चंडीगढ़ 20 फरवरी
कोविड से आतंकित 10 महीने गुजरने के पश्चात कम से कम भारत में कुछ चैन की सांस ली जा रही है , लेकिन आम जनता को वैक्सीन अभी तक न मिल पाने की वजह से करोना का खतरा अभी टला नही है ,ऐसे में रोगों से लड़ने को इम्युनिटी बढ़ाना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिये, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मोटे अनाज की उपयोगिता की बात पिछले वर्ष की थी ,
ज्यादा नहीं, आज से सिर्फ 50 साल पहले हमारे खाने की परंपरा बिल्कुल अलग थी. हम मोटा अनाज खाने वाले लोग थे. मोटा अनाज मतलब- ज्वार, बाजरा, रागी (मडुआ), सवां, कोदों , कुटकी, सामाऔर इसी तरह के मोटे अनाज. 60 के दशक में आई हरित क्रांति के दौरान हमने गेहूं और चावल को अपनी थाली में सजा लिया और मोटे अनाज को खुद से दूर कर दिया. जिस अनाज को हम साढ़े छह हजार साल से खा रहे थे, उससे हमने मुंह मोड़ लिया और आज पूरी दुनिया उसी मोटे अनाज की तरफ वापस लौट रही है.
पिछले वर्ष आयुष मंत्रालय के एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने भी मोटे अनाज की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने पर बल दिया. पीएम मोदी बोले थे , ‘आज हम देखते हैं कि जिस भोजन को हमने छोड़ दिया, उसको दुनिया ने अपनाना शुरू कर दिया. जौ, ज्वार, रागी, कोदो, सामा, बाजरा, सांवा, ऐसे अनेक अनाज कभी हमारे खान-पान का हिस्सा हुआ करते थे. लेकिन ये हमारी थालियों से गायब हो गए. अब इस पोषक आहार की पूरी दुनिया में डिमांड है.’
मिलेट मैन आफ इंडिया भी मोटे अनाज की वकालत करते हैं , उन्होंने ही श्रीधान्य मिलेट्स को दोबारा से ढूंढ कर हम सबके सामने स्वस्थ रहने व कैंसर , हार्ट, थाइरोइड , शूगर, बी पी, पी सी ओ डी आदि रोगों से मुक्ति पाने का फार्मूला जनता को दिया है । 21 फरवरी को लाइव सेशन में जनता के रूबरू होंगे डॉ खादर वली व लाइफ स्टाइल व होमेओपेथी के पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ एच के खरबंदा , सेशन डॉ खरबंदा के फेसबुक पेज पर सुबह 10 लाइव होगा ।