तिरुअनंतपुरम. महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटने के बाद सबरीमाला मंदिर बुधवार को पहली बार मासिक पूजा के लिए खोला जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने 12वीं सदी के भगवान अयप्पा के मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगा प्रतिबंध हटा दिया था। केरल सरकार ने कहा है कि हम कोर्ट के आदेश को लागू करेंगे। नीलाक्कल स्थित बेस कैंप में एक हजार सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। लेकिन, पूरे राज्य में अदालत के फैसले का विरोध किया जा रहा है। हंगामे और सामूहिक आत्महत्या की धमकी भी दी गई है। फैसले का विरोध करने वालों में महिलाएं भी शामिल हैं।
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मंगलवार को भगवान अय्यपा के हजारों भक्तों ने मंदिर जाने वाले सभी रास्तों पर पहरा लगा दिया। मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 28 सितंबर के आदेश के खिलाफ 10 दिन से प्रदर्शन कर रहे हिंदू संगठनों ने जगह-जगह गाड़ियां रोककर महिलाओं को वापस भेजा।
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मंदिर जाने वाले सभी रास्तों पर 15-20 किलोमीटर पहले भक्तों ने नाके लगा रखे हैं। उनका कहना है कि सरकार ने एक भी महिला को मंदिर में प्रवेश के लिए दबाव बनाया तो वे खुदकुशी करना शुरू कर देंगे। मुख्यमंत्री पी. विजयन ने कहा- किसी भी श्रद्धालु को मंदिर पहुंचने से न रोका जाए। चाहे वह कोई महिला ही क्यों न हो।मंदिर में दर्शन का कवरेज कर रही महिला पत्रकार ने कहा कि उसे भी श्रद्धालुओं ने रोका, जबकि उसका मंदिर में जाने का कोई इरादा नहीं था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ महिलाएं भी प्रदर्शन कर रही हैं।
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तनाव की स्थिति को संभालने के लिए त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) और पंडालमराजपरिवार के सदस्यों के बीच मंगलवार को अहम बैठक हुई। इस बैठक में कोई भी नतीजा नहीं निकल सका, क्योंकि टीडीबी ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से इनकार कर दिया। बैठक में अयप्पा सेवा संघम और योग क्षेम सभा के सदस्य भी शामिल थे।
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सबरीमाला का बेस कैम्प कहे जाने वाले नीलक्कल में हालात ज्यादा तनावपूर्ण हैं। यहां हजारों महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का विरोध शुरू कर दिया है। एक महिला श्रद्धालु ने कहा कि मासिक पूजा के लिएहम यहां 10 से 50 साल तक की महिलाओं को नहीं जाने देंगे। नीलाक्कल में 800 पुरुष और 200 महिला सुरक्षाकर्मी तैनात की गई हैं। 500 पुलिसकर्मी सन्नीधानम में तैनात किए गए हैं।
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सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के फैसले के खिलाफ केरल के राजपरिवार और मंदिर के मुख्य पुजारियों समेत कई हिंदू संगठनों ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की थी। अदालत ने सुनवाई से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश करने की इजाजत दी। यहां 10 साल की बच्चियों से लेकर 50 साल तक की महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी थी। प्रथा 800 साल से चली आ रही थी।
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सबरीमाला मंदिर पत्तनमतिट्टा जिले के पेरियार टाइगर रिजर्वक्षेत्र में है। 12वीं सदी के इस मंदिर में भगवान अय्यप्पा की पूजा होती है। मान्यता है कि अय्यपा, भगवान शिव और विष्णु के स्त्री रूप अवतार मोहिनी के पुत्र हैं। दर्शन के लिए हर साल यहां 4.5 से 5 करोड़ लोग आते हैं।