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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

गंभीर हार्ट वाल्व डिसॉर्डर से पीडि़त 77 व्यक्ति को मिला नया जीवन

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चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री।मोहाली, गंभीर हार्ट वाल्व डिसॉर्डर से पीडि़त 77 वर्षीय व्यक्ति को हाल ही में मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, मोहाली में ट्रांसकथाईटर इयोटिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टावी) प्रोसीजर के बाद एक नया जीवन मिला।टावी प्रोसीजर, डॉ टीपी सिंह, डायरेक्टर-कार्डियोलॉजी व डॉ सुधीर सक्सेना सीनियर डायरेक्टर व हेड कार्डियोलॉजी ने मैक्स में पहली बार किया ।मरीज को अत्यधिक सांस और थकान के साथ मैक्स लाया गया था। मरीज गंभीर हार्ट वाल्व डिसॉर्डर कैल्सीफिक इयोटिक स्टेनोसिस से पीडि़त था । चूँकि मरीज को फेफड़ों की बीमारी के कारण सर्जिकल इयोटिक वाल्व रिप्लेसमेंट में बहुत अधिक जोखिम था इसलिए टावी करने का निर्णय लिया गया।डॉ टीपी सिंह, जो विशेष रूप से लिवरपूल, यूके से टावी प्रोसीजर के लिए प्रशिक्षित हैं, ने बताया कि टावी ट्रांसकैथेटर इयोटिक वाल्व इम्प्लेन्टेशन है। इस प्रोसीजर में इयोटिक वाल्व को बदलने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी की जरुरत नहीं पड़ती । यह रोगियों के लिए बहुत आरामदायक है और प्रक्रिया के 3 दिन के बाद उन्हें छुट्टी दे दी जाती है।उन्होंने आगे बताया कि बुजुर्ग मरीज़ जिनमें ओपन सर्जरी संभव नहीं है या जोखिम भरा है, उनके लिए ये प्रक्रिया उत्तम हैं। गंभीर इयोटिक स्टेनोसिस का यदि समय पर इलाज नहीं किया जाये तो लगभग 10 प्रतिशत वाल्व की समस्या से पीडि़त बुजुर्ग रोगी के लिए केवल मृत्यु की प्रतीक्षा करना एक विकल्प बचा रह जाता है।डॉ सुधीर सक्सेना ने कहा, यह मरीज इंटरस्टीशियल लंग डिजीज और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया से भी पीडि़त था। रोगी को पहले इयोटिक वाल्व इम्प्लेन्टेशन के लिए ओपन हार्ट सर्जरी की सलाह दी गई थी जिसे सर्जनों उसके मोटापे और फेफड़ों की स्थिति को देखते हुए अस्वीकार कर दिया था।कोमॉर्बिडिटीज के कारण उन्हें उचित उपचार प्राप्त करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा था। इसलिए हमने सर्जरी के बिना टावी प्रोसीजर की योजना बनाई । उन्हें तीसरे दिन और बहुत ही संतोषजनक सुधार के साथ छुट्टी दे दी गई।