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Posted by Surinder Verma on Tuesday, June 23, 2020

भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर दोस्त दुष्यंत को जन्मदिन की बधाई देने गए और वहीं से शुरू हुई गठबंधन की कहानी

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  • दिल्ली में अनुराग ठाकुर और दुष्यंत चौटाला पड़ोसी हैं, दोनों पुराने दोस्त
  • शुक्रवार को दुष्यंत जेल में पिता अजय चौटाला से मिले, वहां तय हुआ कि क्या मांगें रखनी हैं
  • दुष्यंत को उनके विधायकों ने सुझाव दिया कि उन्हें सरकार में शामिल होना चाहिए

Dainik Bhaskar

Oct 26, 2019, 09:20 AM IST

पानीपत.  हिमाचल से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की दिल्ली में 18 जनपथ पर कोठी है। वहीं पड़ाेस में दुष्यंत चाैटाला भी रहते हैं। दाेनाें की पुरानी दोस्ती है। गुरुवार को जब चुनाव नतीजाें में भाजपा 35 के आसपास अटकती दिखी तो अनुराग और प्रकाश सिंह बादल के जरिए दुष्यंत से बात शुरू हुई। दुष्यंत ने एक दिन का समय मांगा। शाम होते-होते जब भाजपा की 40 सीटें हाे गईं, निर्दलीय 7, हरियाणा लोकहित पार्टी  से गोपाल कांडा और इनेलो से अभय चौटाला जीते तो भाजपा के प्रदेश संगठन ने दुष्यंत को किनारे कर निर्दलियाें के साथ मिलकर सरकार बनाने की योजना बना ली। दुष्यंत समेत अन्य निर्दलियाें पर दबाव बने, इसके लिए गोपाल कांडा और रणजीत सिंह का फोटो भी जारी करवाया गया।

ऐसे बदली तस्वीर
दुष्यंत ने शुक्रवार सुबह दिल्ली में विधायक दल की बैठक की। इसमें दुष्यंत को विधायक दल का नेता चुना गया। विधायकों ने सुझाव दिया कि उन्हें सरकार में शामिल होना चाहिए। दुष्यंत जेल में पिता अजय चौटाला से मिले। वहां तय हुआ कि भाजपा के साथ जाना है और क्या मांगें रखनी हैं। दूसरी तरफ गोपाल कांडा से समर्थन लेने का दांव भाजपा को उल्टा पड़ गया। हर जगह विवाद होने लगा। वहीं दुष्यंत शाम को अनुराग से उनकी कोठी पर मिले। वहां उन्हें एक दिन पहले गए उनके जन्मदिन की बधाई दी और गठबंधन पर चर्चा की। इसके बाद अनुराग ने पार्टी अध्यक्ष अमित शाह को फोन कर जानकारी दी। शाह अहमदाबाद दौरा बीच में रद्द कर सीधे दिल्ली आए।

जजपा ने डिप्टी सीएम, राज्यसभा सीट मांगी थी

शाह ने मनोहरलाल खट्टर, जेपी नड्डा, अनिल जैन, बीएल संतोष के साथ बैठक कर निर्णय लिया कि निर्दलियों की बजाय जजपा के साथ जाना ठीक रहेगा। अनुराग से कहा गया कि वे दुष्यंत को लेकर शाह के आवास पर आएं। अनुराग दुष्यंत की कोठी में पीछे के गेट से गाड़ी लेकर गए और दुष्यंत काे शाह के आवास पर ले गए। भाजपा ने उन्हें दो कैबिनेट मंत्री और एक राज्यमंत्री की पेशकश की, जजपा ने डिप्टी सीएम पद और सीट खाली होने पर राज्यसभा में एक सीट की मांग रख दी। शाह राज्यसभा के लिए तैयार हो गए, पर डिप्टी सीएम के लिए प्रदेश संगठन तैयार नहीं था।

काफी विचार के बाद भाजपा ने डिप्टी सीएम का पद देने की भी हामी भर दी। जजपा के साथ गठबंधन के पीछे भी कई कारण हैं। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व चाहता है कि प्रदेश में संतुलित सरकार बने। निर्दलियों को रोज-रोज न संभालना पड़े। वहीं, पार्टी की नजर दिल्ली के विधानसभा चुनाव पर भी है। भाजपा हर हाल में इसे जितना चाहती है। दिल्ली में करीब 7 लाख जाट मतदाता हैं। 10 सीटों पर जीत का गणित भी यही जाट तय करते हैं। यही नहीं, बल्कि पूर्वी दिल्ली की 3 विधानसभा सीटों पर भी जाट वोट दूसरे नंबर पर हैं। भाजपा यहां भी दुष्यंत के जाट चेहरे का फायदा लेना चाहती है।

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