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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

खानपुर से 6 दिन में आती है रिपोर्ट, पानीपत में लैब बने तो कोरोना के मरीज जल्द पता लगेंगे, सैंपलिंग भी बढ़ेगी

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दैनिक भास्कर

May 12, 2020, 08:16 AM IST

पानीपत. दिल्ली से सटे एनसीआर जिलों की बात अगर छोड़ दें तो प्रदेश का पानीपत जिला कोरोना के लिहाज से सबसे अधिक खतरे में है। जहां माइग्रेट लेबर है, देश-विदेश से बड़ा कारोबार है। लेकिन यहां काेराेना सैंपल की जांच की कोई अपनी व्यवस्था नहीं है। सैंपल लेकर खानपुर मेडिकल काॅलेज और गुरुग्राम लैब में भेजे जा रहे। जहां से रिपोर्ट आने में 6-6 दिन लग रहे हैं। खतरा इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि तब तक कोरोना पॉजिटिव समाज और परिवार में बेधड़क घूमते रहते हैं। पानीपत में इसके कई उदाहरण हैं।
विशेषज्ञों के मुताबकि कोरोना का प्रकोप आगे अाैर बढ़ सकता है, इसलिए पानीपत में ही जांच की व्यवस्था बनानी हाेगी। इसके लिए यहीं लैब बनाई जाए, जिससे कि एक ही दिन में रिपोर्ट आ जाए और पता चल जाए कि कौन पॉजिटिव है और कौन निगेटिव। यहां जरूरी भी है कि क्योंकि आज भी जांच में पानीपत दूसरे पड़ोसी जिले से पीछे चल रहा है।

खानपुर में लोड बढ़ा, इसलिए रिपोर्ट में हो रही देरी

खानपुर लैब में वर्क लोड ज्यादा हो गया है। यहां सोनीपत, जींद, गोहाना और पानीपत के सैंपलों की जांच हो रही है। राेजाना 600 से ज्यादा सैंपल पहुंच रहे हैं, इसके साथ खानपुर में एडमिट इन जिलाें के पाॅजिटिव केसाें के रिपीट सैंपल की भी जांच होती है। इस कारण से रिपोर्ट में देरी हो रही है।

तीन पॉइन्ट में जांच होना चरुरी

1.  4 दिन अस्पताल में रखने के बाद घर भेजा, 2 दिन बाद पिता-पुत्र पॉजिटिव मिले: कालखा गांव के पिता-पुत्र का टेस्ट 30 अप्रैल काे हुआ। 4 मई काे तक रिपाेर्ट नहीं आई ताे अस्पताल से छुट्टी मिली। वे घर जाकर निश्चिंत हो गए। परिवार में घुले-मिले। 6 मई काे दाेनाें की रिपाेर्ट पाॅजिटिव आई। परिवार सात दिन बाद भारी परेशानियों से घिर गया।

2. एक दिन में तीन बार भेजे जाते हैं सैंपल, आने में 6 दिन लग रहे: एक दिन में तीन-तीन बार जांच के लिए सैंपल खानपुर लैब भेजे जा रहे हैं। सिविल अस्पताल से अगर कोई केस रेफर हो रहा होता है तो उसके साथ भी कर्मचारी को सैंपल लेकर भेज दिया जाता है, लेकिन रिपोर्ट आने में 6-6 दिन लग रहे हैं।

3. खतरे के मुहाने पर पानीपत, लेकिन सैंपलिंग में जींद से भी पीछे: जींद से तुलना करें तो पानीपत हर लिहाज से खतरे के मुहाने पर बैठा है। माइग्रेट लेबर ज्यादा है। बड़ा कारोबार है। लेकिन सरकारी आंकड़ों की बात करें तो सैंपलिंग में जींद से भी पानीपत पीछे चल रहा है। जबकि पानीपत में ज्यादा सैंपल की जांच होनी चाहिए। अब तक जींद में 3265 सैंपल की जांच हो चुकी है, जबकि पानीपत में सिर्फ 2153 सैंपलों की जांच हुई है।