चंडीगढ़,सुनीता शास्त्री।जिस की कार्यअवधि 2 दिन रहेगी, वर्कशॉप में दिग्गजभांगड़ा नर्तक और प्रशिक्षक गुरप्रीत सिंह प्लाहाने वर्कशॉप का संचालन किया और वर्कशॉप में मौजूद लगभग हर आयु वर्ग के लगभग 30से ज्यादा कलाकारों को भांगडा और क्लासिकल नृत्य से जुड़ी बारीकियों बारे में अवगत कराया ।स्वर्गीय उस्ताद गरीब दास जी के शागिर्द गुरप्रीत सिंह ने वर्कशॉप में फोक नृत्य में इस्तेमाल होने वाली मुद्राओं का जिक्र किया । तकरीबन 14 साल से अधिक भांगड़ा में प्रशिक्षण दे चुके गुरप्रीत ने फोक नृत्य के महत्त्व को बताते हुए कहा कि, फोक नृत्य ही बारिकीयां नृत्यों की बुनियाद है ,जो फोक सीखता है उसके लिए बाकी नृत्य सीखना स्वत: आसान हो जाता है।गुरप्रीत सिंह ने ढोलकी की थाप पर अपनी कदम ताल कैसे मिलायी जाए इसके बारे में अवगत कराया ।पंजाब की पारंपरिक शैली भांगड़ा है और इसमें भी कई तरह की शैलीयां है ,जैसे कि गिद्दा, लुडडी,भांगड़ा ,जलली इत्यादि , ढोल के साथ ताल से ताल मिलाते हुए गुरप्रीत जी ने प्रतिभागियों को उसकी पर थिरकना सिखाया. भंगड़ा के अलग अलग पारंपरिकस्टेप्स सिखाने के साथ साथ उन्होंने उनके इतिहास से भी परिचित करवाया। साथ ही जानकारी दी की किस प्रकार वर्तमान समय में भांगडा आने प्रारंभिक स्वरूप सेअलग होता जा रहा है। वर्कशॉप में मौजूद सभी कलाकारों को ढोलकी तथा बॉडी रिदम और स्टेप्स पॉलिशिंग पर बहुत बारीकी से वर्क करवाया । वर्कशॉप में चंडीगढ के काफी ग्रुप्स ने भाग लिया ,जिनमें परंपरा आर्ट्स , इंपेक्ट आर्ट्स इत्यादि ग्रुप्स ने बलकार गुरप्रीत जी के अनुभव का भरपूर लाभ उठाया गुरप्रीत जी का साथ ढोली जसबीर सिंह मीका जी ने दिया। दो दिन चलने वाली यह वर्कशॉप 31 जनवरी को संपन्न होगी ।
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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020