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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

परी हाट-कस्बा कारीगारी प्रदर्शनी में आधुनिक फैशन के कपड़े, ज्युलरी और दस्तकारी के नायाब नमूने पेश किये

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चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री। परी हाट-कस्बा कारीगारी प्रदर्शनी में आधुनिक फैशन के कपड़े, ज्युलरी और दस्तकारी को पेश किया है।फैशन डिज़ाइनर व क्यूरेटर रश्मि बिंद्रा द्वारा परिकल्पित परी हाट-कस्बा कारीगारी का नामक एक प्रदर्शनी आज यहां होटल शिवालिक व्यू, सेक्टर-17 में शुरू हो गयी, जिसमें भारत के विभिन्न हिस्सों की खोती जा रही कला और बेहतरीन विरासत शिल्प कला को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है। प्रदर्शनी 2 फरवरी (रविवार) को भी जारी रहेगी और इसमें रोजाना सुबह 11 बजे से शाम 7.30 बजे तक कोई भी जा सकता है। सिटको की प्रबंध निदेशक जसविंदर कौर सिद्धू (आईएएस) ने औपचारिक रूप से प्रदर्शनी का उद्घाटन किया।रश्मि बिंद्रा ने कहा,मैंने कुछ बेहतरीन हस्तकला और फैशन की खोज करने के लिए तीन महीने तक भारत के विभिन्न भागों में यात्रा की। परी हाट टीम ने सभी संभावित प्रतिभाओं को एक साथ लाने के लिए अथक परिश्रम किया है। यह प्रदर्शनी भरोसे, रचनात्मकता, पारंपरिक से आधुनिक, नवीन से एथनिक और लगजरी से सादगी तक की एक कहानी कहती है। इसमें भारत के विविध रंगों, कला और भव्यता को समेटा गया है। रश्मि ने कहा, पूरी प्रदर्शनी को छोटे से छोटे कौशल या कारीगारी को सशक्त बनाने और फैशन, कला व जीवन शैली के प्रदर्शन से, खोई हुई विरासत को पुनर्जीवित करने के मकसद से प्लान किया गया है, जो कि प्रेम और परिश्रम का नतीजा है। प्रदर्शनी का फोकस विरासत में मिले शिल्प कौशल और कला के पुनरुद्धार पर है, जो कि समय के साथ खोती जा रही है। प्रदर्शनी को रश्मि बिंद्रा द्वारा परी फाउंडेशन के सहयोग से लगाया गया है, जिसका फोकस रोजगार प्रदान करके महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को बनाये रखने पर है। सिटको भी प्रदर्शनी के साथ जुड़ा हुआ है। आईनिफ्ड इस ईवेंट का क्रिएटिव पार्टनर है।परी फाउंडेशन की संस्थापक डॉ. परमिंदर कौर ने कहा, ‘यह शोकेस भारतीय विरासत की शान और भव्यता को प्रस्तुत कर रहा है। हम सभी प्रकार की स्थायी आजीविका के समाधानों का प्रदर्शन और प्रचार कर रहे हैं और परी हाट के माध्यम से शिल्प कौशल की विरासत को बनाए रखने की कोशिश की जा रही है। परी हाट में 5 एजीओ भाग ले रहे हैं, जो गरीब कारीगरों की छिपी हुई प्रतिभा को सामने लाने की दिशा में प्रयासरत हैं। फैशन डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया (एफडीसीआई) के डिजाइनर अभि सिंह को भारतीय हथकरघा में उनके योगदान के लिए जाना जाता है। निफ्ट, नई दिल्ली के पूर्व छात्र राहुल सिंह कशीदकारी और सबूरी में अपनी विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं। प्रसिद्ध डिजाइनर सोनिया जेटली की दस्तकारी के नमूने भी प्रदर्शनी में उपलब्ध हैं।मुम्बई की नर्गिस और वीरा यहां पारसी गर्रा और कढ़ाई का खजाना लेकर आयी हैं। रस्की और रितु कश्मीरी शैली का टिल्ला और जरी वर्क लेकर आयी हैं। रितु जम्मू-कश्मीर से हैं। असम के नोमी वीवर्स नेस्ट ने उस क्षेत्र की समृद्ध विरासत और रचनात्मकता को अपने फैशन कलेक्शन में पेश किया है। सिकंदर खत्री के एसए क्रिएशंस के पास भुज, गुजरात के असली बंधेज शिल्प हैं। राजस्थान के कुलदीपक सोनी की पिछवई लघु कला और चित्रों ने पूरे शो को एक जादुई टच दिया है। पटियाला का पुंजला लेबल यहां है। ज्योति खोसला के ज़ेफिर ने शनील पर अजरक से तैयार कलेक्शन दर्शाया है। अलबसीर का स्टॉल यहां है, जहां कश्मीर की कलाओं का एक विशेष संग्रह है। जोया और ताशी के जोयाशी ने करघे का उपयोग करते हुए डिजाइन तैयार किये हैं। कुमुद के डिजाइनों में चिकनकारी को अलंकृत किया गया है। जिगिशा द्वारा बगिया ईको क्लोदिंग में पत्तों की मदद से तैयार ऑर्गेनिक वस्त्रों की प्रदर्शनी लगायी गयी है, जो कि एक सुंदर कला है।रश्मि बिंद्रा ने खुद हाथ से पेंट की हुई साडिय़ों और सूट का एक संग्रह प्रदर्शित किया है, जिसमें बाटिक, टाई और डाई का स्पर्श देखने को मिलता है।रश्मि ने आगे कहा, हमारे पास ईरानी और फारसी वर्क वाले शॉल, स्टोल और साडिय़ां भी हैं और यदि आप अपनी पश्मीना को ठीक करना चाहती हों तो यह काम प्रदर्शनी में कराया जा सकता है। लुबना आपके पुराने कपड़ों में नयी जान डाल देंगी। एहसास ने खूबसूरती से असली कुंदन और पोल्की आभूषण तैयार किए हैं। इसके अलावा परी हाट में ऑर्गेनिक चीजों की बहुतायत है, फिर चाहे बात हैंडबैग, मसालों व अचार की हो या जड़ी बूटी की। छोटे निक-नेक्स, बारीक गहने, बेक और केक, फूल तथा बर्तन दर्शनीय है।