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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

लालक़िला देश की अस्मिता से जुड़ा है देश का सम्मान है। तिरंगा हमारे राष्ट्र की आन बान शान, इनका अपमान कोई राष्ट्रभक्त स्वीकार नहीं करेगा: अजय शर्मा

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लाठी, डंडो, तलवार और पत्थरों के साथ यह कैसा किसान आंदोलन ? अजय शर्मा

पंचकुला 26 जनवरी: भाजपा पंचकूला जिला अध्यक्ष अजय शर्मा ने किसान ट्रैक्टर परेड के नाम पर लाल किला व दिल्ली की सड़कों पर हुड़दंग करने वालों की कड़ी निंदा की है।लाठी, डंडो, तलवार और पत्थरों के साथ यह कैसा किसान आंदोलन ? उन्होंने कहा आज के प्रकरण से भारत के लोकतंत्र की गरिमा को गहरी चोट पहुंची है।दिल्ली में किसान आंदोलन के नाम पर जो आज हुआ क्या देश का किसान ऐसा कर सकता है ? किसान के कंधे पर चढ़कर तिरंगे का अपमान करने वाले मेरे देश के किसान नही हो सकते।लालक़िला देश की अस्मिता से जुड़ा है।तिरंगा हमारे राष्ट्र की आन बान शान है। इनका अपमान कोई भी राष्ट्रभक्त स्वीकार नहीं करेगा। अजय शर्मा ने कहा आज जहां इतिहास में पहली बार राजपथ पर केंद्र शासित प्रदेश लदाख की भव्य झांकी निकाली गई। मगर वहीं आज लालक़िले और दिल्ली की सड़कों पर किसान आंदोलन के नाम पर कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा हुड़दंग मचाया गया।लाल क़िला देश के सम्मान का प्रतीक है और इस पर देश के प्रधानमंत्री को ही झंडा फहराने का अधिकार है। आज तिरंगे के अतिरिक्त धार्मिक झंडा फहराने की घटना देश के हर नागरिक को शर्मिन्दा करने वाली है।

ज़िलाध्यक्ष अजय शर्मा ने कहा कि ट्रैक्टर मार्च का रूट भी ग़ायब,ज़िम्मेदारी लेने वाले,किसान संगठनों के नेता भी ग़ायब,कौन कर रहा है किसानों के नाम हिंसा,ज़िम्मेवार कौन ? क़ानूनों में सुधार की गारंटी व डेढ़ साल तक रोकने के बाद भी किसानों को कौन भड़का रहा है। गणतंत्र दिवस पर अपनी ही राजधानी को और किस मक़सद से नुक़सान पहुँचाया जा रहा है।

पुलिस की शर्तें भी तोड़ी,
खुद तय किए नियम-कायदे भी धरे रह गए

अजय शर्मा ने कहा कि पुलिस ने शर्तों के साथ किसानों को ट्रैक्टर परेड निकालने की इजाजत दी थी। किसानों ने खुद भी कुछ नियम तय किए थे, लेकिन ट्रैक्टर मार्च आगे बढ़ा तो प्रदर्शनकारियों ने सभी नियम-कायदे ताक पर रख दिए गए। गौरतलब है कि दिल्ली बॉर्डर पर जमे किसानों ने आज ट्रैक्टर निकाली। इस दौरान पुलिस और किसानों के बीच जमकर झड़प हुई। कई प्रदर्शनकारी किसान जगह-जगह बैरिकेडिंग तोड़ते हुए दिल्ली के अंदर घुस गए और तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारियों के हंगामे और पुलिस को दौड़ाने पर किसान नेताओं ने भी पल्ला झाड़ लिया है। भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत ने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। सवाल यही है कि पिछले दो महीने से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों को आखिर किसने भड़काया।