अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के उपलक्ष में इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल हरियाणा के मंच पर शानदार संगोष्ठी का आयोजन
इंद्रप्रस्थ लिटरेचर फेस्टिवल हरियाणा की पंचकुला इकाई के सौजन्य से ऑनलाइन राष्ट्रीय काव्य संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें देश के विख्यात काव्यकारों ने अपनी सर्वोत्तम रचनाओं का पाठ किया। कार्यक्रम संयोजक एवं पंचकुला इकाई अध्यक्ष दर्शना सुभाष पाहवा के नेतृत्व एवं हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष डॉ कृष्णा कुमारी आर्या की देखरेख व मार्गदर्शन में आयोजित इस संगोष्ठी में संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ चन्द्रमणि ब्रह्मदत्त, प्रो परमानन्द दीवान, संतोष गर्ग व हरियाणा साहित्य अकादमी सेवानिवृत निदेशक डॉ मुक्ता विशेष रूप से उपस्थित रहे। संगोष्ठी का शुभारम्भ कोकिला कंठी दर्शना सुभाष पाहवा ने ‘वर दे मात मेरी’ सरस्वती वंदना से किया वहीं संस्था उपाध्यक्ष रेणु अब्बी ने संगोष्ठी से जुड़े सभी काव्यकारों का स्वागत अभिनन्दन किया। काव्य पाठ की कड़ी को आगे बढ़ाते हुए मंच संचालिका रेणुअब्बी ने चन्द्रकला जैन, मोनिका कटारिया, सरोज चोपड़ा, संतोष गर्ग, नेहा शर्मा, नीरजा शर्मा अवनी, सुनील भारद्वाज, भारत भूषण वर्मा, दर्शना सुभाष पाहवा, परमानन्द दीवान, चन्द्रमणी ब्रह्मदत व डॉ कृष्णा आर्या को क्रमानुसार पटल पर आमंत्रित किया और सभी ने अपनी सरस कविताएं पढ़ी। चन्द्रकला जैन ने राधा का प्यार साँवरे संग बना ना बंधन कविता पढ़ी वहीं मोनिका कटारिया ने संग चले जो साथ रहे जो ऐसे रिश्ते बनायें हम कविता से रिश्तों की गरिमा को बनाएं रखा। कवयित्री नेहा शर्मा ने हरिओम नाम नित जपा कर काव्य से भक्ति की तरफ ध्यान आकर्षित किया वहीं निशु सुशांत व सानविका ने मैं भारत की बेटी हूँ काव्यगीत से देश का मान बढ़ाया वहीं वरिष्ठ कवयित्री नीरजा शर्मा ने कर्म कर फल की इच्छा ना कर कविता से गीता का ज्ञान सुनाया। काव्य संगोष्ठी को गरिमा प्रदान करते हुए पंचकुला अध्यक्षा दर्शना सुभाष पाहवा ने मोरे नैनन में बस गए श्याम भक्ति गीत से से कृष्ण महिमा का गुणगान किया वहीं महेन्द्रगढ़ से डॉ सुनील भारद्वाज ने श्रद्धा बड़ी साध्य से ये भूल ना जाना कविता के माध्यम से माँ का गुणगान किया तथा सरोज चोपड़ा ने कुरुक्षेत्र में हार मानकर क्यों बैठे हो अर्जुन उपदेश गीत से गीता का सन्देश दिया। संस्था उपाध्यक्ष रेणु अब्बी ने गीता उत्सव है आत्मा का महापर्व है ज्ञानगीत प्रस्तुत किया एवं संस्था पितामह प्रो परमानन्द दीवान ने कर्म सौंप दो प्रभु को छोड़ दो आसक्ति कविता से ज्ञान का मर्म समझाया वहीं राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ चन्द्रमणी ब्रह्मदत ने कविता के माध्यम से अनजाने में मन में पलती गांठों को खोलने की गुजारिश की। संगोष्ठी को समापन की तरफ बढ़ाते हुए संस्था प्रदेशाध्यक्ष डॉ कृष्णा आर्या ने स्त्री सशक्तिकरण पर लोकगीत प्रस्तुत किया और डॉ मुक्ता का कविता का पाठ किया एवं संस्था महासचिव मोनिका कटारिया ने सभी साहित्यकार साथियों का आभार प्रकट किया। दर्शना सुभाष पाहवा के धन्यवाद ज्ञापन व वन्दे मातरम के साथ संगोष्ठी का समापन हुआ।