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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

चंडीगढ़ कांग्रेस ने आज राजीव गांधी कांग्रेस भवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसे चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एच एस लक्की और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया।

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चंडीगढ़ कांग्रेस ने आज राजीव गांधी कांग्रेस भवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसे चंडीगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष एच एस लक्की और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने संबोधित किया। मीडिया को संबोधित करते हुए एच एस लक्की ने कहा कि कांग्रेस पार्टी भारत के लोगों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर बढ़ती कीमतों, उच्चतम बेरोजगारी और अपनी शासन विफलता से जनता का ध्यान हटाने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित विभाजनकारी एजेंडे के खिलाफ संघर्ष कर रही है। उन्होंने आगे घोषणा की कि कांग्रेस पार्टी 6 से 10 मार्च तक राष्ट्रीयकृत बैंकों और एलआईसी के कार्यालयों के सामने ब्लॉक स्तर पर आंदोलन करेगी। 13 मार्च 2023 सोमवार को एक विशाल “चलो राजभवन” मार्च का आयोजन किया जाएगा।

देश में बढ़ती महंगाई, उच्चतम बेरोज़गारी और कुशासन की विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए सरकार द्वारा प्रायोजित विभाजनकारी एजेंडे का दंश झेल रहे देशवासियों के साथ कांग्रेस पार्टी कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। लेकिन एक ज़िम्मेदार विपक्षी दल होने के नाते हम भाजपाई सत्ता के मित्र पूंजीपतियों को सरकारी खजाने की लूट की खुली छूट और प्रधानमंत्री से संबंधित इस पूरे अडानी महाघोटाले में हो रहे घोटालों से भी चिंतित हैं। इसलिए हम सरकार को उसकी ज़िम्मेदारी से भागने की इजाज़त नहीं दे सकते और आज ‘हम अडानी के हैं कौन ‘श्रृंखला में देश के 23 प्रमुख शहरों में प्रेस वार्ताएं कर रहे हैं।

सरकार ने श्री राहुल गांधी जी के सवालों और कांग्रेस अध्यक्ष श्री मल्लिकार्जुन खरगे जी के भाषण के अंशों को बेशक संसदीय कार्यवाही से हटा दिया हो लेकिन भारत के लोग सब देख रहे हैं कि संसद में क्या हो रहा है। लोग जानना चाहते हैं कि सरकार संसदीय भाषणों का स्तर गिराने की कोशिश क्यों कर रही है और प्रधानमंत्री संसद में प्रासंगिक सवालों के जवाब क्यों नहीं दे रहे हैं।

देशवासी जानना चाहते हैं कि कैसे एक संदिग्ध साख वाला समूह, जिस पर टैक्स हेवन देशों से संचालित विदेशी शेल कंपनियों से संबंधों का आरोप है, भारत की संपत्तियों पर एकाधिपत्य स्थापित कर रहा है और इस सब पर सरकारी एजेंसियां या तो कोई कार्यवाही नहीं कर रही हैं या इन सब संदिग्ध गतिविधियों को ही सुगम बनाने में जुटी हैं। भारत के लोग बहुत बुद्धिमान हैं और वे मोदी जी और उनके मित्र पूंजीपतियों के बीच संपूर्ण पारस्परिक तालमेल को समझ सकते हैं। वे जानना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री ने एक मित्र पूंजीपति को विश्व के दूसरे सबसे अमीर व्यक्ति बनाने में मदद क्यों की और वे इस गंभीर अंतर्राष्ट्रीय खुलासे पर चुप क्यों हैं?

हम किसी व्यक्ति के दुनिया के अमीरों की सूची में 609वें से दूसरे स्थान पर पहुँचने के ख़िलाफ़ नहीं है। लेकिन हम निस्संदेह सरकार द्वारा प्रायोजित निजी एकाधिकारों के ख़िलाफ़ हैं क्योंकि वे जनता के हितों के विरुद्ध होते हैं। विशेष तौर पर हम टैक्स हेवन देशों से आपत्तिजनक संबंधों, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे एक ख़ास व्यक्ति द्वारा हमारी अंतर्राष्ट्रीय सद्भावना और राष्ट्रीय संसाधनों का लाभ उठाते हुए एकाधिपत्य स्थापित करने के ख़िलाफ़ हैं।

हम जानना चाहते हैं कि मोदी सरकार इस मुद्दे पर जाँच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति बनाने से क्यों डर रही है जबकि संसद के दोनों सदनों में उसका अच्छा बहुमत है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने से पहले काला धन भारत वापस लाने और हर नागरिक के बैंक खाते में 15-20 लाख रुपए डालने का वादा किया था लेकिन आज की कड़वी सच्चाई इसके बिल्कुल विपरीत है। स्विट्ज़रलैंड के केंद्रीय बैंक के पिछले वार्षिक डेटा के मुताबिक 2021 में स्विस बैंकों में जमा भारतीय व्यक्तियों और कंपनियों का पैसा 14 वर्षों के