका कब मिलेगा। इस लिहाज से आज के युवा खिलाड़ी वाकई खुशकिस्मत हैं कि प्रधानमंत्री ‘मन की बात’ जैसे अहम मंच पर उनके बारे में बात कर रहे हैं। वे उनके व्यक्तिगत हितों को भी अच्छी तरह से जानते हैं और उनके वापस आने पर उन्हें भव्य विदाई दे रहे हैं और उनका सत्कार भी कर रहे हैं। पूरा भारत और खासकर युवा पीढ़ी के लोग इसे देख रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि खेल पदक जीतने और भारत को वैश्विक मानचित्र पर लाने तक ही सीमित नहीं है। यह मुख्य रूप से हमें शारीरिक रूप से फिट, मानसिक रूप से सतर्क और खेल भावना का पोषण करके व्यक्तिगत व्यक्तित्व का विकास करता है। खेल, कुल मिलाकर, एक राष्ट्र के विकास के लिए बहुत महत्व रखता है। वे दिन गए जब लोग केवल क्रिकेट के पीछे भागते थे। आज, प्रत्येक अंतर्राष्ट्रीय खेल आयोजन में भारत की भागीदारी से एक बहुत बड़ा राष्ट्रीय गौरव जुड़ा हुआ है। चाहे वह बैडमिंटन हो, भाला फेंक, हैंडबॉल, या तलवारबाजी, और यहां तक कि मल्लखंब और कलारीपयट्टू जैसे स्वदेशी खेल, आज लोग दुनिया भर में तिरंगे को लहराने वाले खिलाड़ियों के लिए उनकी प्रशंसा में एकजुट हैं।
ओलंपिक 2020 से ठीक पहले, प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ के श्रोताओं से ‘चीयर फॉर इंडिया’ के साथ टोक्यो जाने वाले खिलाड़ियों का समर्थन करने का आग्रह किया, जो बाद में एक अभियान में बदल गया, जिसमें स्कूली छात्रों से लेकर मशहूर हस्तियों तक की भागीदारी देखी गई, जिन्होंने खिलाड़ियों के लिए अपनी शुभकामनाएं भेजीं। यह देखना दिलचस्प है कि एक देश के रूप में हम अपने खिलाड़ियों का जश्न मनाने के विभिन्न तरीके खोज रहे हैं। खेल के मोर्चे पर यह गति भारत के लिए अभूतपूर्व है और खेलों में एक नया जोश भरने के लिए मैं प्रधानमंत्री की आभारी हूं।
परिणाम सबके सामने हैं। टोक्यो ओलंपिक में सात और पैरालिंपिक में 19 पदकों के साथ भारत ने चार दशकों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। भारत ने बर्मिंघम में राष्ट्रमंडल खेलों में 22 स्वर्ण पदक सहित कुल 61 पदकों के साथ अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दर्ज किया। प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय थॉमस कप (बैडमिंटन) टूर्नामेंट के इतिहास में पहली बार भारतीय पुरुष टीम ने 14 बार के विश्व चैंपियन इंडोनेशिया को हराकर चैंपियनशिप जीती। डेफलम्पिक्स ब्राजील के लिए भारतीय दल ने 16 पदकों के साथ देश के लिए अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। नई युवा प्रतिभाएं जबरदस्त प्रदर्शन कर रही हैं और पूरा देश उनकी जीत का आनंद उठा रहा है।
‘मन की बात’ ने एक मंच के रूप में नागरिकों, विशेषकर युवाओं में देश में खेलों के प्रति सामूहिक उत्साह को प्रेरित किया है। ‘मन की बात’ के कई एपिसोड में प्रधानमंत्री ने युवा पीढ़ी से खेल को अपने जीवन का अहम हिस्सा बनाने की सीधी अपील की है। अपने रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से, उन्होंने भारत के समग्र विकास के लिए खेल को एक महत्वपूर्ण पहलू बनाने के लिए ‘सबका प्रयास’ की भावना पैदा की है और लोग, सरकारें, खिलाड़ियों और संघ मिलकर इस दृष्टि को नए भारत की वास्तविकता बनाने का प्रयास कर रहे हैं। मैं ‘मन की बात’ के आने वाले 100वें एपिसोड का बेसब्री से इंतजार कर रही हूं और हमारे प्रधानमंत्री को उन आम लोगों को उनकी बात सुनने के लिए प्रेरित, प्रोत्साहित देख रही हूं, जिन्होंने दूसरों के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव किया है।
*
मन की बात-100 का लोगो https://drive.google.com/drive/folders/1edeDzVl1YALOPRJ5LEbCkCpVbwcdKRA8?usp=sharing
*
एमजी/ एमएस/ एसकेएस