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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

निजी स्कूल संचालकों के साथ हो रहा हैभेदभाव व्यवहार :कुलभूषण शर्मा कोरोना संक्रमण के दौरान निजी स्कूल संचालकों के वित्तीय हालात खराब , सरकार लॉकडाउन के दौरान पेरेंटस को 3०००रू देंकर सहायता करें

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चंडीगढ़ ,सुनीता शांंस्त्री। फेडरेशन आफ प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, हरियाणा, प्रदेशाध्यक्ष एवं निसा (नेशनल इंडीपेंडेट् स्कूल अलायंस) राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वो निजी स्कूल संचालकों के साथ में भेदभावपूर्ण रवैया अपना रही है, आधारहीन व गैरकानूनी आदेश जारी कर रही है। जिससे प्राइवेट स्कूलों और बजट स्कूलों का अस्तित्व खतरे में पड़ चुका है। जिसके कारण प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था खतरे में पड़ रही है, जिस पर प्रदेश के बच्चों का भविष्य बर्बाद हो रहा है। निजी स्कूलों के शिक्षकों व स्टाफ के सामने रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है।प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन, हरियाणा, प्रदेशाध्यक्ष एवं निसा राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा चंडीगढ़ में पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे। शर्मा ने कहा कि राज्य की भाजपा सरकार कोरोना संक्रमण लाक डाउन में तनाव झेलने वाले बच्चों को डर और तनाव में डालकर उनके साथ में मजाक कर रहे हैं। शर्मा ने कहा कि परीक्षाओं को लेकर असमंजस के हालत को पूरी तरह से साफ करें। बच्चे और अभिभावकों के सामने इस समय अपना जीवन बचाने का संकट है। लेकिन राज्य सरकार तनाव और भययुक्त परीक्षा कराना चाहती है। हम सीएम, शिक्षा मंत्री से स्टैंड साफ करने की मांग करते है, सरकार अगर निजी स्कूलों के विरुद्ध सौतेला व्यवहार कर रही है, तो एक अध्यादेश लाकर स्कूलों को बंद करने का आदेश जारी कर दे।उदाहरण के तौर पर उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से महामारी के दौर में भी चार तरह की बात की जा रही हैं। जिसमें अभिभावकों को फीस नहीं देने, अपनी सुविधा के हिसाब से फीस देने, जो सक्षम हैं, उनको फीस देने का सुझाव दे रहे हैं। इन निजी सेक्टर के स्कूलों में छह लाख शिक्षक, गैरशिक्षक काम करते हैं, सरकार इनको समायोजित करने का एलान करें, वर्ना निजी स्कूल संचालक आने वाले वक्त में आंदोलन करेंगे, इसके लिए भले ही उन्हें कोई भी कुर्बानी क्यों नहीं देनी पड़े ? फेडरेशन ने दो सुझाव देते हुए कहा कि सरकार अगर भलाई करना चाहती है, तो अभिभावकों के खातों में तीन-तीन हजार की राशि डालें क्योंकि इस समय उनको मदद की जरूरत है। अफसर व सरकार अगर स्कूल बंद करने पर उतारु है, तो छह लाख स्टाफ को समायोजित करे। एसएलसी (स्कूल लीविंग सर्फिकेट ) वाले आदेश को लेकर भी आपत्ति करते हुए इसे तुरंत ही वापस लेने की मांग मुख्यमंत्री से की है। कुलभूषण शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार लगातार निजी स्कूलों के लिए आए दिन नए नियम कानून लेकर आती है, लेकिन वही नियम कानून सरकारी स्कूलों पर लागू नहीं करती। इस दौरान बलदेव सैनी, रामअवतार शर्मा, श्रीचंद जाफरा, आशुतोष गौड़ जिला उपप्रधान ने भी अपनी बात रखी।निजी स्कूल संचालक तनाव में, रहात पैकेज का एलान करे सरकारफेडरेशन अध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने दावा किया कि निजी स्कूल संचालक भी वित्तीय हालात खराब होने के कारण डिप्रेशन में चल रहे हैं। लेकिन सरकार ने इन्हें कोई राहत नहीं देकर उन पर लगातार मनमाने नियम थोपने का काम किया है। अफसरशाही सरकार को ठीक तरह से सुझाव नहीं दे रही बल्कि निजी सेक्टर के लोग अपना अहम योगदान दे रहे हैं। अब कर्जदार स्कूल संचालकों के पास कोई रास्ता नहीं है, इसीलिए सरकार तुरंत ही राहत पैकेज का एलान करे। अगर सरकार ने मनमानी जारी रखी, तो हम भी असहयोग शुरु कर देंगे। एसएलसी मामले में शर्मा ने बताया कि निसा की ओऱ से हाई कोर्ट में मामला डाल दिया गया है, जहां से न्याय मिलेगा।