गैजेट डेस्क. चांद पर पानी किस तरह बनाया जा सकता है, इसका तरीका नासा के वैज्ञानिकों ने पता लगा लिया है। वैज्ञानिकों ने कम्प्यूटर एल्गोरिदम के जरिए चांद पर पानी बनाने की प्रक्रिया को समझाने की कोशिश की है। उनके मुताबिक, प्रोटॉन से भरी सोलर विंड चांद की सतह पर 450 किमी प्रति सेकंड की रफ्तार से बहती है, जिससे चांद की सतह पर ऐसे तत्व पैदा होते हैं, जिनसे पानी बनाया जा सकता है।
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नासा के वैज्ञानिकों ने बताया, ‘‘सोलर विंड में प्रोटॉन रहते हैं, जबकि चांद पर इलेक्ट्रॉन मौजूद रहते हैं। इन दोनों के मिलने से हाइड्रोजन (H) परमाणु बनते हैं। चांद की मिट्टी पर ऐसे कई अणु होते हैं जिनसे ऑक्सीजन निकलती है। इसके बाद हाइड्रोजन और ऑक्सीजन मिलकर हाइड्रोक्सिल (OH) बनाते हैं, जो पानी (H2O) का घटक है।’’
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नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में प्लाज्मा फिजिसिस्ट विलियम फैरल का कहना है, ‘‘हमें लगता था कि पानी एक जादुई तत्व है लेकिन यहां की हर चट्टान में पानी बनाने की क्षमता है। खासकर तब, जब सोलर विंड चांद की सतह पर बहती है।’’
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नासा के वैज्ञानिक ओरेंथल जेम्स टकर ने कहा, ‘‘चांद पर पानी या पानी के घटकों की जानकारी मिलना हमारे लिए बेहद जरूरी है क्योंकि इससे चांद पर इंसानों की बस्ती बसाई जा सकेगी।’’ वैज्ञानिकों के मुताबिक, चांद पर कितना पानी है या उसके संभावित स्त्रोत क्या हैं, इसकी जानकारी इंसानों को वहां भेजने के लिए बहुत जरूरी है। इससे भी ज्यादा जरूरी है कि हम चांद पर ऐसी जगहों का पता लगाएं, जहां पानी बनाया जा सकता है।