डोकलाम विवाद अभी शांति ही हुआ था कि चीन ने अपना रंग दिखा दिया. उसने एक बार फिर से भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ करने की हिमाकत की है. चीन का सड़क निर्माण दल भारत के अरुणाचल प्रदेश के तूतिंग क्षेत्र में करीब एक किलोमीटर अंदर तक आ गया. हालांकि जब भारतीय सैनिकों ने खदेड़ा, तो यह चीनी दल अपने उपकरण छोड़कर भाग गया. यह घटना 28 दिसंबर की है.
बुधवार को सरकारी सूत्रों ने बताया कि यह चीनी असैन्य दल मार्ग गतिविधियों के लिए आया था, लेकिन भारतीय सैनिकों के कड़े विरोध के बाद वापस लौट गया. चीनी दल अपने साथ खुदाई करने वाले उपकरण सहित सड़क बनाने में काम आने वाले कई उपकरण भी लेकर आआ था, जिसको वो वापस लौटते समय छोड़ गया. भारतीय सुरक्षा बलों ने चीनी दल के सड़क बनाने के उपकरणों को भी जब्त कर लिया है.
चीनी दल में सैनिक भी थे शामिल
अरुणाचल प्रदेश के स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक चीनी दल में सैनिकों के साथ असैन्य कर्मचारी भी थे. इससे करीब चार महीने पहले सिक्किम सेक्टर में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच डोकलाम गतिरोध खत्म हुआ था. सूत्रों ने बताया कि 28 दिसंबर को तूतिंग क्षेत्र में भारतीय सीमा प्रहरियों ने भारतीय क्षेत्र में एक किलोमीटर अंदर चीनी दल को सड़क बनाने से जुड़ा काम करते देखा.
दोनों पक्षों के बीच नहीं हुआ टकराव
सूत्रों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच कोई टकराव नहीं हुआ और इस मुद्दे को स्थापित प्रणाली के माध्यम से सुलझाया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार सड़क बनाने में काम आने वाले उपकरण वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार भारतीय क्षेत्र में पड़े हैं. स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक तूतिंग उपसंभाग में बिसिंग गांव के समीप चीनी सैनिक सड़क निर्माण काम में लगे थे और इस पर भारतीय जवानों ने उन्हें रोका. भारतीय जवानों ने उनके उपकरण भी जब्त कर लिए.
चीनी दल की दो मशीनें जब्त
सीमा के समीप के जीडो गांव के न्योमिन और गेलिंग गांव के पेमा न्यिसिर ने बताया कि खुदाई करने वाली दो मशीनें जब्त कर ली गई हैं. उन्होंने कहा कि गेलिंग में सियांग नदी के दाएं तट से सड़क निर्माण की गतिविधियां नजर आती हैं. उस जगह से गेलिंग की हवाई दूरी करीब सात आठ किलोमीटर है.
भारतीय सेना तैनात
ग्रामीणों ने बताया कि भारतीय और चीनी सैनिकों ने काटी गई मिट्टी के पास शिविर लगा दिए और पत्थरों से एक दीवार खड़ी कर दी. दरअसल, ग्रामीणों ने चीन की गतिविधियों के बारे में पुलिस को सूचनी दी, जिसने बिशिंग के समीप मेडोग में तैनात आईटीबीपी को इसकी खबर दी. दोनों पक्षों में कहासुनी हुई, लेकिन चीनी दल ने मानने से इनकार कर दिया. तब भारतीय सेना को वहां भेजा गया, जो अबतक वहां तैनात हैं.
वैसे तो संबंधित क्षेत्र की सुरक्षा आईटीबीपी के जिम्मे है, लेकिन क्षेत्र में सैनिकों की भारी संख्या में तैनाती की गई. इस संबंध में ऊपरी सियांग के उपायुक्त डुली कामदुक का कहना है कि तूतिंग उपसंभाग के हमारे अधिकारियों ने चीनी दल के आने की कोई खबर नहीं दी है. राज्य के प्रभारी मुख्य सचिव मारन्या एट ने कहा कि उनके पास ऐसी कोई सूचना नहीं है.
चीन ने घुसपैठ की घटना पर साधी चुप्पी
मामले में चीन ने कहा कि उसने अरुणाचल प्रदेश के वजूद को कभी माना ही नहीं है. साथ ही भारतीय सीमा क्षेत्र में घुसपैठ की घटना पर चुप्पी साध ली. इससे जुड़े सवाल पर चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि उनको इस बाबत कोई जानकारी नहीं है. चीन का दावा है कि अरुणाचल प्रदेश दक्षिण तिब्बत का हिस्सा है. वास्तविक नियंत्रण रेखा के 3,488 किमी लंबे हिस्से को लेकर भारत चीन सीमा विवाद है.
क्या था डोकलाम विवाद?
हाल ही में डोकलाम इलाके में भारत-चीन सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच 72 दिनों तक गतिरोध चला था. इस दौरान दोनों देशों के बीच माहौल काफी तनावपूर्ण हो गया था. ये विवाद सड़क बनाने को लेकर ही शुरू हुआ था. भारतीय सेना ने चीन के सैनिकों को इस इलाके में सड़क बनाने से रोक दिया था. इसके बाद दोनों देशों के बीच करीब 72 दिन तक गतिरोध चलता रहा. हालांकि इसको दोनों देशों ने सुलझा लिया था और चीन सेना अपने क्षेत्र में वापस लौट गई थी.
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020