पंजाब विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर विशेष कार्यक्रम, नई शिक्षा नीति के त्वरित क्रियान्वयन के लिए पंजाब विश्वविद्यालय कृत संकल्प है: प्रो .राजकुमार
चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री।
पंजाब विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर आज एक विशेष आनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कुलपति प्रोफेसर राजकुमार थे। अपने संबोधन में कुलपति ने कहा कि स्थापना दिवस किसी संस्थान के लिए अत्यंत गौरवपूर्ण एवं महत्वपूर्ण दिन होता है। विश्वविद्यालय राष्ट्र एवं समाज की उन्नति एवं प्रगति की धुरी होते हैं। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति से पूरे शिक्षण जगत में नया उत्साह और उम्मीद है कि भारत फिर से विश्वगुरू के रूप में पूरी दुनिया में स्थापित हो सकेगा। इसके लिए भारत के प्रधान मंत्री और शिक्षा मंत्री को बधाई और धन्यवाद देते हुए कुलपति ने कहा कि हमारे दूरदर्शी प्रधानमंत्री जी के आत्म निर्भर भारत और सशक्त भारत के स्वप्न को साकार करने की दिशा में यह नीति मील का पत्थर बनेगी। नई शिक्षा नीति के प्रभावी और त्वरित क्रियान्वयन के लिए पंजाब विश्वविद्यालय कृत संकल्प है। पंजाब विश्वविद्यालय अकादमिक कार्यक्रमों में नवाचार, अनुसंधान और शिक्षण में उत्कृष्टता को बढ़ावा देने के लिए सतत प्रयास कर रहा है। लॉकडाउन और उसके बाद के समय में विश्वविद्यालय ने 370 से अधिक वेबिनार और कार्यशालाएं आयोजित की जो एक रिकार्ड है।
कुलपति ने कहा कि देश में 36 वर्ष बाद आई उन्होंने बताया कि सभी विभागों को इसके लिए रोडमैप तैयार करने को कहा गया है। उन्होंने इस अवसर पर खेलों के क्षेत्र में माका ट्राफी और खेलो इंडिया में प्रथम रहने, अटल रैंकिग में दूसरा स्थान प्राप्त करने और राष्ट्रीय शैक्षणिक डिपॉजिटरी पर लगभग 30000 से अधिक छात्रों का डेटा अपलोड करके भारत के पहले 05 विश्वविद्यालयों में शामिल होने जैसी अनेक उपलब्धियों की चर्चा करते हुए कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस पर हम सबको मिलकर विश्वविद्यालय को नई ऊंचाई पर ले जाने का संकल्प करना चाहिए। उन्होंने पिछले साल से शुरू किए गए अन्तर्राष्ट्रीय अलूमनी सम्मेलन को इस वर्ष भी आयोजित करने की बात कही। इससे पहले आज के कार्यक्रम की शुरूआत विश्वविद्यालय के दिवंगत खेल निदेशक डॉ परमिंदर सिंह अहलूवालिया को श्रद्धांजलि देकर की गई और उनकी स्मृति में दो मिनट का मौन रखा गया। कार्यक्रम की शुरूआत में डॉ गुरमीत सिंह ने कहा कि बहुत ही सरल और सहज व्यक्तित्व के स्वामी डॉ अहलूवालिया के निधन से पूरा विश्वविद्यालय शोक स्तब्ध है।
कार्यक्रम में कुलपति का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय के डीन रिसर्च और कार्यवाहक डीयूआई प्रोफेसर वीआर सिनहा ने कहा कि आज विश्वविद्यालय के समक्ष कई चुनौतियां हैं लेकिन उन्हें पूरा विश्वास है कि कुलपति के सक्षम नेतृत्व में हम उन चुनौतियों से निकल सकेंगे। रजिस्ट्रार श्री विक्रम नैय़र ने आज के कार्यक्रम में जुड़े सभी लोगों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पंजाब विश्वविद्यालय की अब तक यात्रा में अनेक महान लोगों का योगदान रहा है और स्थापना दिवस एक अवसर है उन सभी के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का। कार्यक्रम का संचालन हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ गुरमीत सिंह ने किया।