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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

गाजियाबाद में फर्जी कॉल सेंटर खोलकर देशभर में ठगी करने वाले 6 शातिर चंडीगढ़ पुलिस ने पकड़े, बैंकों से डाटा लेते थे

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  • ठगों से 100 सिम कार्ड और 100 एटीएम कार्ड भी बरामद
  • फर्जी आईकार्ड बना रखे थे, फोटो भेजकर यकीन दिलाते थे

Dainik Bhaskar

Feb 01, 2020, 08:15 AM IST

चंडीगढ़. फर्जी कॉल सेंटर चलाकर ठगी करने वाले एक रैकेट को चंडीगढ़ पुलिस के साइबर सेल ने पकड़ा है। 6 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। आरोपियों को लोगों के बैंक का डाटा मुहैया करवाने वाली युवती की पुलिस तलाश कर रही है। 

आरोपियों को साइबर सेल ने कोर्ट में पेश किया, जहां से उनका 5 दिन का पुलिस रिमांड हासिल कर लिया है। आरोपी पहले कॉल सेंटर में काम कर चुके हैं। यहीं से इन्होंने रैकेट बनाया। ये जानते थे कि कैसे कॉल कर कस्टमर को ठगना है। इसके बाद ये बैंक डाटा के आधार पर टारगेट के साथ पूरी बात करते थे। उन्हें उनके अकाउंट की पूरी डिटेल देते थे।

जिन लोगों की इंश्योरेंस पॉलिसी लैप्स होती थी, उन्हें बोला जाता था कि वे उसे दोबारा से रिवाइव कर देंगे। इससे पीड़ित को यकीन हो जाता था कि कॉलर बैंक से ही फोन कर रहा है। यदि फिर भी शक हो तो आरोपी उसे फर्जी आईडी कार्ड तक भेज देते थे। इस पर कस्टमर यकीन कर लेता था और पैसे उनके बताए अकाउंट में डाल देता था। 
 

सभी की उम्र 21 से 30 साल के बीच

आरोपियों की पहचान गाजियाबाद के 30 साल के मुनीष कुमार, 23 साल के मुकेश कुमार, 28 साल के अंकुर वर्मा, 28 साल के गौरव वर्मा, झारखंड के 21 साल के राजू रंजन यादव और 23 साल के सूरज के रूप में हुई है। आरोपियों से 100 सिम कार्ड, 100 एटीएम कार्ड, 100 पासबुक मिली, 70 चेक बुक, 25 मोबाइल, 40 रजिस्टर, 2 लैपटॉप मिले हैं। 
 

सेक्टर-21 के रहने वाले वकील के साथ की थी ठगी

साइबर सेल के पास एक एडवोकेट की शिकायत आई थी। उन्होंने बताया था कि उनकी एक एचडीएफसी बैंक में पॉलिसी है। उन्हें एक कॉल आया। फोन करने वाले ने बताया कि आपकी पॉलिसी लैप्स हो गई है। उसे दोबारा रिवाइव करने के लिए साढ़े तीन लाख रुपए लगेंगे।

ठग ने एडवोकेट को उनकी पूरी पर्सनल डिटेल बता दी, जिससे वकील को यकीन हो गया कि फोन करने वाला बैंक से ही है। उन्होंने तो बाद में पता चला कि उनके साथ ठगी की गई है। इसके बाद उन्होने साइबर सेल को शिकायत दी।
 

ऐसे निकालते थे नकदी

आरोपियों ने कुछ ऐसे लोग तलाश रखे थे जो अपने अकाउंट में पैसा डलवाने को राजी हो जाते थे। ये लोग इसकी एवज में कुछ अमाउंट लेते थे। वहीं, ठग बैंकों से मिले कस्टमर के डाटा के हिसाब से कॉल करते थे। पॉलिसी लैप्स के अलावा कई तरह की बातें कहकर कस्टमर को उनके बताए बैंक अकाउंट में कैश जमा करवाने के लिए तैयार करवा लेते थे। अकाउंट में नकदी आती थी तो तुरंत निकाल लेते थे। 
 

जिम्मेदारी थी तय
साइबर सेल को इस मामले में एक लड़की की तलाश है। यह लड़की कॉल सेंटर को इंंश्योरेंस होल्डर का डाटा मुहैया करवाती थी। जबकि मुनीश कुमार, मुकेश कुमार, अंकुर वर्मा और गौरव वर्मा का काम कॉलिंग करना होता था। इसके अलावा पकड़े गए राजू रंजन यादव और सूरज मुर्मू का काम बैंक अकाउंट होल्डर को तलाश करके लाना होता था, जिसमें नकदी को ट्रांसफर किया जाता था।