- इस्कॉन बेंगलुरु में जन्माष्टमी उत्सव 23 अगस्त से शुरू होकर 24 की रात तक तक चलेगा
- 108 तरह के भोग, एक लाख लड्डुओं और एक लाख दोने खिचड़े का प्रसाद बंटेगा
- 108 नदियों का जल, 108 तरह की औषधियां, 15 तरह के फलों के रस और 35 तरह के फूलों से महा-अभिषेक होगा
- 12 आरतियों में 12 डिजाइन की दीपमालाएं होंगी, जिसमें गरुड़, हनुमान, नाग आदि शामिल
Dainik Bhaskar
Aug 23, 2019, 08:35 AM IST
नितिन आर. उपाध्याय. श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 23 और 24 अगस्त को मनाई जाएगी। पंचांग भेद के कारण इस बार दो दिन जन्माष्टमी का योग बन रहा है। 23 को अष्टमी तिथि है, लेकिन रोहिणी नक्षत्र नहीं है। 24 को सुबह उदय तिथि अष्टमी रहेगी, साथ ही रोहिणी नक्षत्र भी। अंतरराष्ट्रीय श्रीकृष्ण भावनामृत संघ (इस्कॉन) में 23 (तड़के 4 बजे) से श्रीकृष्ण जन्मोत्वस शुरू होगा जो 24 अगस्त की रात 1 बजे तक लगातार चलेगा। मूल उत्सव 24 को ही मनाया जाएगा। इस तरह करीब 36 से 38 घंटे तक श्रीकृष्ण जन्मोत्सव की धूम रहेगी।
ज्वेलरी में कर्णफूल और कंठहार
इस्कॉन बेंगलुरु में भव्य पैमाने पर इस उत्सव की तैयारी की जा रही है। कृष्ण जन्माष्टमी उत्सव के लिए करीब 20 लाख की ज्वेलरी तैयार कराई गई है, इसमें सोने-चांदी के आभूषणों को अमेरिकन डायमंड के साथ तैयार किया गया है। इनमें मत्स्य डिजाइन के कर्णफूल, बटरफ्लाय डिजाइन का बड़ा कंठहार शामिल है। सारी ज्वेलरी तमिलनाडु के कुंभकोणम से मंगवाई गई है, जो मेटल कारीगरी के लिए प्रसिद्ध है।
मुस्लिम कारीगर भगवान के लिए वस्त्र बनाता है
भगवान के लिए करीब 3 लाख रुपए की लागत से पूरे उत्सव के दौरान पहनी जाने वाली ड्रेस तैयार की गई हैं। इन्हें कांचीपुरम सिल्क में बनवाया गया है। राधा-कृष्ण के लिए पिछले 20 सालों से बेंगलुरु का एक मुस्लिम कारीगर भगवान के लिए कपड़े बना रहा है। रियाज पाशा नाम के इस कारीगर का मुख्य काम भगवान के लिए अलग-अलग तरह की ड्रेसेज बनाना, इन पर एम्ब्रायडरी करना है। भगवान की ड्रेसेज और ज्वेलरी इस्कॉन बेंगलुरु की ही भक्तिलता देवी दासी और चमेरी देवी दासी डिजाइन करती हैं।
600 वालिंटियर्स सेवाएं देंगे
इस्कॉन बेंगलुरु के वाइस प्रेसिडेंट स्वामी वासुदेव केशव दासजी के मुताबिक, दो दिन तक उत्सव का उल्लास रहेगा। करीब 600 वालिंटियर्स सेवाएं देंगे। मुख्य मंदिर परिसर में भगवान का अभिषेक होगा। इसके लिए व्यापक पैमाने पर तैयारी की गई है। इसके अलावा बेंगलुरु में 10 अलग-अलग स्थानों पर एक साथ जन्माष्टमी उत्सव का आयोजन होगा, ताकि लोगों को दूर तक मुख्य मंदिर में आने की तकलीफ ना उठानी पड़े। 24 को सुबह रोहिणी नक्षत्र लगेगा और उदय तिथि भी अष्टमी होगी। इस कारण मुख्य उत्सव और श्रीकृष्ण जन्म 24 को ही मनाया जाएगा।
पंचरात्र आगमा विधि से जन्मोत्सव मनेगा
स्ट्रेटेजिक कम्यूनिकेशन और प्रोजेक्ट हेड स्वामी नवीन नीरद दास के मुताबिक, जन्मोत्सव की पूरी प्रक्रिया पुराणों में बताई गई पंचरात्र आगमा विधि के अनुसार ही होगी। उसी के अनुसार संपूर्ण सामग्रियों और विधि के साथ मंगला आरती से लेकर रात्रि अभिषेक तक सारी विधियां पूरी की जाएंगी।
दो दिन में आरतियां
सुबह मंगला आरती से लेकर पूरे दो दिन में होने वाली 12 आरतियों में नाग, शंख, चक्र, गरूड़, घंटाल, मंडल, हनुमान, रथ, हंस, गज, मत्स्य और कुर्म की डिजाइन वाली दीपमालाओं का उपयोग किया जाएगा, जो विशेष रूप से जन्माष्टमी उत्सव के लिए तैयार की गई हैं।
108 नदियों का जल
मुख्य अभिषेक में पंचामृत के साथ सुगंधित तेल उपयोग किए जाएंगे। इसके अलावा देशभर की 108 नदियों का जल, 108 तरह की औषधियों से तैयार जल, 15 तरह के फलों का रस, 35 तरह के फूलों की पत्तियों से अभिषेक किया जाएगा। राधा-कृष्ण की प्रतिमाओं को चांदी के झूले में रखा जाएगा, जिनकी सेवा आम श्रद्धालु भी कर सकेंगे।
108 तरह के व्यंजनों का भोग
- अभिषेक 24 की रात 10 बजे के लगभग शुरू होगा जो रात 12 बजे समाप्त होगा। जन्मोत्सव रात 1 बजे तक निरंतर चलेगा।
- भगवान को 108 तरह के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा, जो मंदिर के ही 4 अलग-अलग किचन में तैयार होंगे।
- 1 लाख लड्डुओं और 1 लाख दोने खिचड़े का प्रसाद मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को बांटा जाएगा।
- पूरे मंदिर को अलग-अलग तरह के फूलों से सजाया जाएगा।
- मंदिर में जन्मोत्सव के दौरान करीब एक लाख श्रद्धालु दर्शन करने आने का अनुमान है।