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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

CALEM और शिक्षा विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारारूसा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी व सह कार्यशालाशैक्षिक अनुसंधान उभरती हुई पद्धतियाँ और रुझानआयोजित किया गया।

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CALEM और शिक्षा विभाग, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ द्वारारूसा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी व सह कार्यशालाशैक्षिक अनुसंधान उभरती हुई पद्धतियाँ और रुझानआयोजित किया गया।

प्रोफेसर सतविंदरपाल कौर, CALEM समन्वयक और अध्यक्ष, शिक्षा विभाग, प्रोफेसर मोनिका मुंजियाल सिंह, CALEM सह-समन्वयक और प्रोफेसर कुलदीप कौर, कार्यक्रम समन्वयक ने गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया। उद्घाटन सत्र का नेतृत्व प्रोफेसर रुमिना सेठी, डीयूआई, पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ ने किया, जिन्होंने उपस्थित लोगों को अतीत में व्यस्त न रहने और न केवल व्यापक रूप से, बल्कि बेतहाशा पढ़ने के द्वारा एक उत्पादक भविष्य बनाने के बारे में बताया। सत्र में प्रसिद्ध शिक्षाविद् और पद्म श्री पुरस्कार विजेता प्रोफेसर कृष्ण कुमार, पूर्व निदेशक एनसीईआरटी द्वारा अपने विचार सांझे किये, जिन्होंने समकालीन दुनिया में शिक्षा की अवधारणा और व्यापक तरीके से शैक्षिक अनुसंधान करने की जिम्मेदारी के साथ इसके संबंध पर प्रकाश डाला। उन्होंने शिक्षा में अनुसंधान की खेदजनक स्थिति पर प्रकाश डाला और प्रतिभागियों से खुद को पुरानेवकठोर ढांचे से मुक्त करने का आग्रह किया। सत्र में रूसा समन्वयक प्रोफेसर राजीव पुरी भी उपस्थित थे, जिन्होंने नवाचार को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने स्टार्ट-अप और नवाचार की संस्कृति पर जोर दिया। पैनल चर्चा के पहले सत्र का संचालन प्रोफेसर नंदिता सिंह ने किया और पैनलिस्टों में प्रोफेसर आई.डी. शामिल थे। गौर, प्रो. हर्ष गंधार, प्रो. मोनिका मुंजियाल सिंह, प्रो. जयंती दत्ता और डॉ. पंकज श्रीवास्तव। दूसरे सत्र के वक्ता प्रो.कुलदीप पुरी थे, जिन्होंने शैक्षिक अनुसंधान में अनछुए क्षेत्रों की खोज पर जोर दिया। अंत में, तीसरे सत्र का संचालन एनसीईआरटी, नई दिल्ली से प्रोफेसर कविता सिंह द्वारा शैक्षिक अनुसंधान में उभरती पद्धतियाँ विषय पर किया गया।