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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

श्री चन्द्र मोहन ने कहा कि पिछले 7 महीनों से किसान अपने अस्तित्व की लड़ाई  लड़ रहे हैं और इन किसानों पर इस दौरान अनेक अवसरों पर  पुलिस ने बर्बरतापूर्ण तरीके से लाठियां बरसाई , लेकिन किसानों ने गांधी वादी तरीके से अपना प्रदर्शन करना नहीं छोड़ा है।

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पंचकूला 27- हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री चंद्रमोहन ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया है कि वह किसानों के धैर्य ,संयम  और साहस की परीक्षा ना ले और तीनों कृषि कानूनों को तुरंत वापस लेकर किसानों की  प्रगति और खुशहाली का रास्ता प्रशस्त करें अन्यथा, देश के  लोकतंत्र के इतिहास में एक ऐसा काला अध्याय लिखा जायेगा जिसमें  भारतीय जनता पार्टी की हठधर्मिता और अवेदनशीलता के साथ साथ 500 से अधिक किसानों की  हत्या के कलंक  का जिम्मेदार भी भाजपा को ठहराया जाएगा।                         ‌          श्री चन्द्र मोहन ने कहा कि पिछले 7 महीनों से किसान अपने अस्तित्व की लड़ाई  लड़ रहे हैं और इन किसानों पर इस दौरान अनेक अवसरों पर  पुलिस ने बर्बरतापूर्ण तरीके से लाठियां बरसाई , लेकिन किसानों ने गांधी वादी तरीके से अपना प्रदर्शन करना नहीं छोड़ा है। किसानों द्वारा कल तीनों काले कानूनों के विरोध में  हरियाणा के राज्यपाल को शान्ति पूर्ण तरीके से ज्ञापन देने जा रहे किसानों पर हल्का लाठीचार्ज किया गया और अनेक किसानों के खिलाफ झूठे केस दर्ज किए गए। उन्होंने कहा कि किसानों के साथ केन्द्र सरकार ने जो दुर्व्यवहार किया है ऐसा व्यवहार पिछले  50 वर्षों में किसी भी सरकार ने कभी भी नहीं किया है। कांग्रेस पार्टी गांधी वादी तरीके से सत्याग्रह, धरना प्रदर्शन कर रहे किसानों के साथ हमेशा से खड़ी हैं।                                ‌    उन्होंने कहा कि भाजपा ने किसानों के साथ विश्वासघात किया है, उनके वोट हासिल करने के लिए उन्हें स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करने के साथ साथ  फसलों के सन् 2022 तक दाम दोगुने करने का झांसा देकर वोट तो हासिल कर लिये, लेकिन  अफसोस इस बात का है कि 7 साल बीतने के बाद भी किसानों को फसलों का दोगुना दाम मिलना तो दूर  की बात है, बल्कि खाद और कीटनाशक दवाओं और डीजल के दामों में अप्रत्याशित बढ़ोतरी करके किसानों के लिए आत्महत्या का रास्ता प्रशस्त किया है। खेती के उत्पादन लागत में 2000 से 2500 प्रति एकड़ का लागत मूल्य का खर्च बढ़ गया है।इसकी भरपाई करने के लिए केन्द्र सरकार ने क्या कदम उठाए हैं।                       ‌                          श्री चन्द्र मोहन ने कहा कि किसान संगठनों ने केन्द्र सरकार के अड़ियल और जिद्दी  रवैए को ध्यान में रखते हुए ही एक कदम आगे बढ़ाते हुए फिर से बातचीत करने के लिए केन्द्र सरकार को पत्र लिखकर इस समस्या का समाधान पारदर्शी तरीके से करने का आग्रह किया, लेकिन इस का भी केन्द्र सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया है कि कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से किसानों का गला घोंटने काम ना करें।एक टेलीफोन काल की  दूरी पर  होने का दावा करने वाले प्रधानमंत्री जी  ने किसानों की पीड़ा को दूर करने के लिए अपने टेलीफोन का उपयोग किसानों के हितों के लिए करके, अपनी सदाशयता और उदारता का अनूठा उदाहरण प्रस्तुत क्यों नहीं किया है, क्योंकि देश का अन्नदाता किसान कभी भी किसी को धोखा नहीं देता है। इस लिए प्रधानमंत्री जी से विनम्र आग्रह है कि अपनी जिद और अड़ियल रवैया त्याग कर विशाल हृदय का परिचय देते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस ले कर किसानों की उन्नति का मार्ग प्रशस्त करने का काम करें ताकि देश की उन्नति में अन्नदाता अपनी भूमिका निभा सके‌ और देश प्रगति के मार्ग पर अग्रसर हो सके।