निर्यात को गति देने के लिए 5 प्रतिशत आरओडीटीईपी दर की तत्काल जरूरत : एल्युमीनियम चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री : एल्युमीनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने वित्त और कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय को लिखे पत्रों में आरओडीटीईपी के तहत एल्युमीनियम सेक्टर के लिए कम से कम 5 प्रतिशत रीमिशन रेट नोटिफाई करने की तत्काल जरूरत जताई है, जिससे घरेलू उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनेगा और यह उद्योग निर्यात को दोगुना करने की अपनी क्षमता का प्रयोग कर सकेगा, जिससे देश को 10 अरब डॉलर की विदेशी मुद्रा की कमाई होगी।
एसोसिएशन के अनुसार आरओडीटीईपी के तहत सेक्टर के हिसाब से छूट की दर नोटिफाई करने में हो रही देरी से असमंजस की स्थिति बन रही है और इसलिए वस्तुओं के मूल्य को लेकर भारतीय निर्यातकों में अनिश्चितता है, जिससे निर्यात पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। हाल में पेश किए गए आम बजट 2021-22 में आरओडीटीईपी के लिए 13,000 करोड़ रुपये के प्रावधान का एलान किया गया है। वित्त मंत्री द्वारा सितंबर, 2019 में आरओडीटीईपी स्कीम के लिए घोषित 50,000 करोड़ रुपये के आवंटन से यह बहुत कम है।एमईआईएस को हटाने से निर्यातकों के लिए स्थिति और खराब हुई है। क्लेम करने के लिए ऑनलाइन एमईआईएस को ब्लॉक कर दिए जाने से निर्यातकों को वित्त वर्ष 2019-20 और वित्त वर्ष 2020-21 (अप्रैल-दिसंबर) के दौरान किए गए निर्यात के लिए भी एमईआईएस का लाभ नहीं मिल पाया है। इस कारण से पहले से ही दबाव में चल रहे नॉन-फेरस मेटल सेक्टर निर्यातकों का अच्छा-खासा फंड रुक गया है।एक्सपोर्ट इंसेंटिवध्रीमिशन की कोई व्यवस्था नहीं होने से एल्युमीनियम निर्यात को अन्य बड़े निर्यातक देशोंए विशेष तौर पर चीन की तुलना में वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहने में दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। चीन में निर्यात को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने के लिए कई तरह की छूट दी जाती है। भारत में केंद्र एवं राज्य के स्तर पर कई टैक्स और शुल्क वसूले जाते हैं, जिनमें किसी तरह की छूट नहीं मिलती है, जिससे भारत में एल्युमीनियम सेक्टर के विकास पर बुरा असर पड़ रहा है।
एल्युमीनियम उत्पादन की लागत पर कई तरह के लगभग 15 फीसद टैक्स प्रभावी हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। इससे एल्युमीनियम उद्योग के टिकाऊपन और प्रतिस्पर्धी क्षमता पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है और वैश्विक बाजार में भारतीय निर्यातक कमजोर और प्रतिस्पर्धा से बाहर हो रहे हैं।
भारत में एल्युमीनियम उद्योग बिना छूट वाले बड़े सेंट्रल एवं स्टेट टैक्सके चलते दबाव में हैं। ये टैक्स एल्युमीनियम की उत्पादन लागत के 15 फीसद तक हैं, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है और इससे कंपनियों की सस्टेनेबिलिटी व लागत के स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने रहने पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020