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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

कैंसर सर्वाइवर ने पिंक अक्टूबर के लिए शोकेस किया लुभावना फैशन कलेक्शन निराशाजनक विचारों से बचने के लिए अपने सपनों पर काम करना चाहिए: रश्मि बिंद्रा

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चंडीगढ़, सुनीता शास्त्री। पिंक अक्टूबर: कैंसर सर्वाइवर ने पेश किये टिकाऊ फैशनेबल डिजायन, ऊन के बुने वस्त्रों का कलेक्शन पेश किया ।पिंक अक्टूबर: कैंसर सर्वाइवर रश्मि बिंद्रा ने कहा- कैंसर की जंग जीत चुके लोगों और मरीजों को निराशाजनक विचारों से बचने के लिए अपने सपनों पर काम करना चाहिए शहर की एक फैशन डिजाइनर रश्मि बिंद्रा (53) ने अपने जीवन के सबसे कठिन दौर के दौरान, जब उन्हें 2017 में स्तन कैंसर का पता चला, अपनी आत्मिक शक्ति को कम नहीं होने दिया, बल्कि अपने जुनून के लिए सच्चा प्यार विकसित किया। यह उनके लिए एक बेहद कठिन समय था। आठ से अधिक कीमोथेरपी और 20 रेडिएशंन थेरेपी के बाद उन्हें एक मास्टेक्टॉमी से भी गुजरना पड़ा था।रश्मि बिंद्रा ने कहा, आप नहीं जानते हैं कि आप कितने मजबूत हैं, जब तक कि मजबूत महसूस करना ही आपका एकमात्र विकल्प न बच जाये। मैंने उन चुनौतियों का सामना किया, जो ईश्वर ने मेरे सामने पेश कीं। उस दौरान मुझे डिजाइनिंग और पेंटिंग से तसल्ली मिली, जिसने मुझे शांत रहने में मदद की। मुझे अपने भीतर एक नई रचनात्मक ऊर्जा बहती हुई मिली और इसी वजह से कुछ अद्भुत रचनाएं सामने आ सकींं। इनसे मुझे यह जानने में मदद मिली कि जीवन सुंदर है, हमें इसमें से हर चीज का आनंद लेना चाहिए और जो पसंद का है उस पर आगे काम करना चाहिए। मैं सही उपचार और सकारात्मक दृष्टिकोण से ही कैंसर को मात देने में सक्षम हो सकी। रश्मि ने आगे कहा, इस अक्टूबर माह से – जिसे पिंक अक्टूबर के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह स्तन और सर्विक्स कैंसर का महीना होता है, मैंने एक संदेश देने के के बारे में सोचा, जो स्तन और सर्विक्स कैंसर से पीडि़त महिलाओं और यहां तक कि सर्वाइवर्स को भी प्रेरित कर सके। मैं चाहती थी कि उन्हें पता चले कि कैंसर और उसके बाद के जीवन के लिए एक उपचार है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए मैंने तपस्या नामक एक संग्रह तैयार किया, जो एक तरह से मेरी आत्मा का मेरी हैंड पेंटिंग तकनीक से जुड़ाव है। रश्मि के संग्रह में उनकी 75 वर्षीय मां संतोष जुनेजा द्वारा हाथ से बुने वस्त्रों का संग्रह भी शामिल है। संग्रह के बारे में विस्तार से बताते हुए रश्मि ने कहा, इस शोकेस में मैंने जो भी पीस तैयार किये हंै, वे सब अलग हैं। मैंने चंदेरी, सूती, साटन, शिफॉन, कोटा, कश्मीरी सिल्क, ओर्गेंज़ा, मोंगा और बनारसी सिल्क जैसे वस्त्रों पर मोम, जैविक रंगों, पत्तियों, फूलों आदि का उपयोग करते हुए हाथ के पेंट की विभिन्न तकनीकों का सहारा लिया है। उल्लेखनीय है कि रश्मि बिंद्रा जागरूकता और फंडिंग फैलाने के लिए सहायता चैरिटेबल वेलफेयर सोसाइटी से भी जुड़ी हैं।रश्मि ने कहा, सहायता के साथ मेरे जुड़ाव ने मुझे उम्मीद दी है कि कैंसर के बाद भी एक सुंदर जीवन है। मैं बहुत से बुनकरों और कारीगरों को हस्तशिल्प पर निर्भर रहने में मदद करती हूं। मैं कैंसर रोगियों और इस रोग को हरा चुके लोगों से जीवन में अर्थ खोजने और अपने सपनों को जीने की अपील करती हूं। ऐसा करने से उन्हें निश्चित ही सफलता मिलेगी। अपने नवीनतम संग्रह की बात करते हुए, रश्मि ने कहा, ‘तपस्या कलेक्शन की तीन विशेषताएं हैं। एक तो यह पूरी तरह से हस्तकला पर आधारित है, चाहे वह पेंट हो या ब्लॉक, दूसरे इसमें हाथ से बुने हुए लेडीज कार्डिगन, कैप, स्टॉल हैं और मेरी 75 वर्षीय मां, संतोष जुनेजा द्वारा नवजात शिशुओं के लिए कार्डिगन, बट्टीज, कैप और लेगिंग के सेट हैं। अपनी मां से मैंने बहुत कुछ सीखा है और उनकी कला को आगबढ़ाना चाहती हूं। इस कलेक्शन में हाथ से बुने कपड़े हैं, जो बुनकरों ने खुद ही तैयार किये हैं।