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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

सेक्टर-37 औद्योगिक क्षेत्र में भारी बिजली संकट, पीएफटीआई ने एनजीटी से की शिकायत

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सेक्टर-37 औद्योगिक क्षेत्र में भारी बिजली संकटपीएफटीआई ने एनजीटी से की शिकायत

– रविवार को औद्योगिक क्षेत्र में रहा भारी संकट काम रहा पूरी तरह से ठप

 

– रोजाना हो रही भारी बिजली कटौती से औद्योगिक क्षेत्र में हाहाकार की स्थित

 

 

गुरुग्राम: सेक्टर-37 औद्योगिक क्षेत्र में लगातार हो रही भारी बिजली कटौती से हाहाकार की स्थिति बनी हुई है। लगभग 1100 औद्योगिक इकाइयों वाले इस इंडस्ट्रियल एरिया में रविवार को छह से सात घंटे की बिजली कटौती हुई। इससे बड़ी संख्या में फैक्टरियों में काम पूरी तरह से ठप रहा। उद्यमियों की शिकायत है कि पिछले कई दिनों से यहां दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम (डीएचबीवीएन) की ओर से लगातार बिजली काटी जा रही है। इससे उद्योग जगत को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। इसी समस्या को लेकर प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (पीएफटीआई) के गुड़गांव अध्यक्षपीके गुप्ता ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) को पत्र लिखा है।

पत्र में इस बात का जिक्र किया है कि एनजीटी के गाइडलाइन के अनुसार औद्योगिक क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति होनी चाहिएइसके बाद भी डीएचबीवीएन द्वारा सेक्टर-37 औद्योगिक क्षेत्र में लगातार बिजली की कटौती की जा रही है। बिजली निगम एनजीटी के आदेशों की धज्जियां उड़ाने का काम कर रहा है। जो औद्योगिक सेहत के साथ भयंकर खिलवाड़ है।  डीएचबीवीएन द्वारा बिजली की इस प्रकार से मनमानी कटौती मेंटिनेंस और स्मार्ट ग्रिड प्राजेक्ट के नाम पर की जा रही है। रविवार को कई बार कट लगा जो कुल मिलाकर छह से सात घंटे की अवधि वाला रहा। इसके कारण उद्योगों को भारी आर्थिक नुकसान (करोड़ों रुपए) हो रहा है। डीएचबीवीएन द्वारा तीन घंटे का पावर कट बोलकर छह से सात घंटे की बिजली काटी जा रही है।

ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) के स्टेज-3 तथा 4 के अंतर्गत औद्योगिक इकाइयों में डीजल जेनरेटर का संचालन प्रतिबंधित है। ऐसे में बिजली कटौती के कारण सेक्टर-37 औद्योगिक क्षेत्र में स्थित औद्योगिक इकाइयों में हजारों की संख्या में श्रमिकों को खाली बैठना पड़ता है। ऐसे में औद्योगिक उत्पादन का भारी नुकसान हो रहा है। पीएफटीआई ने एनजीटी से अनुरोध किया है कि इस क्षेत्र से संबंधित डीएचबीवीएन अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए तथा डीएचबीवीएन के मनमाने रवैये से उद्योगों छुटकारा दिलाया जाए। स्मार्ट ग्रिड प्रोजेक्ट का काम पिछले पांच साल से चल रहा है मगर ग्रेप के ही दिनों में बिजली निगम को इसके नाम पर पावर कट की याद आती है।

बिजली संकट के कारण निर्यात करने वाली इकाइयों को अपने ऑर्डर को समय से पूरा करने में भारी दिक्कत आ रही है। इस वजह से उनकी शिपमेंट भी बाधित हो रही है। ऐसे में विदेशी बाजार में निर्यातकों की साख भी नकारात्मक रूप से प्रभावित हो रही है। मनमाने ढंग से हो रही बिजली कटौती के कारण औद्योगिक उत्पादन पर कुप्रभाव पड़ रहा है। श्रमिकों की औद्योगिक इकाइ में उपस्थिति के बाद भी काम नहीं हो पा रहे हैं। एनजीटी को लिखे पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि उद्योगों को मनमाने पावर कट से जो नुकसान हो रहा है उससे छुटकारा दिलाया जाए साथ ही औद्योगिक इकाइयों को हो इस कारण हो रहे आर्थिक नुकसान की क्षतिपूर्ति की की जाए।