कविताओं से गुलज़ार हुआ पंचकूला
(कांच का दिल है घर छोड़कर आना_डा० अनीश गर्ग)
पंचकूला: संवाद साहित्य मंच की ओर से मित्तल निवास सैक्टर 15, पंचकूला में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। वरिष्ठ साहित्यकार प्रेम विज की अध्यक्षता में ट्राइसिटी के नामी कवियों ने खूबसूरत रचनाएं सुनाई। डा० अनीश गर्ग ने बखूबी मंच संचालन किया। मुख्य अतिथि अशोक भंडारी ‘नादिर’ ने “समझ ना पाओगे तुम ज़िंदगी भर दिल के ज़ख्म को’, प्रेम विज ने, “उम्र अब रंग दिखाने लगी है नज़र भी कुछ धुंधलाने लगी है ”, डा० अनीश गर्ग,”अनीश’ कांच का दिल है तो उसे घर छोड़ कर आना..पत्थरबाजों का शहर है और बहुत खूब है निशाना..”, ” डेज़ी बेदी ने ,”मुट्ठी भर ही सही मुझको ज़मीं आसमां दो, संगीता कुंद्रा ने “दिल में जब घर क्या करे कोई’, नीरू मित्तल ने “यादें जैसे अतीत से गुफ्तगू करता वर्तमान”, नीलम त्रिखा ने,”जो शाम सजाता औरों की खातिर इतनी है तन्हाई उसकी रातों में”, डा० विनोद शर्मा ने “सद्गुणों से आता है जीवन में प्रकाश’ सुनाकर तालियां बटोरी। विशेष अतिथि कृष्ण कुमार शारदा ने देशभक्ति का गीत गाकर महफ़िल में जोश भरा। बाल कृष्ण गुप्ता, सुरजीत सिंह धीर,लाजपत राय गर्ग ने भी अपनी रचनाओं से मंत्रमुग्ध किया।
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