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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

7वें दिन रोडवेज यूनियन ने फिर तीन दिन के लिए आगे बढ़ाई हड़ताल, बिजली कर्मचारी भी हुए शामिल

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पानीपत/चंडीगढ़। हरियाणा रोडवेज की हड़ताल सातवें दिन फिर आगे बढ़ा दी गई है। अम्बाला में आयोजित रोडवेज तालमेल कमेटी की बैठक में हड़ताल को तीन दिन और बढ़ाने का फैसला लिया गया है।रोडवेज यूनियन और सरकार दोनों अपनी-अपनी मांगों पर अड़ी हुई है, इस वजह से आम जनता को परेशानी उठानी पड़ रही है। वहीं रविवार को रोडवेज हड़ताल के समर्थन में बिजली विभाग के कर्मचारियों ने भी रविवार रात से हड़ताल पर चले गए हैं। हरियाणा स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड वर्करज यूनियन ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है। इससे बिजली सप्लाई भी प्रभावित हो सकती है।

इससे पहले हड़ताल के छठे दिन रविवार को सरकार व रोडवेज यूनियन के पदाधिकारियों की वार्ता भी बेनतीजा रही थी। 5 दौर की 4 घंटे तक चली बैठक में केवल ड्रामा और हंगामा हुआ। लेकिन आम जनता को राहत देने के लिए सहमति नहीं बन पाई। सरकार प्राइवेट बसों की टेंडर प्रक्रिया की जांच कराने की बात कहती रही, तो कर्मचारी नेता टेंडरों को रद्द करने की जिद पर अड़े रहे। बताया जा रहा है कि रोडवेज यूनियन के नेता 5 सितंबर की हड़ताल के बाद से ही आगे की प्लानिंग में जुट गए थे। हड़ताल के लिए हर शहर और डिपो में जाकर कर्मचारियों का समर्थन जुटाया। इससे अब तक की दूसरी सबसे बड़ी हड़ताल का ग्राउंड तैयार कर लिया।

वहीं, सरकार ने समय रहते ड्राइवर्स व कंडक्टर्स का बैकअप तक नहीं बनाया। अब हड़ताल के दौरान भी यूनियन के बड़े नेता अंडरग्राउंड रहकर कर्मचारियों को संदेश पहुंचाते रहे तो सेकेंड लाइन के नेता जेल में बैठकर अपना मैसेज देते हुए हड़ताल चलाते रहे। हालात बिगड़े तो सरकार ने छठे दिन वार्ता के लिए बुलाया, जिसमें कोई हल नहीं निकल पाया।

5 दौर की बैठक, कर्मचारी व सरकार अपनी जिद पर अड़े
चंडीगढ़ के सेक्टर-17 में परिवहन विभाग के महानिदेशक के ऑफिस में यूनियन पदाधिकारियों व अफसरों में 5 दौर की बैठक हुई। बैठक में पहुंचने से पहले यूनियन पदाधिकारियों ने अम्बाला में बैठक कर रणनीति बनाई। करीब ढाई बजे मीटिंग के लिए पहुंचे। जबकि 12 बजे बुलाया था। पहले सेकेंड लाइन के पदाधिकारियों को भेजा। क्योंकि डर था कि कहीं गिरफ्तारी न करा दें।

पहला दौर: दोपहर बाद 2:40 बजे
यूनियन पदाधिकारी बैठक के लिए पहुंचे। यहां डीजी पंकज अग्रवाल, एडिशनल डायरेक्टर वीरेंद्र दहिया व सम्वर्तक सिंह मौजूद थे। दोनों पक्षों में चर्चा हुई। डीजी कोई फैसला नहीं ले सके तो मीटिंग 4 बजे खत्म हुई।

दूसरा दौर: शाम 4:30 बजे
सीएम के प्रधान सचिव आरके खुल्लर व परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) धनपत सिंह पहुंचे। 10 मिनट बाद ही कर्मचारी नेता गुस्से में हंगामा करते बाहर निकले। डीजी व दोनों एडिशनल डायरेक्टर दो मंजिल नीचे तक आए व मनाकर ले गए।

तीसरा दौर: शाम 4:45 बजे
यूनियन पदाधिकारियों ने मीडिया को अंदर बुला लिया। कहा कि जो भी होगा, मीडिया के सामने होगा। इस दौरान खूब हंगामा हुआ। 5.52 तक बातचीत चली।

चौथा दौर: शाम 5:50 बजे
मीडिया को अंदर नहीं जाने दिया। 6.30 बजे सब बाहर आ गए। पीएस टू सीएम ने फोन पर किसी से बात की।

5वां दौर: शाम 6:40 बजे
बंद कमरे में तय हुआ कि आरके खुल्लर सीएम को ब्योरा देंगे। पदाधिकारी बोले कि जब भी मंत्री व सीएम से वार्ता के लिए बुलाएंगे आज जाएंगे। 6:50 पर बैठक खत्म।

यूनियनों का तर्क- बसों के टेंडर में बड़ा घोटाला, इन्हें रद्द कर जांच कराएं अधिकारी बोले- किसी भी जांच में गड़बड़ी मिली तो टेंडर रद्द कर देंगे
हरिनारायण शर्मा : पहले 510 बसों के टेंडर रद्द किए जाएं, फिर जांच हो और जो दोषी पर कार्रवाई हो। फिर से रीटेंडर किए जाएं।
खुल्लर : पहले जांच कराएंगे फिर टेंडर रद्द करेंगे।
दलबीर किरमारा : क्या 720 बसों के लिए 53 आदमी ही मिले हैं। ये आपके चहेते और मिलने वाले थे। टेंडर में बड़ा घोटाला हुआ है।
खुल्लर : जिससे कहेंगे, उसी से जांच करा लेते हैं। गड़बड़ी मिली तो टेंडर रद्द करा देंगे। आप कह रहे हैं कि दूसरे राज्यों में 20-22 रु. प्रति किमी में बसें चल रही है। अभी 190 बसों के टेंडर बाकी हैं, आप एजेंसियों को ले आएं। ऐसा हुआ तो टेंडर रद्द कर देंगे।
एसीएस धनपत सिंह : मैं भी कर्मचारी हूं। 130 करोड़ रुपए कर्मचारियों के ओवरटाइम पर खर्च हो रहा है। प्रति व्यक्ति 65 हजार रुपए तक वेतन पड़ रहा है। उनके यह बोलते ही हंगामा शुरू हो गया।
दलबीर किरमारा : एसीएस की वजह से ही हड़ताल हो रही है। यदि पहले बुलाकर बातचीत करते तो यह नहीं होता। मंत्रियों की भी बसें हैं, आप बसों के मालिकों की लिस्ट जारी करो।
खुल्लर : बसे चलानी है या नहीं, इस पर बात हो।
सरबत पूनिया : आप रोडवेज की बसें चलवाएं। सर्वे करा लीजिए कि जनता प्राइवेट बसों में बैठना चाहती है या सरकारी बसों में।
हमारी परेशानी के लिए ये जिम्मेदार
रोडवेज यूनियन : हड़ताल से आम जनता को हो रही परेशानी के लिए पहली जिम्मेदार रोडवेज यूनियन की बनती है। उनका सरकार के खिलाफ विरोध अलग बात हैं, लेकिन उसके लिए इतने दिन तक जनता को परेशान करना ठीक नहीं। सरकार से अपनी बात मनवाने के लिए कोई और तरीका भी निकाला जा सकता है। हर बार आम जनता को परेशान करना कितना सही है।
सरकार : सरकार ने पांच सितंबर को हड़ताल के बाद से अपनी आगामी कोई प्लानिंग नहीं बनाई। जबकि यूनियन अपना काम नीचे-नीचे करती रही। सभी यूनियन एकसाथ एकत्रित होकर आई तो सरकार के पास कोई प्लान ही नहीं था। अब भी 6 दिन से जनता परेशान है, लेकिन सरकार ने छठे दिन यूनियन नेताओं को मनाने के प्रयास शुरू किए हैं।

आगे क्या : आज भी राहत के आसार नहीं
सरकार की तैयारी :
रोडवेज विभाग ने हर जिले में आउट सोर्सिंग पॉलिसी-2 के तहत 35 से 50 चालक भर्ती किए हैं। जो सोमवार को डिपो में पहुंच जाएंगे। एसीएस धनपत सिंह ने कहा कि स्कूलों की बसें चली जाएंगी तो भी दिक्कत नहीं आएंगी। जो चालक भर्ती किए हैं, वे बसें चलाएंगे।
आज खुलेंगे स्कूल-कॉलेज : सोमवार से स्कूल-कॉलेजों की बसें वापस चली जाएंगी। 3 दिन अवकाश के बाद दफ्तर खुलेंगे। इससे यात्रियों की संख्या बढ़ेगी। अमृतसर हादसे के बाद ट्रेनें भी प्रभावित चल रही हैं। ऐसे में परेशानी बढ़ना तय है।

यूनियनों का स्टैंड : कर्मचारियों की सोमवार तक पहले से हड़ताल घोषित है। ऐसे में वार्ता विफल होने पर सोमवार दोपहर एक बजे तालमेल कमेटी की मीटिंग होगी। तालमेल कमेटी के वरिष्ठ सदस्य हरिनारायण शर्मा ने कहा कि वे बातचीत के लिए तैयार हैं। जब भी बुलाया जाएगा, हम चले जाएंगे।

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सीएम के प्रधान सचिव आरके खुल्लर और रोडवेज प्रधान हरिनारायण शर्मा के बीच तीखी बहस होते हुए।
बातचीत विफल होने के बाद बाहर मौजूद रोडवेज यूनियन के प्रधान।
रोडवेज यूनियन और अधिकारियों के बीच हुई पांच दौर की बातचीत।