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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

संतों का जीवन परोपकार के लिए होता है: स्वामी आत्मानंद पुरी

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स्थानीय शिवाला मंदिर में श्री श्री 1008 ब्रह्मलीन सिद्ध स्वामी प्रकाश पुरी जी महाराज की 65वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में शिव शक्ति योग मिशन द्वारा श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन बुधवार की कथा का शुभारंभ संदीप शर्मा तथा राहुल शर्मा द्वारा ज्योति प्रचंड करके किया गया। इस अवसर पर श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी आत्मानंद पुरी जी ने प्रवचन करते हुए कहा कि सत्य सबसे बड़ा धर्म है, जिसके जीवन में है उसी के जीवन में धर्म होता है। आज सच्चाई खत्म हो रही है और अधर्म बढ़ता जा रहा है। स्वामी जी ने कहा कि मैं और मेरा ही बंधन है। मैं और मेरा को छोड़ देना ही मुक्ति है। इंसान या तो मैं मैं करता रहता है या मेरा मेरा करता रहता है, इस मैं और मेरा को छोड़ना बहुत मुश्किल है। स्वामी जी ने कहा कि परोपकार करने वाला मनुष्य महान होता है। भगवान श्री राम लक्ष्मण से कहते हैं कि जिस प्राणी के जीवन में परोपकार की भावना होती है वहीं मुझे प्राप्त कर सकता है। संतों का जीवन परोपकार के लिए ही होता है, दूसरों के लिए संत महापुरुषों ने अपना जीवन तक दान कर दिया। महाराजा शिनि ने शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर दिए महाराज दधीच ने अपनी हड्डियां तक दान कर दी। दूसरों का हित करना ही धर्म है और दूसरों का अहित करना अधर्म है। धर्म ही मानव का सच्चा साथी है, जो लोक और परलोक मैं सहायता करता है। इस मौके पर ओम प्रकाश पुरी, काला संतुवालिया, मदन लाल शर्मा, गुलशन शर्मा, रविंद्र पप्पू, सुदेश शर्मा, राजकुमार, सुंदरम सूद, धर्मवीर, राजेश पासी लकी, सतीश मोहन देवगन, विनीत कालड़ा, कुलजीत शर्मा, गगन शर्मा, प्रिंस, पूर्ण चंद, पुरुषोत्तम शर्मा तहसीलदार आदि उपस्थित थे।