Chandigarh Today

Dear Friends, Chandigarh Today launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards http://chandigarhtoday.org

Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने वीना सेठी द्वारा लिखित पुस्तक दर्द का रिश्ता का किया लोकार्पण

0
49
शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने वीना सेठी द्वारा लिखित पुस्तक दर्द का रिश्ता का किया लोकार्पण

चण्डीगढ़ : हरियाणा के शिक्षा एवं पर्यटन मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने आज वीना सेठी द्वारा लिखित पुस्तक दर्द का रिश्ता का लोकार्पण किया। गुर्जर ने कहा कि आज महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं। आज की महिला वैज्ञानिक भी है, शिक्षक भी है, डॉक्टर भी है, नेता भी है और ऑटो, बस से लेकर जहाज तक उड़ाने की क्षमता रखती है। बेटियां पढ़ भी रही हैं और आगे भी बढ़ रही हैं। एक बच्ची के पढऩे पर पूरा परिवार साक्षर बनता है। इसी वजह से हरियाणा सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश देकर बच्चियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित कर रही है। अब हरियाणा में लोग बेटी को कोख में नहीं मारते बल्कि पढ़ा लिखाकर उनका जीवन उज्जवल बना रहे हैं। उन्होंने कहा कि दर्द का रिश्ता एक अच्छी पुस्तक है और यह सिखाती है कि महिलाएं जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देती है। उन्होंने कहा कि वीना सेठी ने इस उम्र में पुस्तक लिखकर साबित किया है कि इंसान अगर चाहे तो किसी भी उम्र के दौर में अपना मुकाम हासिल कर सकता है। उन्होंने कहा कि वह कामना करते हैं कि वीना सेठी भविष्य में भी इसी तरह से लिखती रहेगी और लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेंगी। लेखिका वीना सेठी ने कहा कि दर्द का रिश्ता उनकी पहली पुस्तक है और उन्हें उम्मीद है कि पाठकों को उनकी कहानियां पसंद आएगी और वह आने वाले दिनों में भी इसी तरह से लेखन करती रहेंगी।

यह कहती है दर्द का रिश्ता पुस्तक

वीना सेठी द्बारा लिखित पुस्तक दर्द का रिश्ता महिलाओं के जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर आधारित है। एक महिला कई रिश्तों से पहचानी जाती है, वह एक बेटी है, बहन है, मां है, नानी है, दादी है और उसकी सबसे बड़ी पहचान वह मुकाम है जहां वह समाज की सारी बंदिशों को पार कर खुद को साबित करती है। वीना की पुस्तक में महिलाओं के दर्द को बेशक उजागर किया गया है परंतु लेखिका ने महिला को स्वतंत्र, सशक्त, आत्मस मान से परिपूर्ण श िसयत के रूप में भी दर्शाता है। सृष्टि पब्लिकेशन द्बारा प्रकाशित पुस्तक में सात कहानियाँ प्रस्तुत की गई है। सातों कहानियां महिलाओं के जीवन की अनोखी दास्तान सुनाती हैं। जन्म जन्म कहानी पुनर्जन्म पर आधारित है। इसमें एक जन्म में बिछड़ों को दूसरे जन्म में मिलते हुए बताया गया है। दूसरी कहानी स्मृति  देश पर कुर्बान हुए शहीद बेटे के विछोड़े में मां बाप के दर्द को बयान कर रही है। पुरस्कार कहानी बताती है अच्छाई का सिला सदैव अच्छा ही परिणाम देता है और हालातों के थपेड़े सह सहकर वेश्या बनी औरत भी घर की चारदीवारी में रहने वाली महिला की तरह साफ और पाक सीरत वाली हो सकती है। आंगन कहानी में ऐसे परिवार की कहानी प्रस्तुत की गई है जिसमें नौकरानी फूलमणि की सच्ची निष्ठा और कर्तव्यपालन उसे प्रेम और सम्मान दिलवाता है। अनोखा प्रेम में ऐसी आजाद यालों की मां की कहानी है जो अपने बच्चों को छोड़ हिप्पीनुमा जीवन को जीना पसंद करती है। बाबुल कहानी में ऐसी लडक़ी का दर्द है जो लडक़ी होने के बावजूद खुद को एक पुरुष की तरह महसूस करती है। एक बच्चे को जन्म देने के बाद भी वह लडक़ी के शरीर में खुद को कैदी सा आभास करती है और हालात ऐसे बनते हैं कि अंत में लडक़ी डाक्टर्स की मदद से खुद का शरीर पुरुष का बनवा लेती है और अपना जीवन उसके बाद सुखमय बिताती है।