काठमांडू. नेपाल में एक महिला और उसके दो बेटों की झोपड़ी में दम घुटने से मौत हो गई। महिला को पीरियड्स के चलते झोपड़ी में सोने को मजबूर होना पड़ा था। उसके साथ उसके दो बेटे भी सो रहे थे। झोपड़ी को गर्म करने के लिए आग जल रही थी, जिसका धुआं भरने के चलते इनका दम घुट गया। नेपाल में पीरियड्स के दौरान महिला को अछूत माना जाता है और उसे परिवार से अलग रहना पड़ता है।
झोपड़ी में सोने को होना पड़ा मजबूर
– काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट में मुताबिक, यह घटना नेपाल के बाजुरा जिले की है। यहां अंबा बोबोपा पीरियड्स के चौथे दिन मंगवार को रात में अपने 9 और 12 साल के बेटों के साथ झोपड़ी में सोने के लिए गई।
– झोपड़ी में न खिड़की थी और न ही हवा आने-जाने के लिए कोई अन्य इंतजाम था। ऐसे में जब अंबा ने झोपड़ी को गर्म करने के लिए आग जलाई तो उसका धुआं झोपड़ी में ही भरने लगा।
– अंबा और उसके बेटे नींद में थे इसलिए उन्हें धुआं भरने का अहसास नहीं हुआ और नींद में ही इनका दम घुट गया। बुधवार सुबह जब अंबा की सास ने झोपड़ी का दरवाजा खोला तो तीनों मृत मिले।
– रिपोर्ट में एक गांववाले के हवाले से कहा गया है कि जब वो तीनों सो रहे थे, तभी उनमें से एक के कंबल में आग लग गई थी, जिसका धुआं भरने से मां और बेटों की दम घुटकर मौत हो गई।
– चीफ मेडिकल अफसर चेतराज बराल के मुताबिक, तीन के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है। मामले की जांच के लिए पुसिस की टीम मौके पर गई है।
छौपदी प्रथा के चलते गई जान
– नेपाल में सदियों से छौपदी प्रथा चली आ रही है। छौपदी का मतलब है अनछुआ। इस प्रथा के तहत पीरियड या डिलिवरी के चलते लड़कियों को अपवित्र मान लिया जाता है।
– इसके बाद उन पर कई तरह की पाबंदिया लगा दी जाती हैं। वह घर में नहीं घुस सकतीं। पेरेंट्स को छू नहीं सकती। खाना नहीं बना सकती और न ही मंदिर और स्कूल जा सकती हैं।
– प्रथा के तहत अगस्त में आने वाले ऋषि पंचमी पर महिलाएं नहाकर खुद को पवित्र करती हैं। साथ ही, अपने पापों की माफी भी मांगती हैं। छौपदी को नेपाल सुप्रीम कोर्ट ने 2005 में गैरकानूनी करार दिया था, लेकिन फिर भी ये जारी है।
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