आर्टेमिस हॉस्पिटल ने पार्किंसंस डिजीज के इलाज की दिशा में इनोवेशन के साथ मनाया
विश्व पार्किंसंस दिवस
•अस्पताल ने आयोजित किया जागरूकता कार्यक्रम
•कार्यक्रम के दौरान ऐसे मरीज भी शामिल हुए, जिनके जीवन में नवीनतम इलाज से उल्लेखनीय बदलाव आए हैं
नई दिल्ली: आर्टेमिस अस्पताल ने पार्किंसंस डिजीज के इलाज की दिशा में इनोवेशन और नवीनतम एडवांसमेंट को प्रदर्शित करते हुए विश्व पार्किंसंस दिवस मनाया है। सतत शोध एवं विकास के परिणामस्वरूप पार्किंसंस के मरीजों के लिए नए इलाज एवं थेरेपी का रास्ता खुला है, जिससे बीमारी के लक्षणों को कम करने और जीवन की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिली है। आयोजन की शुरुआत जागरूकता कार्यक्रमों के साथ हुई। इस दौरान मनोरंजक खेल भी आयोजित किए गए। डॉ. सुमित सिंह (चीफ-न्यूरोलॉजी, पार्किंसंस स्पेशलिस्ट एवं को-चीफ, स्ट्रोक यूनिट), डॉ. आदित्य गुप्ता (चीफ-न्यूरोसर्जरी एवं सीएनएस रेडियोसर्जरी एवं को-चीफ, साइबर नाइफ सेंटर), डॉ. मनीष महाजन (सीनियर कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी एवं हेड न्यूरोइम्युनोलॉजी), डॉ. विवेक बरुन, (सलाहकार न्यूरोलॉजी और मिर्गी) डॉ. मोहित आनंद (एसोसिएट कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी एवं फेलो मूवमेंट डिसऑर्डर), और डॉ. अर्चना शर्मा (एसोसिएट कंसल्टेंट न्यूरोलॉजी) के नेतृत्व में जागरूकता विमर्श, सीएमई और वेबिनार का आयोजन भी किया गया।
विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम ने लोगों को इस बीमारी, इसके लक्षण, इलाज और सर्जरी के उपलब्ध विकल्पों के बारे में बताया। इसका उद्देश्य लोगों के बीच डीप ब्रेन स्टिमुलेशन के नाम से जानी जाने वाली इलाज की प्रक्रिया के बारे में जागरूकता लाना था। डीप ब्रेन स्टिमुलेशन (डीबीएस) इम्प्लांटेशन में एंडवांस्ड ब्रेन सेंसिंग टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया जाता है, जिससे मरीज पुन: पार्किंसंस से सामान्य जिंदगी जीने में सक्षम हो पाते हैं।
इस मौके पर आर्टेमिस अस्पताल के डॉ. सुमित सिंह (चीफ-न्यूरोलॉजी, पार्किंसंस स्पेशलिस्ट एवं को-चीफ, स्ट्रोक यूनिट) ने कहा, ‘विश्व पार्किंसंस दिवस इस बीमारी एवं इसके कारण मरीज के जीवन एवं परिवार पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जागरूकता लाने का महत्वपूर्ण अवसर है। आर्टेमिस अस्पताल में हम मरीजों को डीप ब्रेन स्टिमुलेशन व अन्य थेरेपी समेत पार्किंसंस के इलाज की दिशा में उपलब्ध नवीनतम विकल्पों के माध्यम से इलाज देने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें गर्व है कि हम इस क्षेत्र में नेतृत्व देने की भूमिका में हैं और अपने मरीजों को सर्वश्रेष्ठ उपलब्ध इलाज देने में सक्षम हैं। पार्किंसंस डिजीज जैसी न्यूरोलॉजिकल बीमारियों का जल्दी पता लगना और समय पर इलाज मिलना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे नर्वस सिस्टम को बहुत ज्यादा नुकसान पहुंचता है, जिससे काम करने एवं सोचने की क्षमता प्रभावित होती है।’
उन्होंने आगे कहा, ‘जैसा कि आप पहले से ही पार्किंसंस डिजीज के लक्षणों के बारे में जानते ही हैं, मैं इसकी समय पर जांच एवं पूरा इलाज कराने को लेकर जोर देना चाहता हूं। इसके लक्षणों को सही करने में पूरा एवं पर्याप्त इलाज लेना बहुत महत्वपूर्ण है।’
आर्टेमिस अस्पताल के डॉ. आदित्य गुप्ता (चीफ-न्यूरोसर्जरी एवं सीएनएस रेडियोसर्जरी और को-चीफ, साइबर नाइफ सेंटर) ने कहा, ‘पार्किंसंस के इलाज के लिए मल्टीडिसिप्लिनरी अप्रोच की जरूरत होती है और आर्टेमिस अस्पताल में हमारे पास विशेषज्ञों की ऐसी टीम है, जो मरीज के इलाज में सक्षम है। हमारी टीम में न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, फिजियोथेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट और अन्य विशेषज्ञ हैं, जो मिलकर प्रत्येक मरीज को पर्सनलाइज्ड केयर देते हैं।’
इनोवेशन और मरीजों को केंद्र में रखकर इलाज देने की आर्टेमिस अस्पताल की प्रतिबद्धता ने ही इसे पार्किंसंस डिजीज के इलाज के क्षेत्र में प्रतिष्ठा दिलाई है। शोध एवं विकास में निवेश जारी रखते हुए और नए इलाज के मामले में अग्रणी रहते हुए आर्टेमिस अस्पताल दुनियाभर के पार्किंसंस के मरीजों के जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दे रहा है।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020