चंडीगढ़, 6 जुलाई- हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने बुधवार को डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे एक राष्ट्रवादी, बहुमुखी प्रतिभा और एक बौद्धिक श्रेष्ठता के प्रतीक थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के चंगुल से भारत माता की मुक्ति के लिए अपने जीवन का बलिदान दिया। डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सभी के विकास के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध थे। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि डॉ मुखर्जी एक राष्ट्र, एक ध्वज और संविधान के प्रति दृढ़ विश्वासी और चेम्पियन थे और उन्होंने भारत के कश्मीर में पूर्ण एकीकरण के लिए सर्वाेच्च बलिदान दिया था।
राज्यपाल ने कहा कि डॉ मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ (बीजेएस) का गठन भारतीय प्रशासनिक मॉडल को पेश करने के लिए किया, जिसमें न केवल हमारे सांस्कृतिक मूल्य और लोकाचार निहित हैं, बल्कि ग्रामीण भारत के समग्र सशक्तिकरण पर भी विकेंद्रीकृत है।
उन्होंने कहा कि डॉ मुखर्जी के विचारों को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी सर्वांगीण विकास सुनिश्चित कर रहे है। श्री दत्तात्रेय ने कहा कि डॉ मुखर्जी को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम उनके दृष्टिकोण और आदर्शों का पालन करें और अपने जीवन में उनका समावेश करें।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि डॉ मुखर्जी बेहद संपन्न परिवार से थे। उनके पिता आशुतोष मुखर्जी कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे। 33 वर्ष की आयु में डॉ मुखर्जी 1934 में कलकत्ता विश्वविद्यालय के सबसे कम उम्र के कुलपति बने। राष्ट्र की सेवा करने में उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति थी। उन्होंने जीवन की विलासिता को त्याग दिया और माँ भारती के लिए अपना जीवन समर्पित करने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि डॉ मुखर्जी वास्तव में एक महान आत्मा थे।
कैप्शनः- हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय बुधवार को राजभवन में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020