शहीद सराभा जी के 126 में जन्म दिवस पर दी पुष्पांजलि :खोसला
राष्ट्रीय सैनिक संस्था एनसीआर के संयोजक राजीव जोली खोसला आज अमर शहीद करतार सिंह सराभा को पुष्पांजलि अर्पित की और कहा
शहीद करतार सिंह सराभा का जन्म 24 मई 1896 लुधियाना के सराबा जिले में एक जाट सिख परिवार में हुआ मात्र 19 वर्ष की उम्र में ही ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी के फंदे पर चढ़ा दिया था 16 नवंबर 1915 सेंटर जेल लाहौर मैं उन्हें फांसी दे दी गई आज भी हम उन्हें याद करते हैंकरतार सिंह सराभा की यह गज़ल भगत सिंह को बेहद प्रिय थी वे इसे अपने पास हमेशा रखते थे और अकेले में अक्सर गुनगुनाया करते थे:
“यहीं पाओगे महशर में जबां मेरी बयाँ मेरा,
मैं बन्दा हिन्द वालों का हूँ है हिन्दोस्तां मेरा;
मैं हिन्दी ठेठ हिन्दी जात हिन्दी नाम हिन्दी है,
यही मजहब यही फिरका यही है खानदां मेरा;
मैं इस उजड़े हुए भारत का यक मामूली जर्रा हूँ,
यही बस इक पता मेरा यही नामो-निशाँ मेरा;
मैं उठते-बैठते तेरे कदम लूँ चूम ऐ भारत!
कहाँ किस्मत मेरी ऐसी नसीबा ये कहाँ मेरा;
तेरी खिदमत में अय भारत! ये सर जाये ये जाँ जाये,
तो समझूँगा कि मरना है हयाते-जादवां मेरा.”
आज सभी भारतीयों को गरम दल क्रांतिकारी शहीदों पर नाज है जिनकी बदौलत हम आजादी की सांस ले रहे हैं आजादी हमें चड़के से नहीं मिली आजादी मिली गरम दल क्रांतिकारी वीरों की शहादत से उनकी सोच से नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नारे से तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा आज हर भारतीय को उनके दिखाए हुए नक्शे कदम पर चलना चाहिए