- 34 घायलों में से एक की हालत गंभीर, 2 फैक्ट्रियों में रह-रहकर उठ रहीं चिंगारियां
- मॉडल इंडस्ट्रियल इस्टेट (एमआईई) के पार्ट-बी में शुक्रवार दोपहर हुआ था ब्लास्ट
Dainik Bhaskar
Mar 01, 2020, 09:21 AM IST
बहादुरगढ़. मॉडल इंडस्ट्रियल इस्टेट (एमआईई) के पार्ट-बी में शुक्रवार दोपहर केमिकल फैक्ट्री में बॉयलर फटने के बाद से मलबे में दबे लोगों काे बाहर निकालने का प्रयास किया जा रहा है। शुक्रवार को चार श्रमिकों की मौत की पुष्टि हुई थी। वहीं, शनिवार को मलबे से एक युवक के शव का धड़ और नीचे की टांगे अलग-अलग मिली। अब अंदेशा यह जताया जा रहा है कि यह अलग-अलग हो सकती हैं। इस वजह से मरने वालों की संख्या 6 बताई जा रही हैं।
इनमें से 3 की पहचान हो चुकी है। अभी भी दो और लोगों के दबे होने की आशंका है। इस धमाके के कारण चार फैक्ट्रियां जमींदोज हो गईं, उनमें से भी दो में अभी भी रह-रहकर आग लग रही है। इससे दिन भर फायर विभाग के कर्मचारी पानी से काबू पाने का प्रायस करते रहे। इनमें दो तो जूते की फैक्ट्री हैं। अस्पताल में 34 लोगों का उपचार चल रहा है। इनमें से एक की हालत गंभीर बताई है।
इन शवों की हुई पहचान : अभी तक मिले शवों में तीन की पहचान हुई है। उसमें नरेश फैक्ट्री नंबर 1815 में काम करता था। मोनू 1816 में काम करता था। तीसरे की पहचान सरोज के रूप में हुई वह हरदोई का निवासी है और वह भी 1816 में काम करता था।
पड़ाेसी फैक्ट्री संचालक की शिकायत पर केस
हादसे वाली केमिकल फैक्ट्री के पड़ाेस में जूतों के अपर बनाने वाले राजकुमार ने सिटी थाने में फैक्ट्री मालिक विभा जैन व राजन जैन के खिलाफ शिकायत की है। राजकुमार ने पुलिस को गई शिकायत में कहा कि शुक्रवार को वह अपनी फैक्ट्री से कुछ दूरी पर टहल रहा था कि राजन जैन की केमिकल फैक्ट्री में हुए तेज धमाके के साथ उसकी फैक्ट्री के भी परखच्चे उड़ गए। उसकी फैक्ट्री में पांच लेबर काम करती है व उसके परिवार भी फैक्ट्री की पहली मंजिल पर रहते हैं। केमिकल की फैक्ट्री में अाग लगने से चार से छह अन्य फैक्ट्रियों में भी आग लगी है। सिटी थाना प्रभारी बिजेंद्र ने बताया कि मामला दर्ज कर लिया गया है व मामले की जांच का काम शुुरू कर दिया है।
आसपास की 9 फैक्ट्रियों में नुकसान, तंग गलियों में राहत पहुंचाने में दिक्कत
शुक्रवार देर शाम गाजियाबाद से एनडीआरएफ और भोंडसी से एसडीआरएफ की टीम को भी बुला लिया गया था। तीन मंजिला इमारत का मलबा हटाना सबसे मुश्किल काम है। क्योंकि पोपलेन मशीन को इन तंग गलियों में पहुंचने में खुला रास्ता नहीं मिल पा रहा था। अभी तक भी गलियों में मलबा भी साफ नहीं हो पाया है। सुबह से ही बहादुरगढ़ चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज के पदाधिकारियों के साथ-साथ डीसी, डीआईजी के अलावा कई विभागों के अधिकारी मौके पर पहुंचे। आग बुझाने के लिए बहादुरगढ़ के अलावा दिल्ली व सोनीपत से भी फायर ब्रिगेड की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं।
बताया गया कि 1816 नंबर की फैक्ट्री में हादसा हुआ। इसके साथ स्थित 1815 नंबर में जूता फैक्टरी है तो 1814 में गोदाम है। यह दोनों भी हादसे में ध्वस्त हो गए। इसके पीछे स्थित 1810 और 1817 नंबर रेफ्रिजेशन की कंपनी की भी छतें उड़ गईं। इन फैक्ट्रियों के सामने स्थित 1852, 1853 व 1854 नंबर की फैक्ट्री में आग लग गई। जबकि इनसे कुछ दूरी पर स्थित 1740 नंबर में चल रही जूते की फैक्ट्री पूरी तरह खाक हो गई।
केमिकल का चैम्बर दूसरी फैक्ट्री का लेंटर तोड़ हॉल में जा गिरा
फैक्ट्री का धमका इतना तेज था कि उसके केमिकल के चैम्बर साथ की फैक्ट्री का लेंटर तोड़ वहां हॉल में जा गिरा। जहां काम कर रहे करीब 10 श्रमिक भाग गए, जबकि पूजा नाम की श्रमिक लेंटर गिरने से मलबे में फंस गई। बाद में पुलिस व फायर कर्मियों ने उसे निकाला। इस फैक्ट्री का लेंटर करीब 8 इंच का है। वह इस तरह से टूटा है व केमिकल के चैम्बर उसमें गिरे हैं, जैसे किसी हवाई जहाज ने बम फेंक दिए हो। श्रमिक पूजा ने बताया कि उसे केवल इतना याद है कि तेज धमाका हुआ। इसके बाद लेंटर गिरने से उसकी टांग मलबे में फंस गई।