चण्डीगढ़ : सीओपीटीए (कोप्टा) कानून 2020 के संशोधन कानून का विरोध देशभर में शुरू हो गया है। आज चण्डीगढ़ में भी फुटपाथ साइकिल, रेहड़ी-फड़ी संगठन ने धरना प्रदर्शन किया। देश के लगभग सभी राज्यों से विरोध प्रदर्शन की ख़बरें आ रही हैं।
फुटपाथ साइकिल रेहड़ी-फड़ी यूनियन ने इस संदर्भ में पंजाब के मुख्यमंत्री व चण्डीगढ़ की आम आदमी पार्टी से मांग की कि केंद्र के इस काले कानून का विरोध करें और इस मामले में केंद्र से हस्तक्षेप करें। यूनियन के प्रधान राममिलन गौड़ और महासचिव रामपाल ने पत्र लिख इस उद्योग कारोबार को बचाने की मांग की।
पिछले दिनों पंचकूला सहित हरियाणा भर में भी प्रदर्शन हुए। यहां पर बता दे कि मध्यप्रदेश के बुंदेलखंड और महाकौशल इलाके के बड़े हिस्से में रोजगार का साधन बीड़ी निर्माण रहा है, मगर अब इस कारोबार पर संकट के बादल गहराने लगे हैं, क्योंकि सरकार ने हाल ही में (कोप्टा) 2003 में संशोधन कर नई नियमावली जारी कर दी।
सागर और जबलपुर में बनने वाली बीड़ी किसी दौर में पूरी देश में पहचान रखती थी, यह लगभग दो सौ साल पुराना कारोबार है, मगर धीरे-धीरे यह उद्योग सरकारी रोक-टोक के चलते कमजोर होता गया व उसी के चलते इस कारोबार ने पश्चिम बंगाल और दक्षिण भारत में अपनी गहरी पैठ बना ली।
सागर और जबलपुर क्षेत्र में बीड़ी ग्रामीण कुटीर उद्योग के तौर पर लोगों की आर्थिक समृद्धि और रोजगार का बड़ा कारण रहा है। इस कारोबार से यहां के लगभग आठ लाख लोग जुड़े हुए हैं। इतना ही नहीं आदिवासी वर्ग तेंदूपत्ता संग्रह करके अपने परिवार का जीवन यापन करता है यह ऐसा उद्योग है, जिसमें न तो पानी की जरूरत होती है और न ही बिजली की। इसके बावजूद इस उद्योग को सिगरेट जैसे उद्योगों के समानांतर मानते हुए मशीन निर्मित उत्पादों के नियम थोपे जा रहे हैं, जिससे इस उद्योग पर गहरा खतरा मंडराने की संभावना है।
मध्य प्रदेश बीड़ी उद्योग संघ के अनिरुद्ध पिंपलापुरे के मुताबिक कोप्टा के जो नए नियम लागू किए जा रहे हैं, उससे बीड़ी कारोबार बंद होने की कगार पर पहुंच जाएगा। नियमों के मुताबिक बीड़ी के कारोबार में मशीन का उपयोग नहीं किया जाता, यह पूरी तरह मानव श्रम आधारित कारोबार है। जो नए संशोधन किए जा रहे हैं उसके जरिए बीड़ी कारोबार को गुटका और सिगरेट के बराबर लाकर खड़ा किया जा रहा है। इसके अलावा पनवाड़ी, बीड़ी विक्रेता को पंजीयन कराना अनिवार्य किया जा रहा है। जो संशोधन किए जा रहे हैं, वह पूरी तरह अव्यवहारिक है।
वहीं एटक के राज्य महासचिव अजीत जैन ने कोपटा में होने जा रहे संशोधन को व्यवहारिक अनुचित और कुटीर उद्योग को बंद करने वाला करार देते कहा है कि इसका दुष्प्रभाव कारोबार पर पड़ेगा। इस संशोधन को करते वक्त इस कारोबार से जुड़े लोगों से संवाद ही नहीं किया। देशभर में 15 करोड़ लोग जुड़े हैं, उनके रोजगार पर कुठाराघात होगा। ऐसा लगता है जैसे कुटीर उद्योग को बंद करके मशीनी उद्योग को सरकार बढ़ावा देना चाह रही है।
मध्य प्रदेश बीड़ी उद्योग संघ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को एक पत्र लिखा है, जिसमें कहा गया है कि केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा कोपटा कानून 2003 के तहत 31 दिसंबर 2020 को नई नियमावली जारी की है, जिसके संशोधन के लिए केवल 31 जनवरी तक ही सुझाव स्वीकृत होंगे। इस नियमावली के कई नियम बीड़ी उद्योग के लिए नुकसानदायक हैं। विशेष रूप से मध्यप्रदेश बीड़ी उद्योग के लिए. राज्य में बहुत बड़ा वर्ग इस कारोबार से जुड़ा हुआ है, यदि कोपटा की नई नियमावली वर्तमान स्वरूप में लागू हो गई तो बीड़ी उद्योग निश्चित रूप से ध्वस्त हो जाएगा और कई मजदूर रातों-रात बेरोजगार हो जाएंगे. यह बेरोजगारी हमारे प्रदेश के लिए गंभीर समस्या होगी।
बीड़ी संघ ने मांग की है कि कोपटा की नई नियमावली को लागू करने से पूर्व दो माह की अवधि अर्थात 31 मार्च 2021 तक सुझाव मांगे जाएं। कोपटा में किए गए संशोधन के मुताबिक बीड़ी के बंडल पर 90 प्रतिशत हिस्से में चेतावनी देने के साथ निर्माता को अपना ब्यौरा और निर्माण की तिथि का भी ब्यौरा देना होगा। इस पर निर्माता अपना लेवल नहीं लगा सकेगा, कुल मिलाकर ब्रांडिंग नहीं कर सकेगा। सवाल है कि तो फिर ग्राहक को अपनी पसंद की बीड़ी मिलेगी कैसे?
सिगरेट पीने वालों के लिए नया कानून ला रही है मोदी सरकार, बढ़ाई उम्र सीमा
नरेंद्र मोदी हुकूमत सिगरेट और तंबाकू के इस्तेमाल की इजाज़त देने के लिए एक अहम कदम उठाने जा रही है जिसके तहत सरकार ने सिगरेट और तंबाकू खरीदने की कम से कम उम्र 21 वर्ष तय की है। इससे पहले तक ये हद 18 साल थी।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद (व्यापार और वाणिज्य, उत्पादन, आपूर्ति, वितरण, विज्ञापन और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2020 का मसौदा भी पेश कर दिया है। प्रस्तावित संशोधिन के मुताबिक अब, ऐसे व्यक्ति को सिगरेट और तंबाकू को नहीं बेचा जाएगा जिसकी उम्र 21 साल से कम होगी। अगर किसी दुकानदार को 21 साल से कम उम्र के शख्स को सिगरेट और तंबाकू बेचते पाया जाएगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रस्तावित संशोधन के अंतर्गत शिक्षण संस्थानों के 100 मीटर दायरे में आने वाले एरिया में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों के बिक्री पर रोक रहेगी। इसके अलावा अब दुकानदार सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों की खुली बिक्री भी नहीं कर सकेंगे।
नियमों की खिलाफवर्ज़ी करने पर दो साल की जेल और एक लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। वहीं, दूसरी बार ऐसा करने पर शख्स को कम से पांच साल की जेल और 5 लाख रुपये के जुर्माने का प्रोविज़न किया है।