Chandigarh Today

Dear Friends, Chandigarh Today launches new logo animation for its web identity. Please view, LIKE and share. Best Regards http://chandigarhtoday.org

Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

सिख पंथ को संविधान में अलग धर्म के तौर पर दर्जा देने की उठने लगी मांग

0
205


चंडीगढ़। भारतीय संविधान में सिख पंथ को अलग धर्म के तौर पर दर्जा दिलाने को लेकर शिरोमणि अकाली दल के सांसदों ने मुहिम छेड़ दी है। इसमें दिल्ली गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी भी उनका साथ दे रही है। अकाली दल के सांसद और डीजीएमसी के पदाधिकारी इस मामले को लेकर दिल्ली में केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से मिले। सुखदेव सिंह ढींडसा की अगुवाई में सांसद प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बलविंदर सिंह भूंदड, दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी के अध्यक्ष मनजीत सिंह जीके और पूर्व राज्यसभा सदस्य त्रिलोचन सिंह शामिल थे।
पत्रकारों से बातचीत में जीके व त्रिलोचन सिंह ने संविधान की धारा 25 के खंड 2बी में संशोधन करने की वकालत की। जीके ने कहा कि देश का संविधान हमें सिख नहीं मानता, इसलिए अकाली दल पिछले लंबे समय से संविधान में संशोधन कराने की लड़ाई लड़ रहा है। 1950 के दशक में संविधान सभा में मौजूद अकाली दल के दोनों प्रतिनिधियों भूपिंदर सिंह मान और हुक्म सिंह ने इसी कारण ही संविधान के मसौदे पर हस्ताक्षर करने से इन्कार कर दिया था।
इसके बाद 1990 के दशक में शि्अद नेता प्रकाश सिंह बादल और शिरोमणि कमेटी के पूर्व अध्यक्ष गुरचरण सिंह टोहड़ा ने दिल्ली में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान संविधान की प्रति जलाई थी। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान संविधान संशोधन की संभावना तलाशने के लिए भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एमएन वेंकटचलैया के नेतृत्व में राष्ट्रीय संविधान विश्लेषण आयोग बनाने की बात हुई थी।
प्रधानमंत्री से कर सकते हैं मुलाकात
जीके ने बताया कि आयोग ने इस मसले पर संविधान संशोधन की सिखों की मांग का समर्थन किया था। राज्यसभा में त्रिलोचन सिंह और लोकसभा में तब के अकाली सांसद रतन सिंह अजनाला भी संविधान संशोधन के लिए प्राइवेट बिल पेश कर चुके हैं, जिसे तत्कालीन स्पीकर मीरा कुमार ने मंजूरी दी थी।
उन्होंने कहा, ‘जरूरत पडऩे पर इस मसले पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की जा सकती है। मंत्रियों के साथ हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए जीके ने बताया कि सरकार की ओर से इस मसले पर सकारात्मक रुख दिखाया गया है। इसलिए कोई कठिनाई पैदा होने की संभावना हमें नजर नहीं आती।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने दी विलक्षण पहचान
त्रिलोचन सिंह ने संविधान संशोधन के पीछे के कारणों का हवाला देते हुए कहा कि धारा 25 के खंड 2बी में मंदिरों के अंदर दलितों के प्रवेश के समर्थन की बात करते हुए सिख, बौद्ध व जैन समुदाय के लोगों को हिंदू धर्म का हिस्सा बताया गया है। इसके पीछे संविधान बनाने वालों की मंशा को गलत नहीं ठहराया जा सकता। गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखों को अलग कौम के तौर पर विलक्षण पहचान दी है। इसलिए कोई भी इस बात पर हमारा विरोध नहीं करेगा।
त्रिलोचन सिंह ने सवाल किया कि जब जैन समुदाय को अब अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा मिल सकता है, तो सिखों को संविधान में अलग धर्म का दर्जा देने में क्या दिक्कत है? उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जजों ने भी एक मामले में सिखों को अलग धर्म का दर्जा संविधान में संशोधन के जरिये देने की वकालत की थी। वेंकटचलैया आयोग ने भी इस बात का समर्थन किया है।