सुखबीर सिंह बाजवा, चंडीगढ़ .पंजाब के सभी 410 पुलिस थानों की फोर्स मार्च के बाद दो हिस्सों में काम करेगी। एक हिस्सा लाॅ एंड आॅर्डर और दूसरा हिस्सा जांच का होगा। शहर का लाॅ एंड आॅर्डर थाने के एसएचओ देखेंगे। इसके अलावा वो तीन साल तक की सजा वाले मामलों की जांच भी करेंगे। तीन साल से ज्यादा सजा वाले बड़े मामलों की जांच ब्यूरो आॅफ इन्वेस्टिगेशन का स्टाफ देखेगा, जिसका नेतृत्व डीएसपी करेंगे।
सरकार ने यह फैसला इसलिए लिया है चूंकि कई बार संगीन मामलों की जांच सिर्फ इस बात के कारण नहीं होती थी कि थाना प्रभारी बहाना बना देते थे कि वे वीआईपी या अन्य काम में व्यस्त थे। अब थाने के स्टाफ के साथ-साथ इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो का स्टाफ भी थाने में ही डीएसपी क्राइम की देखरेख में बैठेगा। यह ब्यूरो ही अब हर तरह के बड़े मामलों की जांच करेगा, जिसमें थाना पुलिस की कोई भूमिका नहीं होगी। थाना पुलिस सिर्फ लाॅ एंड आॅर्डर और छोटे मामलों की जांच ही देखेगी।
थानों के एसएचओ सिर्फ छोटे-मोटे मामले और लाॅ एंड आॅर्डर का काम देखेंगे, बड़े मामलों की जांच रहेगी डीएसपी के जिम्मे
हर थाने में अब 9 से अधिक अफसर और कर्मचारी होंगे तैनात : इन्वेस्टिगेशन के काम को लाॅ एंड आॅर्डर के काम से अलग करने के बारे में पहले कई बार ऐलान किए जा चुके हैं, लेकिन अभी तक इस फैसले को इम्प्लीमेंट नहीं किया जा रहा था। अब इस फैसले को मार्च के पहले हफ्ते से लागू कर दिया जाएगा। इसके लिए ब्यूरो आॅफ इन्वेस्टिगेशन से 3600 कर्मचारियों का स्टाफ पंजाब के अलग-अलग थानों में पहुंच रहा है। इसके लिए संबंधित स्टाफ को अलग से ट्रेनिंग दी जा रही हैं। राज्य के करीब 410 थानों में ब्यूरो आॅफ इन्वेस्टिगेशन के 3600 कर्मचारियों को तैनात किया गया है। यानी हर थाने में इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो के फिलहाल 9 से अधिक अफसर एवं कर्मचारी तैनात होंगे, जो बड़े मामलों की जांच का काम करेंगे। बाद में इन कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाएगी।
संगीन मामलों की जांच में हो रही देरी के कारण सरकार ने लिया बड़ा फैसला
लाॅ एंड आॅर्डर को इन्वेस्टिगेषन से अलग करने की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि अभी तक लाॅ एंड आॅर्डर, सभी मामलों की जांच, धरने-प्रदर्षनों पर सिक्योरिटी, वीआईपी ड्यूटी और इलाके से संबंधित अन्य सभी काम थाना पुलिस के स्टाफ की ओर से ही किए जा रहे थे। ऐसे में थाने के एक-एक अफसर के पास कई कई काम थे, जिस कारण अलग-अलग मामलों की जांच में कई बार लंबा समय लग रहा था। अब इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो अलग बनने से इस ब्यूरो का स्टाफ सिर्फ जांच का ही काम करेगा। बाकी सभी काम थाना पुलिस ही करेगी। ऐसे में इन्वेस्टिगेषन ब्यूरो का स्टाफ जांच का काम सही तरीके से और कम समय में कर सकेगा।
थाने में ही बैठेंगे एसएचओ और डीएसपी : योजना के तहत हर थाने के इंचार्ज के रूपर में पहले एसएचओ थाने में बैठते थे। अब एसएचओ के अलावा डीएसपी भी थाने में बैठेंगे। एसएचओ जहां थाना पुलिस का नेतृत्व लाॅ एंड आॅर्डर के कामों को लेकर करेंगे, वहीं डीएसपी इन्वेस्टिगेषन के काम की देखदेख करेंगे। इस बारे में लीगल रिमेंबरेंस ने नियम बना दिए हैं और होम विभाग की ओर से इस बारे में जल्द ही आदेश जारी कर दिए जाएंगे, जिसके बाद थानों में काम शुरू कर दिया जाएगा।
जांच का काम अलग होने से जहां मामलों की जांच तेजी से और जल्दी होगी, वहीं कोर्ट में चालान भी जल्दी पेश किए जा सकेंगे। जांच करने वाले स्टाफ पर लाॅ एंड आॅर्डर के कामों का कोई दबाव नहीं होगा।
– सुरेश अरोड़ा, डीजीपी
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