- डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम कम्प्यूटर सेंटर करे एलोकेशन
- सोमवार को हुई पहली मीटिंग में बनी सहमति
- सीट एलोकेशन की जिम्मेदारी डीएसडब्ल्यू ऑफिस के पास ही रहेगी
चंडीगढ़. पंजाब यूनिवर्सिटी में हॉस्टलों का आवंटन आगामी एकेडमिक सेशन से आॅनलाइन किया जाएगा। इसके लिए सोमवार काे हुई प्राथमिक स्तर पर हुई मीटिंग में सहमति बन गई है। डाॅ एपीजे अब्दुल कलाम कम्प्यूटर सेंटर ने इस पर अपनी सहमति दे दी है। पहले सेंटर ने आॅनलाइन एडमिशन करने से मना कर दिया था। पूर्व डीएसडब्ल्यू प्राे. अमरीक सिंह आहलूवालिया के समय में इस दिशा में काम शुरू किया गया था। हर साल इस बारे में योजनाएं बनीं लेकिन किसी न किसी वजह से ये प्रस्ताव टलता रहा। पीयू कैंपस स्टूडेंट्स काउंसिल (पीयूसीएससी) की प्रेसिडेंट कनुप्रिया ये डिमांड पहले दिन से कर रही हैं।
पीयू स्टूडेंट्स यूनियन ( पुसू), इंडियन नेशनल स्टूडेंट्स आॅर्गेनाइजेशन (इनसाे)अाैर स्टूडेंट्स फाॅर सोसायटी (एसएफएस) अादि स्टूडेंट संगठन लंबे समय से ये डिमांड कर रहे हैं कि हॉस्टल की अलाटॅमेंट काे आनॅलाइन कर दिया जाए। पहले स्तर पर इसके लिए पाेर्टल तैयार हुअा था। इसके बाद स्टूडेंट्स की लिस्ट आनॅलाइन डाल दी गई थी। पिछले साल अलाटॅमेंट का काम आॅनलाइन करने की बात हुई लेकिन बजट न हाेने के कारण इसे टाल दिया गया। इसके लिए लगभग 17 लाख रुपए की जरूरत थी।
डीएसडब्ल्यू प्रो. इमैनुअल नाहर, डीएसडब्ल्यू वुमन प्राे. नीना कपिलाश, कम्प्यूटर सेंटर के डायरेक्टर प्रो. सुखविंदर सिंह, तकनीकी माहिर अनिल कुमार, प्राे. नवदीप गाेयल के अलावा सभी बड़े डिपार्टमेंट के चेयरपर्सन या उनके प्रतिनिधि मीटिंग में बुलाए गए थे। इसमें चेयरपर्सन ने अपनी जरूरतें बताईं अाैर कम्प्यूटर सेंटर ने अपने अब तक डेवलप साॅफ्टवेयर पर प्रेजेंटेशन दी। स्टूडेंट्स की जरूरत, वार्डनों व हॉस्टल स्टाफ की अावश्यकता, टीचर्स या चेयरपर्सन कर जरूरत पर बात हुई। उनके इनपुट लिए गए।
पीयू में लड़कियों के 11 और लड़कों के लिए आठ हाॅस्टल …पीयू में लड़कियों के लिए 11 हॉस्टल हैं। वर्किंग वुमन हॉस्टल में भी रिसर्च स्कॉलर्स को जगह मिलती है। एक इंटरनेशनल हॉस्टल है और लड़कों के लिए आठ हॉस्टल हैं। हरेक की कैपेसिटी 300 स्टूडेंट्स की हैं। एक कमरे में तीन-तीन लड़कियां रह रही हैं। रिसर्च स्कॉलर्स को भी सिंगल कमरे नहीं मिल पा रहे जबकि नियम अनुसार पीजी स्तर पर ही सिंगल रूम मिलना चाहिए। लगभग आठ हजार स्टूडेंट्स हॉस्टल में हैं। गेस्ट चार्जेस पर स्टूडेंट्स को अलाओ कराने और वेटिंग के लिए सिफारिशें तलाशने का काम स्टूडेंट्स लीडर करते हैं। ऐसे में कई बार पूरा-पूरा साल एक नंबर की वेटिंग भी क्लियर नहीं होती। लीडर्स अपनी जरूरत अनुसार डिपार्टमेंट में सीट हॉस्टल अलॉटमेंट करवा लेते हैं। कई बार जरूरतमंद स्टूडेंट्स की एप्लीकेशन ही गायब मिलती हैं। इसलिए ऑनलाइन अलॉटमेंट की डिमांड स्टूडेंट्स काफी समय से कर रहे हैं।