- आईआईटी कानपुर के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग ने एग्रो हेलीकॉप्टर ड्रोन की टेस्टिंग की
- ड्रोन के मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरे हैं, जिनसे फसल की हर स्थिति का लिया जा सकता है जायजा
Dainik Bhaskar
Jul 16, 2019, 09:26 AM IST
नई दिल्ली. खेतों में फसलों को कीट और रोगों के प्रकोप से बचाने के लिए आईआईटी कानपुर ने नई तकनीक विकसित की है। किसानों की मदद करने के लिए वैज्ञानिकों ने एग्रो हेलिकॉप्टर ड्रोन बनाया है। यह खेतों में मौजूद खराब होती फसलों की पहचान कर खुद ही उन पर कीटनाशक (पेस्टीसाइड) का छिड़काव करने में सक्षम है।
आईआईटी के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के इस ड्रोन में मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरे लगाए गए हैं। इनके जरिए फसलों के स्वास्थ्य का जायजा लेकर रोग, कीट व फसलों के उत्पादन स्तर का पता लगाया जा सकता है। आईआईटी कानपुर में एग्रो हेलिकॉप्टर ड्रोन के मॉडल की टेस्टिंग कामयाब रही है। अब सरकार की मांग व कृषि विभाग की जरूरत पर इस तकनीक पर आगे काम किया जाएगा।
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अभिषेक ने बताया इस तकनीक से फसल का नुकसान कम करके किसानों की आय बढ़ाई जा सकती है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल किया गया है, इससे यह केवल उस जगह ही छिड़काव करेगा जहां कीट व रोग है। यह रंग व आकार से रोग व कीट की पहचान करेगा। वैसे जरूरत पड़ने पर पूरे खेत में भी इसके जरिए छिड़काव किया जा सकता है। प्रोफेसर के मुताबिक ड्रोन पर रंग प्रतिबिंब देख सकने वाले हाईटेक कैमरा लगने से एग्रीकल्चर सर्वे का स्वरूप ही बदल गया है। उन्होंने बताया कि ड्रोन में 4.4 किलोवाट का इंजन लगाया गया है। मोटर के जरिए ड्रोन में लगे ब्लेड उसे हवा में संतुलित रखते हैं। ड्रोन से एक बार में छिड़काव के लिए दस किलोग्राम पेस्टीसाइड तक ले जाया जा सकता है। यह रिमोट व कंप्यूटर दोनों से उड़ाया जा सकता है।
5 लीटर पेट्रोल से दो घंटे तक इमेज लेने के साथ छिड़काव करेगा ड्रोन
यह दस से 15 फीट ऊपर से खेतों की फोटोग्राफी करके उसकी बड़ी इमेज बनाता है। इससे यह पता चलता है कि खेत के किस हिस्से में कीट या रोग का प्रकोप है और कौन सा भाग स्वस्थ है। इसमें पांच लीटर का पेट्रोल टैंक लगाया गया है। इस ईंधन से यह दो घंटे उड़कर इमेज बनाने के साथ पेस्टीसाइड का छिड़काव कर सकता है। पहले खेतों की ऐसी इमेज बनाने का काम सैटेलाइट से ही संभव था और इस्तेमाल करने में कई चुनौतियां भी आती थीं जबकि छोटे से बॉक्स में आने वाले ड्रोन से अब माइक्रो लेवल तक काम हो सकता है।