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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

शराब हाेगी सस्ती, बिजली के दाम 30 पैसे प्रति यूनिट बढ़ेंगे, एक रुपए और बढ़ाने का प्रस्ताव

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  • बिजली के दाम एक रुपए बढ़ाने के लिए पावरकॉम ने डाली रिवाइज्ड पिटीशन, इंडस्ट्री विरोध में 
  • दाम बढ़ाए जाने से सरकार है पावरकॉम-पीएसपीसीएल अधिकारियों से नाराज

Dainik Bhaskar

Dec 31, 2019, 04:49 AM IST

चंडीगढ़/जालंधर. नए साल में शराब सस्ती होगी और बिजली के दाम बढ़ेंगे। सरकार ने शराब तस्करी राेकने अाैर राजस्व बढ़ाने के लिए 2020-21 की एक्साइज पाॅलिसी बनाने का अभी से काम शुरू कर दिया है। क्योंकि शराब की तस्करी से सूबा सरकार को हर साल करोड़ों रुपये का नुकसान हाेता है।

राजस्व बढ़ने से पटरी से उतर चुकी अर्थव्यवस्था काे पटरी पर लाने में सरकार काे फायदा हाेगा। वहीं, एक जनवरी से 30 पैसे प्रति यूनिट बिजली के दाम बढ़ जाएंगे। इतना ही नहीं इसके अलावा पावर कॉम ने राज्य के पावर रेगुलेटरी कमीशन के सामने एक रिवाइज्ड पटीशन दायर करके कहा है कि उसे बिजली के रेट बढ़ाने की जरूरत है।

पावर कॉम ने कम से कम ₹1 यूनिट बढ़ोतरी करने पर रेवेन्यू लॉस कम होने की बात कही है। रिवाइज्ड पटीशन में पावर कॉम ने कमाई और खर्च में तकरीबन 3000 करोड़ रुपए का अंतर बताया है। इस पटीशन पर आज पब्लिक नोटिस जारी करके कहा गया कि जिस भी उपभोक्ता को इस पर ऐतराज हो इसे दर्ज करा सकता है।

पावर कॉम ने पिछले हफ्ते किलोवाट ऑवर्स कैटिगरी के कनेक्शन को 30 पैसे प्रति यूनिट, किलोवाट एंपियर के हिसाब से बिजली बिल देने वालों को उन्नति पैसे प्रति यूनिट और खेती-बाड़ी उपभोक्ताओं को प्रति हार्स पावर ₹20 अतिरिक्त देने के लिए आदेश जारी किए हैं। यह आदेश 2020 में लागू रहेंगे। 

शराब इसलिए सस्ती
सरकार की समझ में आ गया है कि पंजाब में शराब माफिया हावी है। पड़ाेसी राज्यों की अपेक्षा शराब के दाम लगभग दोगुने हैं। ऐसे में शराब तस्कर दूसरे राज्यों से शराब लाकर पंजाब में सप्लाई करते हैं। इससे पंजाब में खपत तो पहले की जितनी ही होती है लेकिन पंजाब मार्का की शराब की बिक्री कम होती है। शराब के दाम को कम कर तस्करी को रोका जाए।

बिजली इसलिए महंगी 
पावर कॉम ने कहा कि 2200 करोड़ से अधिक की बिजली विभिन्न संसाधनों से खरीदी गई। 13 सौ करोड़ रुपए प्राइवेट थर्मल प्लांटों से किए गए एमओयू के अनुसार फिक्स्ड चार्जेस चुकाने के लिए चाहिए होते हैं। पावर कॉम के अनुसार 3000 का रेवेन्यू और खर्च में अंतर है। जिसे घटाने के लिए बिजली की कीमत में बढ़ोतरी की जरूरत है। कम से कम ₹1 यूनिट की बढ़ोतरी करवा लेना चाहते हैं। इंडस्ट्री में इस बढ़ोतरी का विरोध शुरू कर दिया है। 
 

एक चौथाई ही आमदन हुई एक्साइज से

एक्साइज से 6 हजार 201 करोड रुपये की एक्साइज ड्यूटी से राजस्व एकत्रित करने का लक्ष्य रखा था। सरकार को महज 1912.32 करोड़ रुपये ही एक्साइज से मिल पाए थे। यानि सरकार 4279.68 करोड़ रुपये कम राजस्व की प्राप्ति हुई। इन आंकड़ों को समझा जा सकता है कि सरकार को कितना कम राजस्व मिला है।

बड़ा नुकसान तस्करी से

एक्साइज से आने वाले राजस्व में सबसे बड़ी सेंध तस्करी लगा रही है। सरकार को अब यह बात अच्छी तरह से समझ आ चुकी है और तस्करी पर पूरी तरह से लगाम कसने की तैयारी में है। इसको लेकर जहां अब नाकों पर सख्ती की जाएगी। वहीं दूसरी और शराब माफिया पर भी नजर रखी जाएगी। 

दिल्ली की पाॅलिसी का अध्ययन

सरकार के अधिकारी तेलंगाना और दिल्ली सहित कई दूसरे राज्यों की एक्साइज पाॅलिसी को पहले से ही अध्ययन कर चुके है।