चंडीगढ़, सुनीता शस्त्री। वल्र्ड ब्रेन स्ट्रोक डे पर आम लोगों को स्ट्रोक/अधरंग तथा जीवन शैली में सुधार संबंधी जागरूक करने के लिए पारस अस्पताल पंचकूला के डाक्टरों की टीम ने पत्रकारों को संबोधित किया, जिनमें पारस अस्पताल के इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डा. प्रोफैसर विवेक गुप्ता व न्यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डा. दीपक गुप्ता मौजूद थे।अस्पताल के इंटरवैंशनल न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डा. प्रोफैसर विवेक गुप्ता ने इस अवसर पर पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि हर वर्ष हमारे देश में 15 से 20 लाख लोगों को दिमागी दौरा पड़ता है या दिमाग की नस फटने की शिकायत होती है तथा इसी तरह यह समस्या एक महामारी का रूप धारण करती जा रही है। उन्होंने बताया कि देश में रोजाना 3000-4000 लोगों को यह दौरा पड़ता है, जबकि सिर्फ 2-3 फीसदी लोग ही इसका इलाज करवाने के समर्थ होते हैडा. गुप्ता ने बताया कि दुनिया भर के आंकड़ों के अनुसार एक लाख लोगों के पीछे वर्ष में करीबन 60-100 लोगों को यह शिकायत होती है, जबकि भारत में यह गिनती 145 से अधिक है। डा. गुप्ता ने कहा कि दिमाग का दौरा दो किस्म का होता है, जिसको इसकीमक तथा हैमोरेजिक कहा जाता है। उन्होंने बताया कि इसकीमक दौरे में खून के कतले के कारण दिमाग को खून की सप्लाई कम हो जाती है तथा हैमोरेजिक में दिमाग की नसें फट जाती है। उन्होंने बताया कि इसकीमक दौरे की सूरत में एक टीका लगाकर इसका इलाज किया जाता है, जबकि मकैनिकल थरोसबैकटोमी की मदद के साथ दिमाग के दौरे का तुरंत इलाज हो जाता है। यह इलाज पारस अस्पताल पंचकूला में उपलब्ध है। डा. गुप्ता ने बताया कि इस तकनीक के साथ दौरा पडऩे के 6 घंटे तक तथा कुछ केसों में 24 घंटे तक इसका इलाज हो सकता है। न्यूरो के माहिर डा. दीपक गुप्ता ने बताया कि भारत जैसे विकासशील देशों में यह नई तकनीक बहुत सफल है।