पिता होते हैं पर्वत से’ काव्य संकलन का विमोचन किया डॉक्टर कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने
पंचकूला की वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती संतोष गर्ग के द्वारा संपादित पुस्तक ‘पिता होते हैं पर्वत से’ का विमोचन हरियाणा साहित्य एवं संस्कृत अकादमी के कार्यकारी उपाध्यक्ष डॉ कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने किया। यह विमोचन विभाजन की विविधता और उसके परिणाम पर हुई राष्ट्रीय संगोष्ठी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत किया गया। पी डब्ल्यू डी विश्राम गृह सभागार, सेक्टर-1 पंचकूला में इस पुस्तक का विमोचन वशिष्ठ अतिथि माननीय मुख्य मंत्री हरियाणा के राजनीतिक सलाहकार श्री भारत भूषण भारती, चेयरमैन हरियाणा गौ सेवा आयोग श्रवण कुमार गर्ग, पंजाबी समाज सभ्याचारिक मंच के अध्यक्ष आर.पी. मल्होत्रा, अखिल भारतीय साहित्य परिषद के हरियाणा प्रांत संगठन मंत्री डॉ. जगदीप शर्मा राही, सर्वप्रिय निर्मोही, बाल कृष्ण गुप्ता व रचनाकार अनिल शर्मा चिंतक, नीरू मित्तल, ऊषा गर्ग, संगीता शर्मा, अरूणा डोगरा अनेक सुपरिचित और गणमान्य साहित्यकारों के कर कमलों द्वारा हुआ। यह पुस्तक 60 साहित्यकारों की रचनाओं से सज्जित है। जिनमें आभा साहनी, प्रो. अलका काँसरा, अमिता मगोत्रा, अनिल नील, डॉ. अनीश गर्ग, अनीता जैन, अंशुल बत्रा ‘अंश’, ए.पी. मौर्य, बिजेंद्र सिंह चौहान, बाबू राम ‘दीवाना’, ऊषा मौर्य, डेजी बेदी जुनेजा, दर्शना सुभाष पाहवा, गिरीश हैनेचा, कंवल बिन्दुसार, कृष्णा गोयल, जसपाल सिंह, महेन्द्र सिंह ‘सागर’, नीलम नारंग, डॉ. नितिन गर्ग, परमिंदर सोनी, प्रभजोत कौर ‘जोत’, प्रेम विज, डॉ. मंजू गुप्ता, डॉ. मुक्ता मदान, मधु गोयल, नीरजा शर्मा, प्रिशा गर्ग, निधिशा सिंगला, रंजन मंगोत्रा, रश्मि शर्मा, राजकुमार निजात, सविता गर्ग, संगीता वैनीवाल, डॉक्टर विजय कपूर, डॉ. सुदर्शन रत्नाकर, मान्या बंसल, डॉ. विनोद शर्मा, वीणा अग्रवाल, विनोद कश्यप, संगीता पुखराज, सतवंत कौर गोगी, सीमा गुप्ता, रम्या बंसल, शकुन्तला काजल, शशिभानु हंस, डॉ. शील कौशिक, सोमेश गुप्ता, डॉ. सुभाष भास्कर, सुधा जैन, सुनीता सिंह, सुशील ‘हसरत’ नरेलवी, सुरेखा यादव, डॉ. वंदना खन्ना, डॉ. सुनयना बंसल शामिल हैं।
हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा पुरस्कृत श्रीमती गर्ग की इससे पहले काव्य, लघुकथा, बाल उपन्यास, डायरी व आध्यात्म विभिन्न विषयों पर17 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
इन्होंने अपनी कविता की प्रथम पंक्ति पर पुस्तक का नाम रखा है, ‘पिता होते हैं पर्वत से’।
इस विषय को लेकर पुस्तक में विभिन्न साहित्यकारों ने ‘पिता’ शब्द पर अपने विचार व्यक्त किए हैं।
“मैंने पिता पर कभी लिखा ही नहीं, संदेश देखकर मेरी आँखों में आज आँसू उमड़ आए..।”
– पूर्व ज्वाइंट रजिस्ट्रार श्रीमती कृष्णा गोयल।
“हर बेटी पिता के दिल के करीब होती है। पिता पर लिखने का सुनहरा अवसर प्रदान करने के लिए हार्दिक आभार।”
-कवयित्री शकुंतला काजल, जींद।
“पिता होते हैं पर्वत से’ बहुत ही प्यारा विषय है यह, जो पिता अपने जीवन का सर्वस्व समर्पण करके हमें जीने लायक बनाते हैं उनके लिए कुछ पंक्तियां लिखना हम सभी का कर्तव्य है..।”
-वरिष्ठ कवयित्री श्रीमती वीणा अग्रवाल, गुरुग्राम।
“मैं इस काबिल नहीं कि किसी के दिए टॉपिक पर कुछ लिख सकूँ। आपके विश्वास ने मुझे प्रेरित किया। आपने मुझे मेरे पापा याद दिलाए तो बहुत बातें याद आईं..।”
– पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से वरिष्ठ शायरा श्रीमती रश्मि बजाज।