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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

शहर का विकास अस्थाई कर्मचारियों के हाथ – मानव आवाज

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जीएमडीए में 469 में से मात्र 3 अधिकारी नियमित
विभाग ने वर्ष 2018-19 में 1001 करोड़ रुपये में से मात्र 347 करोड़ रुपये किए खर्च

गुरूग्राम – 03 मई

जरा सोचिए, अगर गुरुग्राम के विकास के लिए जिम्मेवार शीर्ष संगठन गुरुग्राम महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) शहर के विकास की अपनी महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी को आऊटसोर्स कर दे तो, शहर का विकास कैसे हो पाएगा। कम से कम प्राधिकरण की कार्यशैली से तो यही लगता है जहां पर पूरे स्टाफ में से केवल 3 अधिकारियों की ही नियमित तौर पर भर्ती की गई है।

मानव आवाज संस्था के संयोजक एडवोकेट अभय जैन और प्रवक्ता बनवारी लाल सैनी ने बताया कि वर्तमान में जीएमडीए में कुल 469 कर्मचारी और अधिकारी कार्यरत है जिनमें से तीन अधिकारियों को छोड़ कर बाकी के सभी 466 कर्मचारी नियमित नौकरी पर नहीं है।

प्राधिकरण में 336 कर्मचारी आऊटसोर्स किए गए हैं जबकि 60 अनुबंध पर और 54 डेप्यूटेशन पर है। इनमें मुख्य अभियंता इंफ्रास्ट्रक्चर, मुख्य महाप्रबंधक, मुख्य नगर योजनाकार, मुख्य लेखा अधिकारी, आई टी प्रमुख, पर्यावरण, स्मार्ट सिटी सलाहाकार, इंजीनियरिंग सलाहाकार जैसे महत्त्वपूर्ण पद शामिल है। 5 अधिकारियों के पास अतिरिक्त कार्यभार हैं।

मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पर्सनल स्टाफ में 7 लोग है। वे सभी या तो डेप्यूटेशन पर है या फिर आऊटसोर्स किए गए है। मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पीए, चपरासी और ड्राईवर भी डेप्यूटेशन पर है। ऐसी स्थिति में विभाग की गोपनीयता कैसे बरकरार रह सकती है।

स्थाई स्टाफ के न होने के साथ-साथ जीएमडीए के प्रभावी ढंग से काम न करने का कारण इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी वी उमाशंकर को अतिरिक्त प्रभार दिया जाना भी है। वी उमाशंकर जीएमडीए की जिम्मेदारी के अतिरिक्त चण्डीगढ़ में मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव और हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण में मुख्य कार्यकारी अधिकारी का कार्य भार भी सम्भाल रहे हैं। दिक्कत यह है कि इन तीन प्रभारों से न्याय करना सम्भव नहीं है। क्योंकि मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव और हरियाणा किसान कल्याण प्राधिकरण में मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तौर पर चण्डीगढ़ में मौजूदगी अनिवार्य है जबकि जीएमडीए के मुख्य कार्यकारी अधिकारी का कार्यालय गुरुग्राम में हैं।

जीएमडीए ने वित्तिय वर्ष 2018-19 के दौरान 1001.42 करोड़ रुपये का विभिन्न परियोजनाओं पर शहर में खर्च करना था, परन्तु विभाग मात्र 347.14 करोड़ रुपये ही खर्च पाया। विभाग का लक्ष्य वित्तिय वर्ष 2018-19 में 490.15 करोड़ रुपये इकठ्ठा करना था, परन्तु विभाग मात्र 109.77 करोड़ रुपये ही इकठ्ठे कर पाया। अर्थात् जीएमडीए ने वित्तिय वर्ष 2018-19 में 109.77 करोड़ रुपये इकठ्ठे किए और 347.14 करोड़ रुपये खर्च किए।

जीएमडीए ने वित्तिय वर्ष 2019-20 के लिए 675.20 करोड़ रुपये इकठ्ठा करने का लक्ष्य और 1433.07 विभिन्न परियोजनाओं पर खर्च करने की योजना बनाई हैं।

अभय जैन ने दुःख प्रकट किया कि जीएमडीए आरम्भ से ही वित्तिय नुकसान में चल रहा है।

अभय जैन ने बताया कि राज्य सरकार जीएमडीए को लेकर कितनी गम्भीर है, इसका अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक तरफ तो जीएमडीए के लिए स्थाई फण्ड का प्रबन्ध नहीं किया गया हैं वही दूसरी ओर भारी भरकम तन्खवाह पर अनेक सलाहकारों की नियुक्ति की गई है। ज्ञात रहे कि प्राधिकरण का कार्यालय एक किराये की बिल्डिंग में चल रहा है।

आज गुरुग्राम की आबादी तेजी से बढ़ रही है और शहर देश विदेश में कार्पोरेट तथा वित्तिय हब के रुप में अपनी पहचान बना चुका है। गुरुग्राम पूरे हरियाणा को 50 प्रतिशत से अधिक राजस्व का योगदान दे रहा है। यह शहर फारच्यून 500 कंपनियों का गढ़ बन चुका है। इसे देखते हुए गुरुग्राम में जीएमडीए का गठन इस उददे्श्य से किया गया था कि शहर का विकास तेजी से तथा समन्वित ढंग से किया जा सके। लेकिन जीएमडीए प्रभावी ढंग से काम नहीं कर पा रहा है।

मानव आवाज संस्था ने हरियाणा के मुख्यमंत्री और मुख्यसचिव को पत्र लिखकर जीएमडीए में स्थाई भर्ती करने के साथ-साथ मुख्य कार्यकारी के शीर्ष पद को अतिरिक्त प्रभार से मुक्त करके इसे चुस्त-दुरुस्त करने की मांग की है ताकि जीएमडीए अपना सही दायित्त्व निभा सके और गुरुग्राम के विकास को गति मिल सके।