गैजेट डेस्क. एक रोबोट को टीवी शो इसलिए दिखाया गया ताकि वह डिमेंशिया के लक्षणों को पहचान सके। दावा है कि इस तरह का यह पहला रोबोट है, जिसने टीवी शो देखकर फेशियल एक्सप्रेशन को पहचानना सीखा। दरअसल, ‘रॉबी’ नाम के रोबोट को टीवी शो ‘इमरडेल’ दिखाया गया। इसमें एश्ले थॉमस नाम का कैरेक्टर डिमेंशिया से पीड़ित होता है। डिमेंशिया एक तरह की बीमारी होती है, जिसमें इंसान की याद्दाश्त कमजोर हो जाती है और वह छोटी-छोटी बातें भी भूल जाता है।
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रॉबी को एज हील यूनिवर्सिटी के कम्प्यूटर साइंटिस्ट डॉ. एर्डेन्डु बेहेरा और उनकी टीम ने तैयार किया है। इस रोबोट को इंसान की तरह ही आकार दिया गया है, जो चल सकता है और मूवमेंट भी कर सकता है। ये रोबोट आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी की मदद से इंसान के चेहरे को समझ और पढ़ सकता है।
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यह रोबोट उनकी बॉडी लैंग्वेज और बिहेवियर को भी समझ सकता है। रॉबी को तैयार करने वाली टीम को उम्मीद है कि ये रोबोट डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति की निगरानी करने और उन्हें इससे उबरने में मदद कर सकता है। डिमेंशिया से दुनियाभर में 4.7 करोड़ लोग पीड़ित हैं।
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डॉ. बेहेरा ने बताया, ‘रॉबी डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति के बिहेवियर को समझ सकता है। उनकी दिमागी समस्या को देख सकता है और देख सकता है कि वे कितना एक्टिव हैं, क्या खाते-पीते हैं और क्या वे नियमित रूप से दवाई लेते हैं?’ उन्होंने बताया, “फिलहाल डिमेंशिया को ठीक करने का इकलौता तरीका ऑब्जर्वेशन है और इसमें काफी समय लगता है और इसमें खर्चा भी होता है लेकिन इस रोबोट की मदद से इसे कम किया जा सकेगा।”
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डॉ. बेहेरा के मुताबिक, इस रोबोट को डिजाइन करने का मकसद ऐसे लोगों की मदद करना है, जो अकेले रहते हैं और अकेलेपन में उन्हें अपनी मदद के लिए किसी की जरूरत होती है। उन्होंने बताया, “रॉबी पहला ऐसा रोबोट है जो विजन-बेस्ड रिकग्निशन तकनीक का उपयोग करता है। इसकी मदद से ये एग्रेसिव, डिप्रेसिव, खुशी और न्यूट्रल चार तरह के बिहेवियर समझने में सक्षम है।”
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उन्होंने दावा किया कि रॉबी इस बात का पता भी लगा सकता है कि डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति क्या परेशानी में है? वह उसे शांत करने के लिए हल्का म्यूजिक बजा सकता है। टीम ने दावा किया है कि रॉबी 80 तरह की इंसानी भावनाओं को भी समझ सकता है और एक दिन इसका इस्तेमाल डिमेंशिया को ठीक करने में किया जाएगा।
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टीम में शामिल एक छात्र जैचरी व्हार्टन का कहना है, “रॉबी को तैयार करने का मकसद डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति के बिहेवियर को समझना है। साथ ही ये पता लगाना है कि पीड़ित व्यक्ति कब और कैसे गुस्सा दिखाना शुरू करता है और खुद को शांत करने के लिए क्या करता है।”
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व्हार्टन ने बताया कि जब डिमेंशिया से पीड़ित व्यक्ति किसी परेशानी में होता है तो उसे शांत करने का सबसे अच्छा तरीका है कि उसके साथ खेलें, गाने सुनाएं या उससे बात करें और ये सब रॉबी कर सकता है। ये रोबोट न सिर्फ पीड़ित व्यक्ति के जीवन का अहम हिस्सा बन सकता है बल्कि उन्हें ठीक होने में भी मदद कर सकता है।