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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

 जब यादों में खो गए शिक्षक अनूठे ढंग से हिंदी विभाग ने मनाया शिक्षक दिवस शिक्षक दिवस पर खुला यादों का पिटारा

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जब यादों में खो गए शिक्षक

अनूठे ढंग से हिंदी विभाग ने मनाया शिक्षक दिवस

शिक्षक दिवस पर खुला यादों का पिटारा

चंडीगढ़, 5 सितंबर। पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के विद्यार्थियों ने इस वर्ष शिक्षक दिवस एक अनूठे अंदाज में मनाया। वैसे तो विभाग में हर वर्ष शिक्षक दिवस पर कार्यक्रम होता रहा है लेकिन इस वर्ष ऑनलाइन माध्यम से ‘यादों का पिटारा’ नाम से कार्यक्रम आयोजित करके विद्यार्थियों ने अपने शिक्षकों को उनके बीते दिनों की याद दिला दी। एक अलग अंदाज में हुए इस कार्यक्रम में विभाग के शिक्षकों, प्रो. नीरजा सूद, प्रो. सत्यपाल सहगल, प्रो. अशोक कुमार और डॉ. गुरमीत सिंह आज अपने विद्यार्थी दिनों की यादें ताजा करते नजर आए क्योंकि संवाद शैली में हुए इस कार्यक्रम में सामान्य कक्षा की तरह विद्यार्थियों से सवाल नहीं करने थे बल्कि विभाग के विद्यार्थियों ने खुलकर उनसे उनके निजी और शैक्षिक जीवन के बारे में प्रश्नों की झड़ी लगा दी।

डॉ. गुरमीत सिंह ने एक सवाल के जवाब में बताया कि उन्हें अपने शिक्षकों में सबसे अधिक प्रभावित प्रो. सत्यप्रकाश मिश्र ने किया जो इलाहाबाद विश्वविद्यालय में पढ़ाते थे जबकि उन्हें लेखकों में धर्मवीर भारती अधिक पसंद थे जिनका एक पत्र आज भी उनके पास है। अपनी पीएचडी के विषय के रूप में धर्मवीर भारती के साहित्य को चुना। उन्होंने बताया कि भारती का उपन्यास गुनाहों कि देवता तो तब तोहफे में देने का चलन था।

प्रो. नीरजा सूद ने बताया कि बैचलर में मैंने संस्कृत विषय को ओनर्स के रूप में पढ़ा और उस दौरान मेरे पास हिंदी विषय नहीं था। स्नातकोत्तर के लिए भी मैं संस्कृत विषय ही चुनना चाहती थी किंतु स्नातक के अंतिम सत्र में बीमार हो जाने के कारण मेरे माता-पिता मुझे दूर के महाविद्यालयों में भेजने को तैयार नहीं थे, अतः मैंने हिंदी विषय को स्नातकोत्तर के लिए चुन लिया तथा धीरे-धीरे हिंदी को जाना और अब प्रोफेसर होने के बाद तक हिंदी से जुड़ाव बना हुआ है।

प्रो. सत्यपाल सहगल ने बताया कि उनका जन्म पंजाब के सुनाम में हुआ तथा बचपन सिरसा में बीता। उन्होंने साहित्यकारों एवं कवियों से अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए निर्मल वर्मा व अज्ञेय के मधुर अनुभव सांझा किये। उन्होंने श्रोताओं के निवेदन करने पर स्वयं रचित कविता का वाचन भी किया।

प्रो. अशोक कुमार ने बताया कि 1994 में यूथ फेस्टिवल के लिए पंजाब विश्वविद्यालय में पहली बार उनका आना हुआ। उनका विद्यार्थी एवं शोधार्थी जीवन यहीं हिंदी विभाग से रहा।

इस कार्यक्रम के साथ – साथ हिंदी विभाग के विद्यार्थियों ने ऑनलाइन माध्यम से आपस में जुड़कर शिक्षक दिवस पर एक विशेष कोलाज भी तैयार किया।

विभागाध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह ने आज के विशेष कार्यक्रम के लिए विद्यार्थियों और शोधार्थियों को बधाई देते हुए कहा कि हमारे विद्यार्थी अपनी कल्पनाशीलता से नए – नए प्रयोग करने में सदैव आगे रहते हैं और आज का कार्यक्रम भी उसकी एक बानगी है। कार्यक्रम में 50 से अधिक विद्यार्थियों व शोधार्थियों ने हिस्सा लिया।

एम.ए. चतुर्थ सत्र के विद्यार्थी रुचि एवं अनुज ने अध्यापकों से प्रश्न करने में अपनी भूमिका निभाई। धन्यवाद ज्ञापन छात्र प्रतिनिधि विनय कुमार ने किया तथा शोधार्थी अलका कल्याण ने अध्यापक दिवस के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन एम.ए. द्वितीय के विद्यार्थी मयंक और रीमा ने किया।