चंडीगढ़: गांधी स्मारक भवन सेक्टर 16 चंडीगढ़ में ऑनलाइन वेबीनार आयोजित किया गया जिसका विषय था “इमरजेंसी के दो पहलू” इस वैबिनार का शुभारम्भ गांधी स्मारक भवन के कार्यकर्ता आनंद राव, पापिया चक्रवर्ती एवं गुरप्रीत द्वारा गाई गई “सर्व-धर्म प्रार्थना” से हुआ । कार्यक्रम की अध्यक्षता निर्मल दत्त उपाध्यक्षा गांधी स्मारक निधि, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल तथा चंडीगढ़ ने की । उन्होंने कहा कि संत विनोबा भावे ने आपातकाल को अनुशासन पर्व कहा थाA उन्होंने एक तरह से सरकार और सत्ता का विरोध किया थाA देश के हालात उस समय खराब हो गए थे तथा यह देखकर जनता सड़कों पर उतर आई थी। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था तथा इंदिरा गांधी को इलेक्शन में करारी हार का मुंह देखना पड़ा था। कार्यक्रम का संचालन करते हुए देवराज त्यागी निदेशक गांधी स्मारक भवन ने कहा कि 25 जून 1975 को देश में आपातकाल की घोषणा हुई थी तथा जब आपातकाल की घोषणा हुई उस समय विनोबा जी का मौन चल रहा था जब 6 महीने बाद उनका मौन समाप्त हुआ तो उन्होंने बताया कि आचार्य का अनुशासन होता है तथा सत्ता करने वालों का शासन होता है । शासन के मार्गदर्शन में दुनिया रहेगी तो कभी समाधान होने वाला नहीं है तत्कालीन सरकार ने उनके अनुशासन पर्व का गलत अर्थ लगाकर सरकार के हित में प्रचार किया ।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता अरुण जौहर एडवोकेट पंजाब एवं हरियाणा, हाईकोर्ट ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों से अघोषित आपातकाल ही चल रहा है। प्रो. विजय दत्त शर्मा पूर्व निदेशक हरियाणा ग्रन्थ एकेडमी एवं अमनदीप सिंह ने अपने विचार साझा किये। कार्यक्रम में धर्मवीर शर्मा, कृष्ण कुमार, डॉ. मोनिका, डॉ. पूजा ने भाग लिया।
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन डा.एम.पी.डोगरा ने किया।