स्टार रेटिंग | 3/5 |
स्टारकास्ट | इमरान हाशमी, स्निग्धदीप चटर्जी और श्रेया धनवंतरी |
डायरेक्टर | सौमिक सेन |
प्रोड्यूसर | भूषण कुमार, कृष्ण कुमार, अतुल कास्वेकर और तनुज गर्ग |
म्यूजिक | रोचक कोहली, गुरु रंधावा, क्रसना सोलो, कुणाल रंगूल, अग्नि, सौमिक सेन, नील अधिकारी |
जॉनर | सोशल कॉमेडी ड्रामा |
रनिंग टाइम | 2 घंटे 8 मिनट |
इमरान हाशमी (Emraan Hashmi) की 'व्हाई चीट इंडिया' (Why Cheat India) का इरादा नेक है, लेकिन इसे अनइमेजिनेटिव और पुराने ढर्रे पर एक्सीक्यूट किया गया है। डायरेक्टर सौमिक सेन (Soumik Sen) की यह फिल्म खामियों से भरे इंडिया के एजुकेशन सिस्टम पर तंज कसती है और बताती कि कैसे यह सिस्टम कुछ ठगों के लिए पैसे कमाने का साधन बन गया है।
'व्हाई चीट इंडिया' की कहानी: राकेश सिंह उर्फ रॉकी (इमरान हाशमी) एक ठग है, जो पैसा कमाने के लिए रैंक होल्डर इंजीनियरिंग स्टूडेंट्स से डील कर उनसे अमीर बाप के अयोग्य बच्चों के एग्जाम लिखवाता है। रॉकी यह काम सिर्फ कैश में करता है, ताकि कभी पकड़ा न जा सके। सत्येंद्र दुबे उर्फ़ सत्तू (स्निग्धदीप चटर्जी) एक अच्छा इंजीनियरिंग स्टूडेंट है, जो अपनी गरीबी और अपने महत्वाकांक्षी पिता की वजह से दबाव में है। रॉकी सत्तू की कमजोरी का फायदा उठाता है और उसे अपने जाल में फंसा लेता है, जो कभी निकल नहीं पाता। इसी बीच सत्तू की बहन नुपुर (श्रेया धनवंतरी) रॉकी से प्यार करने लगती है। एक ओर रॉकी शिक्षा व्यवस्था की खामियों का पूरा फायदा उठाता है तो वहीं अपनी करनी पर सफाई भी देता रहता है। रॉकी को खुद पर घमंड होता है और वह जानता है कि पकड़े जाने पर कैसे निकला जा सकता है। लेकिन क्या वाकई रॉकी कभी पकड़ा नहीं जाता या फिर पकड़े जाने के बाद आसानी से छूट जाता है? यह सब जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
'व्हाई चीट इंडिया' का रिव्यू: इमरान हाशमी ने ठग में रूप में रॉकी का किरदार बहुत ही ईमानदारी से निभाया है। रॉकी कहीं न कहीं स्मार्ट तरीके से यह साबित करता है कि शिक्षा व्यवस्था की खामियों का फायदा उठाकर वह जो कर रहा है, वह समाज की भलाई के लिए कर रहा है। हालांकि, नीरस और असंगत स्क्रिप्ट, बिना किसी दिशा में जोड़े आपको रॉकी की जर्नी में शामिल होने से रोकती है। रॉकी और नुपुर के बीच का लव ट्रैक कहानी से इतर जबर्दस्ती घुसाया हुआ लगता है। फिल्म का फर्स्ट हाफ आपको बांधे रखता है, जो दिखाता है कि कैसे सत्तू पैसे कमाने की चाहत में रॉकी के जाल में फंस जाता है। सेकंड हाफ में ट्विस्ट आता है, बावजूद इसके यह आपको बांधे नहीं रख पाता। भाई-बहन के किरदार में स्निग्धदीप और श्रेया ने बेहतरीन काम किया है। एजुकेशन सिस्टम में करप्शन पर बेस्ड फिल्म की कहानी आज के दौर से मेल खाती है, लेकिन सौमिक सेन को डायरेक्शन पर और काम करने की जरूरत थी।
क्यों देखें: इस फिल्म को देखिए क्योंकि यह एक प्रासंगिक विषय पर जोर देता है कि कैसे सिस्टम को बदलने की सख्त आवश्यकता जरूरत है। फिल्म में यह भी हाईलाइट करती है कि महत्वाकांक्षी और कंट्रोलिंग पेरेंट्स बच्चों पर अपने सपने थोपते हैं और उन पर उन्हें पूरा करने का दबाव बनाते हैं।
रिव्यूअर: शुभा शेट्टी साहा
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today