- सिरसा प्रशासन की रिपोर्ट में खुलासा- राम रहीम काश्तकार ही नहीं, 250 एकड़ जमीन ट्रस्ट के नाम
- बाबा ने पिछले दिनों खेती करने का आधार बनाकर पैरोल की अर्जी लगाई थी
- बाबा राम रहीम साध्वी यौन शोषण और हत्या मामले में सुनारिया जेल में सजा काट रहा
Dainik Bhaskar
Jun 25, 2019, 08:30 AM IST
सिरसा (हरियाणा). रोहतक की सुनारिया जेल में दुष्कर्म और हत्या के मामले में सजा काट रहे डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को खेती के लिए पैरोल मिलना मुश्किल लग रहा है। सिरसा के तहसीलदार ने रिपोर्ट में बताया है कि डेरे के पास कुल 250 एकड़ भूमि है। इसमें कहीं भी राम रहीम मालिक या काश्तकार नहीं है। सारी भूमि डेरा सच्चा सौदा ट्रस्ट के ही नाम है। इसी वजह से प्रशासन की नजर में पैरोल का आधार नहीं बन रहा है।
डीसी अशोक कुमार गर्ग ने बताया कि रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इसे जल्द ही तैयार कर जेल प्रशासन को भेजा जाएगा। एसएसपी डॉ. अरुण नेहरा ने बताया कि वे मैरिट के आधार पर ही फैसला लेंगे। वहीं, सिरसा प्रशासन की रिपोर्ट के बाद ही रोहतक जेल प्रशासन कोई फैसला लेगा। प्रशासनिक सूत्रों ने भास्कर को बताया कि राम रहीम के बाहर आने पर सिरसा में कानून व्यवस्था कायम रखने में दिक्कत आ सकती है। 24 घंटे निगरानी रखना भी मुश्किल होगा। इसलिए पैरोल देने की सिफारिश के आसार न के बराबर हैं।
अभी भी दो केस विचाराधीन
गुरमीत सिंह पर अभी भी दो केस सीबीआई कोर्ट में विचाराधीन हैं। इनमें रणजीत सिंह हत्या और साधुओं को नपुंसक बनाए जाने का केस है। वहीं, पंचकूला और सिरसा हिंसा मामले में आदित्य इंसां अभी तक फरार है। पुलिस उसे मोस्ट वांटेड अपराधी घोषित कर चुकी है। उस पर पांच लाख रुपए का इनाम भी है।
जेलमंत्री ने कहा- पैरोल हर कैदी का अधिकार
हरियाणा के जेल मंत्री कृष्ण लाल पंवार ने कहा, “किसी भी कैदी को पैरोल का अधिकार है। गुरमीत ने पैरोल के लिए अपील की है, उस पर जेल अधीक्षक ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर जवाब मांगा है। अब पैरोल पर फैसला लेने का काम जेल प्रशासन और पुलिस का है।”
जेल अधीक्षक ने पूछा- क्या पैरोल देना उचित होगा
रोहतक जेल अधीक्षक ने पैरोल के संबंध में सिरसा जिला प्रशासन से राय मांगी है। उन्होंने सिरसा प्रशासन को पत्र लिखकर कहा है कि गुरमीत का जेल में आचरण अच्छा है। उसने जेल में कोई अपराध भी नहीं किया। वह सजा का एक साल पूरा कर चुका है। वह हरियाणा का है, इसलिए पैरोल अधिनियम 2012 और 2013 के अंतर्गत हार्डकोर श्रेणी में नहीं आता। लेकिन उस पर अभी दो केस और लंबित हैं। क्या उसे पैरोल देना उचित होगा?’