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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

काशी के घाटों पर लोगों का मुफ्त इलाज करने वाले डॉक्टर, लोग उन्हें चलती-फिरती ओपीडी कहते हैं

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  • रोज सुबह करीब एक घंटा घाटों पर वॉक करके लोगों का इलाज करते हैं, दवा भी अपने पास से देते हैं डॉ. विजय नाथ मिश्रा
  • एक साल में 70 गंभीर बीमारों को इलाज के लिए बीएचयू में करा चुके हैं भर्ती

Dainik Bhaskar

Jul 14, 2019, 09:17 AM IST

वाराणसी. यहां के एक डॉक्टर घाटों पर न केवल बीमारों का मुफ्त इलाज करते हैं, बल्कि उन्हें दवा भी अपने पास से देते हैं। बीएचयू के पूर्व अधीक्षक (सीएमएस) और न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. विजय नाथ मिश्रा बीते एक साल से घाटों पर चलती-फिरती ओपीडी के नाम से मशहूर हैं। वह यहां मिले 70 गंभीर रोगियों को इलाज के लिए बीएचयू में भर्ती करा चुके हैं।

काशी में 84 घाट हैं। यहां कोई मोक्ष की कामना से आता है तो कोई बनारस की अलौकिक सुबह का आनंद लेने के लिए। डॉ. मिश्रा घाटों पर रात को करीब एक घंटा वॉक करते हैं। इस दौरान उनका फोकस बीमार लोगों पर रहता है। कंधे पर आला (स्थेटिसकोप) और जेब में कुछ जरूरी दवाएं लेकर चलने वाले डॉ. मिश्रा को जो भी जरूरतमंद मिलता है, वे सहजता से उसकी जांच करते हैं। जरूरत के अनुसार आर्थिक मदद भी करते हैं। 

‘पिछले साल घाटों पर घूमने फैसला किया’

डॉ. मिश्रा बताते हैं कि उनका परिवार बीते साल जनवरी में दिल्ली गया था। वे परिवार को एयरपोर्ट छोड़कर लौटे तो मन बैचेन था। वे सीधे गंगा किनारे पहुंच गए। उन्होंने भैंसासुर घाट से वॉक शुरू की। रात ज्यादा होने के कारण उस दिन वे लौटकर घर आ गए। अगले दिन उन्होंने सभी 84 घाट घूमने का निर्णय लिया। डॉ. मिश्रा के मुताबिक- पंचगंगा घाट के पास एक आदमी बेहोश होकर गिर गया। उसे देखकर अच्छा नहीं लगा। पास का मेहता अस्पताल बंद था। यही मेरा पहला मरीज था। एक बार मणिकर्णिका पर अंतिम संस्कार के समय एक व्यक्ति को मिर्गी का दौरा पड़ा। उसका भी इलाज किया। बस तभी से घाट पर नियमित रूप से लोगों का इलाज शुरू किया।

नशामुक्ति के लिए भी छेड़ा अभियान
डॉ. मिश्रा ने बताया- घाटों पर काफी युवा नशा करते हुए दिखाई देते थे। यह कई तरह के अपराध की वजह भी बनता था। इसलिए डीजीपी को ट्वीट कर मदद मांगी। अब चौकी इन्चार्ज और एक सिपाही भी घाटों पर वॉक करता है। घाट नशामुक्त हो गए हैं।

घाट वॉक का मना पहला बर्थडे
घाट वॉक सोशल मीडिया पर ट्रेंड है। घाट वॉक की जानकारी रखने वाले मरीज भी इलाज के लिए पहुंच जाते हैं। 14 जनवरी को घाट वॉक का पहली सालगिरह मनाई गई, जिसमें करीब 1500 लोग शामिल हुए। इनमें नाविक, प्रोफेसर, संगीतकार, कलाकार, नौकरशाह, डॉक्टर, स्टूडेंट सभी शामिल हुए। सभी ने समाजसेवा में योगदान को लेकर शपथ ली और स्वच्छता को मुख्य उद्देश्य बनाया।

गलियों में कोई अस्पताल नहीं
डॉक्टर मिश्रा बताते हैं- रामघाट पर स्थित मेहता अस्पताल बंद हो गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से यही अपील है कि मेहता अस्पताल बीएचयू को दे दिया जाए। 84 घाटों से सटी गलियों में रहने वाले लोगो को जीवनदान मिल जाएगा। मैं चाहता हूं कि अन्य डॉक्टर भी घाटों पर असहाय-जरूरतमंदों को अपना योगदान दें।