चंडीगढ़.पंजाब के थानों में अब एक हिस्सा लॉ एंड आर्डर और दूसरा हिस्सा इन्वेस्टिगेशन का होगा। लाॅ एंड आर्डर थाने के एसएचओ देखेंगे और तीन साल तक की सजा वाले मामलों की जांच भी करेंगे। तीन साल से ज्यादा सजा वाले बड़े मामलों की जांच ब्यूरो आफ इन्वेस्टिगेशन का स्टाफ देखेगा, जिला स्तर की जिम्मेदारी एसपी व डीएसपी को सौंपी गई है। शुक्रवार को कैबिनेट ने ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन को मंजूरी दे दी है। साथ ही 4251 नए पद बना दिए गए हैं।
इनमें एसपी के 28, डीएसपी के 108 पदों के अलावा इंस्पेक्टरों के 164, सब-इंस्पेक्टरों के 593, एएसआई के 1140, हैड कांस्टेबलों के 1158 और कांस्टेबलों के 373 पद शामिल हैं। इसी तरह मिनिस्ट्रियल काडर के 159 पद और सहायक सिविलियन स्टाफ के लिए 798 पद क्रिएट किए जाएंगे। लेकिन इसके एवज में जिलों के साथ-साथ हैडक्वार्टर पर पुलिस कर्मचारियों की बराबर संख्या में पद खत्म किए जाएंगे।
नशे के केस एसटीएफ देखेगी :
इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो में फिलहाल 9 से अधिक अफसर एवं कर्मचारी तैनात होंगे, जो बड़े मामलों की जांच करेंगे। बाद में स्टाफ की संख्या बढ़ाई जाएगी। एनडीपीएस एक्ट के मामले एसटीएफ ही देखेगी। इसमें कमर्शियल क्वांटिटी से लेकर नशे की बड़ी खेप से जुड़े मामले होंगे।
इसलिए पड़ी जरूरत :
लॉ एंड आर्डर को इन्वेस्टिगेशन से अलग करने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि अभी तक लॉ एंड ऑर्डर, सभी मामलों की जांच, धरने-प्रदर्शनों पर सिक्योरिटी, वीआईपी ड्यूटी और इलाके से संबंधित अन्य सभी काम थाना पुलिस कर रही थी। ऐसे में जांच में लंबा समय लग रहा था।
पत्रकारों के लिए पेंशन स्कीम, 20 साल की मान्यता जरूरी :
कैबिनेट ने मान्यता प्राप्त वैटरन पत्रकारों को हर महीने 12000 पेंशन मंजूर की है। स्कीम का लाभ केवल वे वैटरन पत्रकार ले सकेंगे जिनकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक की है और कम से-कम 20 साल तक सूचना एवं लोक संपर्क विभाग से मान्यता प्राप्त हो। पेंशन उस पत्रकार को नहीं मिलेगी, जिस पर क्रिमिनल केस चल रहा हो। पत्रकार की तरफ से पूर्ण या आंशिक रूप वाले किसी फंड से मिलती पेंशन के अलावा और कोई वेतन या पेंशन न ली जा रही हो, तो वह भी इस स्कीम के अंतर्गत अयोग्य नहीं माना जाएगा।
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