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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

जजमेंट दिखाकर वकील बोला-17 कत्ल करने वालों को फांसी नहीं हुई तो राम रहीम को क्यों

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चंडीगढ़.जब सीबीआई के वकील एचपीएस वर्मा ने जजमेंट का हवाला देते हुए कहा कि गुरमीत राम रहीम पहले साध्वियों के यौन शौषण का आरोपी है, सजा काट रहा है, उसने लोगों की आस्था से खेला है, अपनी पावर दिखाते हुए उसने सच लिखने वाले पत्रकार की हत्या कर दी। ऐसे में उसे सिर्फ और सिर्फ फांसी की सजा ही दी जाए। बहस में डेरा प्रमुख के वकीलों की ओर से कई केसों की और रूलिंग का हवाला दिया।

इसमें पंजाब, छत्तीसगढ़, केरला और कर्नाटक के तीन केसों के बारे में बताया गया। कहा गया था कि ये तीन केस भी इसी केस की तर्ज पर है। इसमें साजिशकर्ता को मेन दोषियों की तर्ज पर सजा नहीं हुई थी। ये सब सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग के तहत है। डेरे के वकीलों की ओर से ऐसे केसों में माछी सिंह स्टेट/पंजाब स्टेट का हवाला दिया गया, जिसमें अलग-अलग पांच इंसीडेंट मेंज 17 लोगों का मर्डर किया गया था, इसमें कोर्ट ने उन्हें दोषी किया। लेकिन ये सब कत्ल जिसके इशारे में हुए,उसके सामाजिक कार्यों को देखते हुए सिर्फ 120 बी यानि कत्ल की साजिश के तहत की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट ने ये दलीलें खारिज कर दीं।

पहली बार लगी लेट तक कोर्ट :

सीबीआई कोर्ट पहली बार इतनी देर तक लगी रही। सीबीआई और डेरा प्रमुख के वकीलों की बहस पूरी होने के बाद शाम तक सभी ऑर्डर का इंतजार करते रहे। फैसला शाम 6:18 बजे आया। फैसला आने के 20 से 22 मिनट के बाद ही सीबीआई के वकील और अंशुल छत्रपति बाहर आए।

हाथ जोड़े खड़ा रहा गुरमीत सिंह:
डेरा प्रमुख की पेशी के लिए रोहतक की सुनारिया जेल में टैंपरेरी कोर्ट लगाई गई थी। जहां स्टाफ को रहने के लिए कहा गया था। डेरा प्रमुख 2 बजे से ही वीसी पर आगया था। वह पूरे समय हाथ जोड़कर खड़ा रहा। उसने कैदियों के कपड़े डाले हुए थे, जबकि सिर पर काले रंग की एक ऊन की टोपी पहनी हुई थी।

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Court decision live on Gurmeet Ram Rahim