पंजाब विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग चंडीगढ़ में नौरोज़ दिवस मनाया गया और साहिर लुधियानवी को याद किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. ज़रीन फ़तिमा और उनके हमनवाओं ने साहिर की नज़्म से की। इस अवसर पर पंजाब विश्वविद्यालय के डीन फ़ैकल्टी ऑफ लैंगुएजज प्रोफ़ेसर अशोक कुमार ने मुख्य अतिथि की हैसियत से शिरकत करते हुए कहा कि यह उर्दू की संस्कृति और सुंदरता है जो हर संस्कृति और हर सभ्यता का जश्न मनाती है। है। प्रो.अशोक ने छात्रों को और अधिक मेहनत करने का सुझाव देते हुए कहा कि आपके पास सबसे अच्छा परिसर और सर्वोत्तम पुस्तकालय जैसी पर्याप्त सुविधाएँ हैं, उन्हें महत्व दें, और उम्र के हर चरण में कुछ न कुछ सीखते रहें, आपको कुछ हासिल करने का शौक़ जुनून की हद तक हो तभी कामयाबी आपके क़दम चूमेगी।
सीखने का सबसे अच्छा तरीक़ा है कि अपने अंदर झाँकते हुए अंदर की कमियों को दूर कर तरक़्क़ी की राह पर चलते रहना।
फ़ारसी विभाग से डॉ. ज़ुल्फ़िक़ार अली ने नौरोज़ के महत्व और उसकी सार्थकता पर चर्चा करते हुए कहा कि ईद नौरोज़ हख़ामुंशी युग के बादशाह जमशेद के साथ शुरू हुआ। यह ईद आज हर जगह मनाई जाती है जहाँ फ़ारसी भाषा के बोलने वाले मिलते हैं, यानी इस ईद का दायरा राष्ट्र से भाषा और प्रकृति तक पहुँच गया है। इस ईद का सबसे अहम हिस्सा है सात सीन, जिसमें सात खाने-पीने की चीज़े टेबल पर रखी हुई होती हैं।
अंत में उर्दू विभागाध्यक्ष डॉक्टर अली अब्बास ने मेहमानों और श्रोताओं का शुक्रिया अदा किया।
कार्यक्रम को सफल बनाने में शमीम चौधरी, अमनदीप कौर, हरवीर कौर, जसप्रीत कौर सहित अन्य छात्र छात्राओं ने अहम भूमिका निभाई। मंच संचालन राशिद अमीन नदवी ने किया।
सुदीप सिंह, राम कुमार, अरविंदर कौर, ऊषा, हरवीर कौर और जे. पी सिंह आदि ने साहिर के गीतों और कविताओं के माध्यम से महफ़िल की सुंदरता को बढ़ाया। इस अवसर पर रिसर्च स्कॉलर्स के अलावा बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे।